Move to Jagran APP

Delhi AIIMS के IAS अधिकारी की ब्रेन डेड बहन के अंगदान से चार को मिली जिंदगी, दो लोगों की रोशनी वापस आई

दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) के एक वरिष्ठ अधिकारी की बहन के अंगदान से चार लोगों नया जीवन मिला है तो वहीं दो को रोशनी मिली है। अधिकारी की बहन को कुछ दिन पहले ही ब्रेन डेड घोषित किया था।

By AgencyEdited By: GeetarjunSun, 02 Oct 2022 07:02 PM (IST)
Delhi AIIMS के IAS अधिकारी की ब्रेन डेड बहन के अंगदान से चार को मिली जिंदगी, दो लोगों की रोशनी वापस आई
Delhi AIIMS के IAS अधिकारी की ब्रेन डेड बहन के अंगों ने चार लोगों की दी जिंदगी।

नई दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) के एक वरिष्ठ अधिकारी की बहन के अंगदान से चार लोगों नया जीवन मिला है, तो वहीं दो को रोशनी मिली है। अधिकारी की बहन को कुछ दिन पहले ही ब्रेन डेड घोषित किया था।

जानकारी के अनुसार, एम्स में प्रशासन के अतिरिक्त निदेशक के रूप में तैनात आईएएस अधिकारी रवींद्र अग्रवाल की बहन स्नेहलता चौधरी पिछले महीने एक हादसे में सिर में गंभीर चोट लग गई थी। एक सीनियर डॉक्टर ने बताया कि एक बुजुर्ग(63) के सिर में चोट लगने के बाद से झारखंड के जमशेदपुर ऑपरेशन किया गया था। इसके बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में इलाज के लिए ट्रॉमा सेंटर लाया गया।

मॉर्निंग वॉक के दौरान लगी सिर में चोट

स्नेहलता स्वास्थ्य के प्रति बहुत जागरूक थीं और पिछले 25 सालों से हर दिन मार्निंग वॉक पर जाती थीं। वॉक के दौरान गिरने से उनके सिर में चोट लग गई थी। डॉक्टर ने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और 30 सितंबर को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।

ये भी पढ़ें- गाजियाबाद में मुस्लिम युवक ने दुर्गा पंडाल में भजन का किया विरोध, परिवार सहित पहुंचा जेल; पुलिस बल तैनात

अंगदान की थीं समर्थक

वो एक गृहिणी और एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। डॉक्टर ने कहा स्नेहलता नेत्रदान अभियान की प्रबल समर्थक थीं और उन्होंने जीवन भर अंगदान का समर्थन किया। उन्होंने कौन बनेगा करोड़पति के लिए भी क्वालीफाई किया था।

दिल-किडनी समेत ये अंगदान किए गए

मौत होने के बाद उनका दिल, एक किडनी और कॉर्निया एम्स के मरीजों को दान कर दिए गए, जबकि उनके लीवर का इस्तेमाल आर्मी आरआर अस्पताल में किया जाएगा। नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन की व्यवस्था के अनुसार, राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक मरीज को उनकी दूसरी किडनी दी गई।

ये भी पढ़ें- PM Modi Gifts Auction: पीएम मोदी के उपहारों की नीलामी, काशी विश्वनाथ धाम के मॉडल की लगी सबसे महंगी बोली

डॉक्टर ने कहा कि फोरेंसिक मेडिसिन टीम ने वर्चुअल ऑटोप्सी-कंप्यूटेड टोमोग्राफी की और अंग पुनर्प्राप्ति के दौरान पोस्टमार्टम भी किया। एक नौकरशाह के परिवार के सदस्य द्वारा अंगदान ऐसे समय में किया जाता है, जब सरकार इस मुद्दे पर जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रही है।

अप्रैल से अब तक 12 अंगदान हुए

डॉक्टर ने कहा कि इस साल अप्रैल से अब तक दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर में 12 अंगदान हुए हैं, जो 1994 के बाद से यहां सबसे अधिक है। ट्रॉमा सेंटर की टीम ने ब्रेन डेथ सर्टिफिकेशन और अंग खरीद प्रक्रियाओं में बड़े बदलाव किए हैं, जिससे अब अंगदान में निरंतर वृद्धि हुई है।

लोगों में अंगदान के लिए जागरूकता जरूरी

एम्स ट्रॉमा सेंटर में अंग खरीद सेवाओं का नेतृत्व न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ दीपक गुप्ता कर रहे हैं। भारत में सड़क हादसों में हर तीन मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है, यानी हर साल ऐसी मौत 1.50 लाख होती हैं, लेकिन केवल 700 अंगदान होते हैं। अंगदान के लिए हमें जागरूकता की जरूरत है।