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    Delhi: आभा नंबर और QR कोड से OPD पंजीकरण कर इलाज में भी दिल्ली एम्स नंबर वन, NHA ने जारी किया डाटा

    आभा नंबर व क्यूआर कोड से OPD पंजीकरण कर इलाज में भी दिल्ली एम्स अन्य अस्पतालों के लिए उदाहरण बना गया है। एनएचए ने रविवार को ट्वीट डाटा जारी किया और कहा कि आभा आधारित स्कैन एंड शेयर तकनीक से ओपीडी पंजीकरण में एम्स का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है।

    By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Nitin YadavUpdated: Sun, 04 Jun 2023 08:53 PM (IST)
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    Delhi: आभा नंबर और क्यूआर कोड से OPD पंजीकरण कर इलाज में भी दिल्ली एम्स नंबर वन।

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली के अस्पतालों में ओपीडी कार्ड बनाने के लिए लगने वाली लंबी लाइनों की समस्या को दूर करने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत  'स्कैन एंड शेयर' पहल के तहत आभा नंबर (आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अकाउंट) व क्यूआर कोड स्कैन की मदद से ओपीडी पंजीकरण कर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने में भी एम्स अग्रणी बन गया है।

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    एम्स में अब तक 73,700 मरीज क्यूआर कोड स्कैन कर ओपीडी पंजीकरण की सुविधा ले चुके हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने रविवार को ट्वीट डाटा जारी किया और कहा कि आभा आधारित स्कैन एंड शेयर तकनीक से ओपीडी पंजीकरण में एम्स का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है।

    इससे उत्साहित एम्स प्रशासन ने आभा नंबर और क्यूआर कोड से ओपीडी पंजीकरण की सुविधा शुरू करने की पहल को सफल बताया है।

    कम होगी ओपीडी में भीड़

    एम्स के निदेशक डा. एम श्रीनिवास ने कहा कि इस पहल से ओपीडी पंजीकरण के लिए प्रतीक्षा समय काफी कम हो जाएगा और अस्पताल में मरीजों की ओपीडी पंजीकरण की प्रक्रिया व्यवस्थित हो जाएगी।

    एनएचए द्वारा जारी डाटा के अनुसार, दिल्ली एम्स के बाद इस तकनीक की मदद से ओपीडी पंजीकरण करने में एम्स भुवनेश्वर दूसरे स्थान पर है, जहां अब तक 33,400 मरीज इस सुविधा का लाभ उठा चुके हैं।

    वहीं, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में 31,600 मरीजों का ओपीडी पंजीकरण हुआ है। यह अस्पताल क्यूआर कोड के जरिये ओपीडी पंजीकरण के मामले में तीसरे स्थान पर रहा।

    एम्स के मीडिया डिविजन की चेयरपर्सन डॉ. रीमा दादा ने बताया कि एम्स में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को ओपीडी पंजीकरण के लिए लंबी लाइनों में लगनी पड़ती है।

    इस वजह से कई घंटे मरीजों को इंतजार करना पड़ता है। मरीजों को होने वाली असुविधा को दूर करने के लिए एनएचए ने आभा आधारित स्कैन एंड शेयर सुविधा के तहत क्यूआर कोड स्कैन कर ओपीडी पंजीकरण की सुविधा शुरू की। इसका इस्तेमाल कर मरीज लाइनों से बचते हुए आसानी से ओपीडी पंजीकरण करा सकते हैं

    क्यूआर कोड स्कैन करने पर जारी होता है टोकन

    क्यूआर कोड स्केन कर ओपीडी पंजीकरण के लिए मरीज का आभा नंबर होना अनिवार्य है। आभा नंबर में मरीज का नाम, पिता का नाम, पता व मोबाइल नंबर जुड़ा होता है। कोविन पोर्टल के माध्यम से इसे घर बैठे भी तैयार किया जा सकता है।

    एम्स ने मरीजों का आभा नंबर तैयार करने के लिए कर्मचारी तैनात किए गए हैं। एम्स की ओपीडी में जगह-जगह क्यूआर कोड लगाए गए हैं।

    आभा आधारित पर्सनलाइज्ड हेल्थ रिकार्ड (पीएचआर) एप से क्यूआर कोड स्कैन कर मरीज अपने स्वास्थ्य का रिकार्ड अस्पताल से साझा करते हैं, जिससे मरीज के मोबाइल पर टोकन उपलब्ध हो जाता है। बाद में यह टोकन नंबर जिस ओपीडी काउंटर के स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है वहां पहुंचकर मरीज आसानी से अपना ओपीडी पंजीकरण करा लेते हैं।

    लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई थी सुविधा

    एनएचए ने ट्रायल के रूप में पिछले वर्ष अक्टूबर में लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज के सुचेता कृपलानी अस्पताल से इस सुविधा की शुरुआत की थी। 20 नवंबर को एम्स के मुख्य अस्पताल में यह सुविधा शुरू हुई।

    इसके तीन दिन बाद ही 23 नवंबर को एम्स के मुख्य सर्वर पर रैनसमवेयर अटैक होने के कारण यह सुविधा बंद हो गई थी। इसके बाद कुछ माह पहले ही एम्स की ओपीडी में यह सुविधा दोबारा शुरू हुई है।

    आने वाले समय में एम्स में सिर्फ आभा नंबर की मदद से ओपीडी पंजीकरण की व्यवस्था लागू करने की तैयारी चल रही है। इससे मरीज के स्वास्थ्य का रिकार्ड आनलाइन उपलब्ध रहेगा।