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    Delhi AIIMS में नहीं होती कई तरह की जेनेटिक और मालिक्यूलर जांचें, बाहर भेजे जाते हैं सैंपल

    Updated: Tue, 10 Jun 2025 07:41 AM (IST)

    एम्स में जांच व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए गठित कमेटी ने काफी समय बाद भी रिपोर्ट नहीं सौंपी है जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है। निदेशक ने 31 जुला ...और पढ़ें

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    कई जांचें अब भी एम्स में नहीं हो पातीं। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। एम्स में दूर दराज से मरीज यह सोचकर पहुंचते हैं कि बेहतर इलाज और हर तरह की जांच आसानी से हो जाएगी। दूसरी तरफ कई जांचें अब भी एम्स में नहीं हो पातीं। इसमें जेनेटिक व मालिक्यूलर जांच अधिक शामिल है। इस वजह से सैंपल बाहर भेजने पड़ते हैं।

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    इससे कैंसर व गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज महंगे शुल्क पर जांच कराने को मजबूर होते हैं। इसके अलावा एम्स में लैब जांच व्यवस्था में कई विसंगतियां भी है। जिससे मरीज परेशान होते हैं।

    एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास के निर्देश के बाद भी उन विसंगतियों को दूर कर लैब व्यवस्था को सुलभ बनाने और अब तक जो जांचें एम्स में नहीं होती उसे शुरू करने की कवायद पर अमल नहीं हो पाया। इस पर एम्स प्रशासन अब सख्त रुख अपनाया है।

    निदेशक ने दी 31 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने का दिया अंतिम अवसर

    एम्स निदेशक ने अगस्त 2023 में लैब जांच की व्यवस्था की समीक्षा कर उसे सुदृढ़ करने और नई जांचें शुरू करने के मकसद से एक पांच सदस्यीय कमेटी गठित की थी। इसमें माइक्रोबायोलाजी, लैब मेडिसिन, कार्डियक बायोकेमिस्ट्री, पैथोलाजी व लैब आंकोलाजी के विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल थे। इस कमेटी को एम्स में जांच की सुविधा उपलब्ध कराने वाले सभी विभागों के डॉक्टरों से बातचीत कर 30 सितंबर 2023 तक एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था।

    एम्स में लैब मेडिसिन, पैथोलाजी, माइक्रोबायोलाजी, बायोकेमिस्ट्री, कार्डियक बायोकेमिस्ट्री, लैब आंकोलाजी, हेमेटोलाजी सहित कई विभाग हैं जो जांच की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। इन विभागों में जांच के लिए सैंपल लेने के लिए अलग-अलग जगह निर्धारित है।

    मरीजों को जांच के लिए करना पड़ती है भागदौड़

    इस वजह से मरीजों को जांच के लिए एक जगह से दूसरी जगह भागदौड़ करनी पड़ती है। कुछ जांच ऐसी भी हैं जो एक से अधिक विभागों की लैब में जांच होती है लेकिन शुल्क में फर्क है। एम्स के डॉक्टर बताते हैं कि नेक्स्ट जनरेशन सिक्वेंसिंग (एनजीएस), ब्लड कैंसर के मरीजों की आस्मेटिक फ्रैजिलिटी सहित कई तरह की जांच मशीन तो उपलब्ध है लेकिन तकनीकी कारणों से जांच नहीं होती।

    समिति को ऐसे सभी विषयों पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया था। एम्स में अब तक जो जांच नहीं होती उसे भी रिपोर्ट में शामिल करने के लिए कहा गया था। इस कमेटी ने निदेशक के निर्देश के करीब पौने दो वर्ष बाद भी रिपोर्ट तैयार कर अपनी सिफारिशें नहीं भेजी।

    यह भी तब जब इस वर्ष फरवरी में एम्स निदेशक ने दोबारा आदेश जारी कर 31 मार्च तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। इसके बाद अब एम्स निदेशक ने तीसरी बार एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि समिति द्वारा अब तक रिपोर्ट नहीं सौंपे जाने से नई जांचें शुरू करने में देरी हो रही है।

    यह समिति के सदस्यों की प्रतिबद्धता व संवेदनशीलता की कमी को दर्शाता है। इस मामले को गंभीरता से लिया गया है और एम्स निदेशक ने समिति को 31 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने का दिया अंतिम अवसर दिया है। इस निर्धारित अवधि तक भी रिपोर्ट नहीं सौंपने पर कार्रवाई करने की सख्त चेतावनी दी है। साथ कहा है कि 31 जुलाई तक रिपोर्ट नहीं देने पर इस समिति को भंग कर दूसरी समिति गठित की जाएगी।