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    Delhi News: 7 तरह के सर्विकल कैंसर की पहचान करेगी ये किट, AIIMS के नाम एक नई उपलब्धि

    Updated: Thu, 24 Apr 2025 11:11 AM (IST)

    एम्स नई दिल्ली द्वारा विकसित एचपीवी किट सर्वाइकल कैंसर के सात-आठ प्रकारों का पता लगाने में सक्षम है। यह किट किफायती होने के साथ-साथ भारत जैसे देश के लिए उपयुक्त है। ट्रायल में यह स्वदेशी किट 97.7 से 98.9 प्रतिशत तक कारगर पाई गई है। यह किट महिलाओं के लिए कैंसर स्क्रीनिंग को आसान और प्रभावी बनाएगी।

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    एम्स की किट सात से आठ तरह के सर्विकल कैंसर की करेगी पहचान

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एम्स नई दिल्ली की ओर से तैयार की गई एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) किट से सात से आठ तरह के सर्विकल कैंसर की पहचान की जा सकेगी।

    बताया गया कि यह किट एम्स के समन्वय और एनआइसीपीआर नोएडा, एनआइआरआरएचसी मुंबई व विश्व स्वास्थ्य संगठन के इंटरनेशनल एजेंसी फार रिसर्च आन कैंसर (आइएआरसी) के सहयोग से बनाई गई है।

    बता दें कि यह तकनीक किफायती होने के साथ, भारत जैसे देश के लिए उपयुक्त भी है। जांच की स्वदेशी किट ट्रायल में 97.7 से 98.9 प्रतिशत कारगर पाई गई है।

    मौतों का सर्वाधिक 25 प्रतिशत भारत में ही

    बुधवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सीडी देशमुख ऑडिटोरियम में इस किट का शुभारंभ किया गया। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अकादमी (भारत) की उपाध्यक्ष व एम्स के गायनेकोलाजी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डा. नीरजा भाटला ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, सर्विकल कैंसर से विश्वभर में ग्रसित पांच महिलाओं में एक भारतीय है। इससे होने वाली मौतों का सर्वाधिक 25 प्रतिशत भारत में ही है।

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    उन्होंने कहा कि इस बीमारी की स्क्रीनिंग के लिए विजुअल इंस्पेक्शन विद एसेटिक एसिड (वीआइए), पैप स्मीयर टेस्ट और एचपीए डीएनए टेस्टिंग जैसे तरीके प्रचलित है, लेकिन ये सभी तरीके या तो महंगे हैं या फिर प्रशिक्षण की उच्च आवश्यकता रखते हैं।

    आरटीपीसीआर आधारित है इसकी जांच

    डब्ल्यूएचओ की सिफारिश के अनुसार, केवल दो बार 35 और 45 वर्ष की आयु में हाई क्वालिटी एचपीवी टेस्ट पर्याप्त होंगे। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 2030 तक 70 प्रतिशत पात्र महिलाओं की स्क्रीनिंग करने का संकल्प लिया गया है। इसकी जांच आरटीपीसीआर आधारित है।

    कोविड-19 के बाद देश भर में आरटीपीसीआर आधारित प्रयोगशालाएं सशक्त हुई हैं, जिससे इन टेस्ट किट्स को राष्ट्रीय कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रमों में शामिल करना और अधिक व्यावहारिक व प्रभावी बनता है।

    भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआइआरएसी) के ग्रैंड चैलेंजेज इंडिया (जीसीआइ) कार्यक्रम के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र की जटिल समस्याओं के समाधान के लिए नवाचारों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी कड़ी में किट को तैयार किया गया है।