Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Delhi AIIMS के डॉक्टरों को मिली बड़ी सफलता, तीन सर्जरी कर युवती के पेट से निकाला 12 किलो का ट्यूमर

    दिल्ली की रहने वाली वह युवती चीना जेम्स ने कहा कि तीन माह पहले उनकी आखिरी सर्जरी हुई थी। इसके बाद अब वह बिल्कुल स्वस्थ हैं। उन्होंने बताया कि सबसे पहले मई 2022 में लोकनायक अस्पताल में उनकी सर्जरी हुई थी। तीन बार कीमोथेरेपी की दी गई थी लेकिन सर्जरी के कुछ समय बाद ट्यूमर वापस हो गया और हालत ज्यादा खराब हो गई। तब उन्हें एम्स भेजा गया।

    By Ranbijay Kumar Singh Edited By: Sonu Suman Updated: Thu, 28 Mar 2024 09:10 PM (IST)
    Hero Image
    Delhi AIIMS के डॉक्टरों ने तीन सर्जरी कर युवती के पेट से निकाला 12 किलो का ट्यूमर।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। एम्स के डॉक्टरों ने तीन चरणों में सर्जरी कर 24 वर्षीय युवती के पेट से 12 किलोग्राम का ट्यूमर निकाला। युवती की अंतिम सर्जरी पिछले 22 दिसंबर को हुई थी। वह ग्रोइंग टेराटोमा सिंड्रोम (जीटीएस) से पीड़ित थी। जिसके कारण यह ट्यूमर हुआ था। सर्जरी के बाद अब वह ठीक है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली की रहने वाली वह युवती चीना जेम्स ने कहा कि तीन माह पहले उनकी आखिरी सर्जरी हुई थी। इसके बाद अब वह बिल्कुल स्वस्थ हैं। उन्होंने बताया कि सबसे पहले मई 2022 में लोकनायक अस्पताल में उनकी सर्जरी हुई थी। तीन बार कीमोथेरेपी की दी गई थी, लेकिन सर्जरी के कुछ समय बाद ट्यूमर वापस हो गया और हालत ज्यादा खराब हो गई। तब उन्हें इलाज के लिए एम्स स्थानांतरित किया गया।

    एम्स के सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एमडी रे ने बताया कि ग्रोइंग टेराटोमा सिंड्रोम (जीटीएस) के कारण युवती के ओवरी ट्यूमर हुआ था, जो बड़ा होकर शरीर के कई महत्वपूर्ण हिस्सों तक फैल गया था। यह बिनाइन ट्यूमर होता है जो बाद में कैंसर में तब्दील हो जाता है।

    लिवर का हो चुका था 70 प्रतिशत हिस्सा खराब

    उन्होंने बताया कि ट्यूमर इतना बड़ा हो चुका था कि उसकी सर्जरी बेहद जटिल थी। इस ट्यूमर के कारण लिवर का 70 प्रतिशत हिस्सा भी खराब हो चुका था। लिवर का 30 प्रतिशत हिस्सा की काम कर रहा था। एक बार में ट्यूमर के पूरे हिस्से को निकाल पाना आसान नहीं था। इसमें मरीज को जोखिम था। इसलिए तीन चरणों में सर्जरी की गई।

    पहली बार में पेल्विक मास, यूरिनरी व रेक्टम से सटे ट्यूमर के हिस्से को हटाया गया। दूसरे चरण की सर्जरी में लिवर के आसपास के हिस्से से ट्यूमर को हटाया गया। इसके अलावा लिवर के खराब हुए 70 प्रतिशत हिस्से को भी काटकर अलग किया गया। इससे काफी मात्रा में रक्तस्राव हुआ। तीसरी बार में फाइनल सर्जरी की गई।

    सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण थी

    उन्होंने बताया कि टेराटोमा सिंड्रोम में मरीजों के ठीक होने की दर 90 प्रतिशत है। लेकिन कैंसर में तब्दील होने पर 45 से 50 प्रतिशत ही मरीजों के ठीक होने की संभावना रहती है। ट्यूमर शरीर के महत्वपूर्ण अंगों तक फैले होने के कारण इसकी सर्जरी बहुत चुनौतीपूर्ण थी। साथ ही सर्जरी ही इसका एक मात्र इलाज है। ऐसे मामलों में कीमोथेरेपी भी नहीं दी जाती है।

    ये भी पढे़ं- जब कोर्ट में सीएम केजरीवाल खुद बन बैठे वकील, पढ़ें गिरफ्तारी को लेकर क्या-क्या दी दलीलें