Delhi AIIMS Cyber Attack: हांगकांग की दो ई-मेल ID से सर्वर पर हुआ था अटैक, विदेश मंत्रालय को किया जाएगा सूचित
Delhi AIIMS Cyber Attack 23 नवंबर को AIIMS सर्वर पर हुआ साइबर अटैक की दो मेल ID से किया गया था। मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की इंटेलीजेंस फ्यूजन स्ट्रैट्रिक आपरेशंस को यह जानकारी मिली है। इसे लेकर विदेश मंत्रालय को सूचित किया जाएगा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। 23 नवंबर को एम्स के सर्वर पर हुआ साइबर अटैक हांगकांग की दो मेल आईडी से किया गया है। मामले में की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की इंटेलीजेंस फ्यूजन स्ट्रैट्रिक आपरेशंस (आइएफएसओ) को यह जानकारी मिली है। हमले में इस्तेमाल ईमेल का आइपी एड्रेस हांगकांग आ रहा है। इससे इसमें चीन की भूमिका संदिग्ध है। हमले में एम्स के चार सर्वर, दो एप्लीकेशन सर्वर, एक डाटाबेस और एक बैकअप सर्वर प्रभावित हुए हैं।
दिल्ली पुलिस करेगी विदेश मंत्रालय को सूचित
पुलिस सूत्रों ने बताया कि जांच में एक मेन मेल आइडी का आइपी एड्रेस 146.196.54.222 है और पता ग्लोबल नेटवर्क, फ्रांसिट लिमिटेड रोड डी/तीन एफ ब्लाक-दो, 62 युआन रोड हांगकांग-00852 है। दिल्ली पुलिस जल्द ही इस मामले में विदेश मंत्रालय को सूचित करेगी। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि साइबर अटैक करने वाले ने इस मामले में अभी तक कोई रुपया नहीं मांगा है।
स्पेशल सेल ने एम्स की सर्वर की इमेजिंग को गांधी नगर स्थित गुजरात साइंस यूनिवर्सिटी भेज दिया है। ये डाटा पांच टेराबाइट का है। इस कारण इसकी जांच में समय लगेगा। सर्वर की इमे¨जग के बाद पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इसके अलावा आइएफएसओ की टीमें सूरत, गांधी नगर और मुंबई गई हैं। इसमें वहां के विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
मुंबई में गुल हुई बिजली में भी सामने आई थी भूमिका
करीब दो साल पहले समूचे मुंबई शहर की बिजली गुल हो गई थी। उस वक्त वहां के पावर स्टेशन में मालवेयर के इंजेक्ट करने की बात सामने आई थी। जांच के बाद इसमें चीन का हाथ होने की बात कही गई थी। उसके बाद से लगातार ऊर्जा क्षेत्र की सुरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए काम किया जा रहा है।
एम्स के सर्वर की सुरक्षा को साढ़े चार साल से नियुक्त नहीं थी
एम्स के सर्वर पर रैनसमवेयर अटैक के मामले में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। संस्थान में सर्वर के रखरखाव के लिए पिछले करीब साढ़े चार साल से कोई एजेंसी नियुक्त नहीं थी। समस्या यह थी कि सर्वर की रखरखाव के लिए संस्थान के कंप्यूटर फैसिलिटी विभाग में दक्ष कर्मचारियों का भी अभाव है। ऐसे में एम्स में सर्वर की सुरक्षा भगवान भरोसे ही थी। एम्स के सूत्रों के अनुसार संस्थान के कंप्यूटर सिस्टम से जुड़े साफ्टवेयर से संबंधित कार्य एनआइसी (नेशनल इन्फार्मेटिक सेंटर) के पास था।
सर्वर और हार्डवेयर की रखरखाव की जिम्मेदारी पहले एक निजी एजेंसी के पास थी। 2018 से कांट्रेक्ट का नवीनीकरण नहीं हुआ था। उस वक्त से किसी एजेंसी के पास सर्वर की रखरखाव की अधिकृत जिम्मेदारी नहीं थी। इस वजह से सर्वर का ठीक से रखरखाव सुनिश्चित नहीं हो रहा था। यह भी तब जब एम्स प्रशासन अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था को पूरी तरह डिजिटल करने और डाक्टरों द्वारा मरीज को लिखी जाने वाली दवा की पर्ची भी आनलाइन जारी करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे थे। ऐसे में रैनसमवेयर अटैक की घटना के बाद एम्स की व्यवस्था पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
बता दें कि एम्स में 50 सर्वर हैं जो ई-हास्पिटल के मुख्य सर्वर से जुड़े हुए हैं। रैनसमवेयर अटैक की घटना में मुख्य सर्वर, मुख्य सर्वर का पहला बैकअप, लैब से संबंधित सर्वर और उसका सर्वर हैक कर लिया गया था। बताया जा रहा है कि अब सर्वर के रखरखाव की जिम्मेदारी भी एनआइसी के पास होगी।
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