दिल्ली में स्थापित होंगी 53 नई फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें, लंबित मामलों का तेजी से होगा निपटारा
दिल्ली सरकार ने महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों के त्वरित निपटारे के लिए 53 नई फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतें स्थापित करने का निर्णय लिया है। वर्तमान में कार्यरत 16 अस्थायी अदालतों को भी स्थायी किया जाएगा। उच्च न्यायालय के परामर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है जिससे लंबित मामलों का तेजी से निपटारा हो सकेगा। सरकार का मानना है कि इससे अपराधों पर अंकुश लगेगा।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों के त्वरित निपटारे के लिए राजधानी में 53 नई फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतें स्थापित करेगी। इस उद्देश्य के लिए आदेश जारी कर दिए गए हैं। वर्तमान में, दिल्ली में ऐसी 16 अदालतें अस्थायी/तदर्थ आधार पर कार्यरत हैं; इन्हें भी स्थायी अदालतों में परिवर्तित किया जाएगा।
दिल्ली सरकार के निर्देश पर, विधि विभाग ने इस मामले को आगे बढ़ाया और दिल्ली उच्च न्यायालय से परामर्श किया। उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को सूचित किया कि लंबित मामलों की वर्तमान स्थिति और वित्त आयोग की सिफारिशों को देखते हुए 37 अतिरिक्त फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों की तत्काल आवश्यकता है।
उच्च न्यायालय ने राजधानी में वर्तमान में अस्थायी/तदर्थ आधार पर संचालित 16 अदालतों को स्थायी अदालतों में परिवर्तित करने की भी सिफारिश की।
इस प्रकार, कुल 53 (37 और 16) नई अदालतें स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। विधि विभाग ने इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को सौंप दिया है। इस पहल के तहत, जल्द ही 53 नए न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है। ये अदालतें मुख्य रूप से पॉक्सो अधिनियम, 2012 और बलात्कार से संबंधित मामलों की सुनवाई करेंगी।
दिल्ली सरकार का मानना है कि ऐसे मामलों में त्वरित सुनवाई और समय पर न्याय सुनिश्चित करने से समाज में एक कड़ा संदेश जाएगा और महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों पर अंकुश लगेगा।
दिल्ली सरकार ने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाया है। हम चाहते हैं कि पीड़ितों को न्याय के लिए वर्षों तक इंतज़ार न करना पड़े। यह कदम न केवल त्वरित न्याय की गारंटी देगा, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला सशक्तिकरण और सुरक्षित भारत के दृष्टिकोण को भी मजबूत करेगा।
सरकार के इस फैसले से अब दिल्ली की महिलाएं अधिक आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना के साथ आगे बढ़ सकेंगी। वर्तमान में, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के 17,000 से अधिक मामले अदालतों में लंबित हैं।
-रेखा गुप्ता, मुख्यमंत्री (दिल्ली)
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।