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    Delhi AIIMS में क्रिटिकल केयर और संक्रामक रोग केंद्र के बनने में देरी, मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच बढ़ी चिंता

    Delhi AIIMS Hospital कोरोना महामारी के बाद भी संक्रामक रोगों से निपटने की तैयारी अधूरी सी दिखती है। एम्स में 150 बेड के क्रिटिकल केयर और संक्रामक रोग केंद्र के निर्माण में देरी हो रही है। पेड़ों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के लिए वन विभाग से स्वीकृति नहीं मिल पा रही है। निर्माण शुरू होने के बाद 20 महीने में यह बनकर तैयार होगा।

    By Jagran News Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Tue, 27 Aug 2024 01:11 PM (IST)
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    कोरोना से नहीं लिया सबक, संक्रामक रोगों से लड़ने की तैयारी अधूरी

    रणविजय सिंह, नई दिल्ली। कोरोना काल खत्म होने के करीब ढाई वर्ष बाद भी संक्रामक रोगों से लड़ने की तैयारी अधूरी है। यही वजह है कि अब जब कई देशों में मंकीपॉक्स का संक्रमण बढ़ने के कारण यहां भी अलर्ट है, तो अस्पतालों में कोरोना काल की तरह आइसोलेशन वार्ड व बेड आरक्षित करने की पहल शुरू कर दी गई है।

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    इसका कारण यह है कि कोरोना से सबक लेकर संक्रामक बीमारियों के इलाज के लिए जो परियोजनाएं शुरू हुईं, उसका अमल ठीक से नहीं हुआ। स्थिति यह है कि एम्स में 150 बेड क्रिटिकल केयर व संक्रामक रोग केंद्र के निर्माण के लिए करीब 10 माह पहले टेंडर आवंटित होने के बावजूद अब तक इसका निर्माण शुरू नहीं हो पाया।

    75 पेड़ हटाकर दूसरी जगह होगा स्थानांतरित

    एम्स ट्रामा सेंटर के परिसर में हर्बल गार्डन के नजदीक खाली जमीन में इस क्रिटिकल केयर व संक्रामक रोग केंद्र का निर्माण होना है। निर्माणाधीन स्थल से 75 पेड़ हटाकर दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाना है। दिल्ली सरकार के वन विभाग से इसकी अब तक स्वीकृति नहीं मिल पाने के कारण निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा है, जबकि परियोजना की लागत भी 180 करोड़ रुपये से बढ़कर 215 करोड़ हो चुकी है।

    संक्रामक बीमारियों से पीड़ित मरीजों को अस्पताल के अन्य मरीजों से अलग रखना पड़ता है। कोरोना के मद्देनजर प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआइएम) के तहत एम्स के ट्रामा सेंटर में 150 बेड के क्रिटिकल केयर व संक्रामक रोग केंद्र का निर्माण होना है। एम्स ने इसके निर्माण की जिम्मेदारी केंद्रीय लोग निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को दी है। सीपीडब्ल्यूडी ने करीब 180 करोड़ की लागत से इसके निर्माण के लिए पिछले वर्ष अगस्त में टेंडर प्रक्रिया शुरू की।

    पिछले साल हुआ था टेंडर जारी

    एम्स के अनुसार, पिछले वर्ष 16 अक्टूबर को इसका टेंडर हुआ था। एम्स प्रशासन का कहना है कि अब परियोजना का खर्च 215 करोड़ है, जिसमें 120 करोड़ बजट पीएम-एबीएचआइएम से मिलना है। इसके अलावा 95 करोड़ रुपये का बजट एम्स देगा। पीएम-एबीएचआइएम के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एम्स को अब तक 36 करोड़ रुपये की राशि भुगतान कर चुका है, जिसे एम्स ने सीपीडब्ल्यूडी को भुगतान कर दिया है।

    एम्स प्रशासन का कहना है कि 75 पेड़ को दूसरी जगह प्रत्यारोपित करने का आवेदन वन विभाग के पास लंबित है। पर्यावरण से संबंधित स्वीकृति के लिए भी राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआइएएए) के पास आवेदन किया गया है। स्वीकृति मिलने पर निर्माण जल्दी शुरू हो जाएगा। निर्माण शुरू होने के बाद 20 माह (एक वर्ष आठ माह) में यह बनकर तैयार होगा।

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