आर्थिक संकट से जूझ रहा DDCA, कोच-चयनकर्ताओं से लेकर सहायक कर्मियों को नहीं मिल रहा पूरा वेतन
दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) सपोर्ट स्टाफ को वेतन न देने के कारण विवादों में है। 2024 क्रिकेट सीजन खत्म होने के बाद भी चयनकर्ताओं और कोचों को पूरा वेतन नहीं मिला है उन्हें केवल 50% भुगतान किया गया है। डीडीसीए के कोषाध्यक्ष ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है। लगभग 100 से अधिक कर्मचारियों को आधा वेतन ही मिला है जिससे उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है।

लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) एक बार फिर अपने सपोर्ट स्टाफ के प्रति लापरवाह रवैये को लेकर विवादों में है।
2024 क्रिकेट सीजन समाप्त हुए कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक चयनकर्ताओं, कोचों और अन्य सहायक कर्मियों को उनका पूरा वेतन नहीं मिला है।
सूत्रों की मानें तो अब तक उन्हें सिर्फ 50 प्रतिशत भुगतान ही किया गया है और शेष राशि के लिए बार-बार टालमटोल की जा रही है।
पिछले कई वर्षों में चल रहा यही सिलसिला
यह पहला अवसर नहीं है जब डीडीसीए ने ऐसा किया हो। पिछले कई वर्षों से यह सिलसिला जारी है, जब कोचों और चयनकर्ताओं को अपना मेहनताना पाने के लिए आठ-आठ महीने तक इंतज़ार करना पड़ा है।
इस बार भी जब स्टाफ ने भुगतान को लेकर सवाल किए तो कभी फाइल कोषाध्यक्ष के पास अटकी है तो कभी हस्ताक्षर बाकी हैं जैसे बहाने दिए गए।
डीडीसीए के कोषाध्यक्ष हरीश सिंगला से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई जवाब देना उचित नहीं समझा। इससे पहले यह जिम्मेदारी पवन गुलाटी के पास थी जो पूर्व क्रिकेटर और वर्तमान सांसद गौतम गंभीर के मामा हैं।
100 से ज्यादा स्टाफ को मिला आधा वेतन
पुरुष और महिला दोनों वर्गों को मिलाकर लगभग 100 से अधिक सपोर्ट स्टाफ ऐसे हैं जिन्हें आधा वेतन ही मिला है।
इससे न सिर्फ उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है, बल्कि उनके परिवारों पर भी भारी आर्थिक बोझ पड़ रहा है। एक कोच ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें अपने घर का खर्च चलाने के लिए उधार तक लेना पड़ रहा है।
डीडीसीए की यह उदासीनता तब और विडंबनापूर्ण लगती है जब यह ज्ञात होता है कि संघ ने पिछले साल दिल्ली प्रीमियर लीग (डीपीएल) से बड़ी आय अर्जित की थी।
साथ ही बीसीसीआई ने इस वर्ष डीडीसीए को आइपीएल 2025 की सर्वश्रेष्ठ पिच के लिए 50 लाख रुपये का पुरस्कार भी प्रदान किया है।
लोढ़ा समिति की सिफारिशें भी हैं बड़ी वजह
लोढ़ा समिति की सिफारिशों के तहत डीडीसीए के कोच और चयनकर्ता कोई निजी अकादमी या बाहरी कोचिंग नहीं दे सकते, जिससे उनकी आय के अन्य स्रोत भी सीमित हो गए हैं। ऐसे में समय पर वेतन न मिलना उनके लिए दोहरी मार जैसा है।
डीडीसीए का यह रवैया केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि उन लोगों की मेहनत और गरिमा का अपमान है, जिन्होंने दिल्ली क्रिकेट को मजबूत बनाने में अपना योगदान दे रहे है।
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