किताबों का खजाना है दिल्ली का संडे मार्केट, देश-विदेश के लेखकों और साहित्यकारों की किताबें खरीदने जरूर आएं
Daryaganj Book Market पुस्तक प्रेमियों के लिए दिल्ली का दरियागंज मार्केट काफी लोकप्रिय है। बता दें कि किसी को कोर्स की किताब चाहिए तो किसी को बड़े लेखक और महापुरुषों की जीवनी से संबंधित किताब तो वह संडे मार्केट की दुकान पर जरूर आए।

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। Daryaganj Book Market: दिल्ली का दरियागंज मार्केट किसी पहचान का मोहताज नहीं है। यह सड़े मार्केट के रूप में विश्व विख्यात है और देश-विदेश के लेखकों और साहित्यकारों की किताबें यहां आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। पुस्तक प्रेमियों के लिए दिल्ली का दरियागंज मार्केट काफी लोकप्रिय है। बता दें कि किसी को कोर्स की किताब चाहिए तो किसी को बड़े लेखक और महापुरुषों की जीवनी से संबंधित किताब तो वह संडे मार्केट की दुकान पर जरूर आएं।
यहां एक दुकान से दूसरी दुकान तक मनपसंद किताब ढूंढ़ने का सिलसिला तब तक जारी रहता है जब तक किताब मिल ना जाए। किताबों की इस मंडी में दिल्ली ही नहीं, गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम, मेरठ समेत देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आते हैं। हर जगह से थक हार जाने के बाद लोग बड़ी हसरत के साथ नई सड़क की इस मार्केट का रुख करते हैं।
मार्केट की किताबों से मिलती है सपनों को नई उड़ान
पुराने दरवाजे, पुराना पंखा, पुरानी कुर्सी, आलमारी के बीच करीने से सजी हुई किताबें। नजर दौड़ाएं तो इनमें चेतन भगत, अमीश से लेकर डेन ब्राउन,डेनियल स्टील, जान, इदरिसी, आलिवर तक की किताबें दिखती हैं। सीनियर सिटीजन सुभाष पाहवा ने बताया कि किताबों से लगाव तो बचपन से ही था। पिता एक सफल बिजनेसमैन थे। हम पुरानी दिल्ली में ही रहते थे। बचन से ही मुझे किताबें पढ़ने का बहुत शौक था।
43 किताबों से शुरू हुआ सफर
1987 में धर्म प्रताप ने महज 43 किताबों के साथ दुकान शुरू की थी। इनमें मेडिकल, टेक्निकल, लिटरेचर की किताबें हुआ करती थीं। उन दिनों को याद करते हुए धर्म प्रताप कहते हैं कि उन दिनों पढ़ने वालों की कमी नहीं थी। लोग लाइन लगाकर किताबें खरीदने आते थे। दरियागंज में अंसारी रोड पर ही पब्लिशिंग हाउस थे। वो दिन भी क्या दिन थे। पढ़ने वाले दूर-दूर से किताबें ढूंढ़ने आते थे। लोग बेहतरीन लेखक की किताबें मांगते थे।
दुर्लभ किताबों का खजाना
एक समय था जब लोग साहित्य की किताबें बड़े शौक से पढ़ा करते थे, पर अब उनमें कमी आई है। धर्म पाल का दावा है कि उनकी दुकान में दुर्लभ किताबें भी मिलती हैं, बस लोग किताब का नाम उन्हें बता दें तो वह उसे भी उपलब्ध करवा देते हैं। वैसे यहां साहित्य, मेडिकल समेत अन्य प्रतियोगिता की तैयारियों की किताबें भी मिलती हैं। देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं एवं किताबों की लिस्ट थमा उनसे किताब उपलब्ध कराने की गुजारिश करते हैं।
बदल गया है खरीदारी करने का तरीका
वहीं 65 साल के ओमपाल का कहना है कि 28 साल हो गए यहां दुकान लगाते हुए अब तीसरी पीढ़ी यहां मेरी दुकान लगा रही है। लेकिन पहले और अब की खरीदारी में काफी फर्क आ गया है ऐसे नहीं है कि पढ़ने वाले बच्चे नहीं है लेकिन अब ऑनलाइन किताबें मिल जाती और कीमत कम होती है। ज्यादातर किताबों की आपको ऑनलाइन डुप्लीकेट पीडीएफ मिल जाएगी। जिसके वजह से बच्चे सस्ते दामों में फ्री की किताबें खरीद लेते हैं।
मार्केट में आते ही लुभाने लगते हैं किताबों के कवर
बता दें कि दरियागंज मार्केट में करीब 700 से 800 पुस्तक विक्रेता हैं। चाहे साहित्य प्रेमी हो, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले अथवा स्कूल कालेज के छात्र सभी यहां पुस्तक लेने के लिए जरूर आते हैं। जैसे ही आप किसी भी दुकान में घुसतें है तो आकर्षक कवर देखकर अपनी पसंद की किताबें खरीदने के लिए मजबूर हो जाएंगे। यहां नई व पुरानी किताबें खरीदने और बेचने का पूरा मौका मिलता है।
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