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Delhi: प्लास्टिक और एल्युमिनियम का कचरा देगा सड़क निर्माण को शक्ति, CSIR और CRRI ने विकसित की नई तकनीक

देश में प्लास्टिक वेस्ट से निर्मित सड़कों को नया आयाम दिया जाएगा। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की दो प्रयोगशालाओं- केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) और राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल) के वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से इस कार्य को किया जा रहा है।

By Ramesh MishraEdited By: GeetarjunPublished: Mon, 03 Apr 2023 06:37 PM (IST)Updated: Mon, 03 Apr 2023 06:37 PM (IST)
Delhi: प्लास्टिक और एल्युमिनियम का कचरा देगा सड़क निर्माण को शक्ति, CSIR और CRRI ने विकसित की नई तकनीक
प्लास्टिक और एल्युमिनियम का कचरा देगा सड़क निर्माण को शक्ति, CSIR और CRRI ने विकसित की नई तकनीक

नई दिल्ली [रमेश मिश्र]। देश में प्लास्टिक वेस्ट से निर्मित सड़कों को नया आयाम दिया जाएगा। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की दो प्रयोगशालाओं- केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) और राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल) के वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से इस कार्य को किया जा रहा है। यह विचार और तकनीक सीआरआरआई की है, जबकि सड़क बनाने के लिए खास किस्म का प्लास्टिक मिश्रण एनपीएल में तैयार किया जाएगा।

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सीआरआरआई इसका पहला प्रयोग दिल्ली में करने की योजना बना रहा है। इसका प्रयोग पहले ग्रामीण सड़कों पर किया जाएगा। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो इसका विस्तार एक्सप्रेस-वे तक किया जाएगा। नीदरलैंड्स के बाद भारत इस विशेष तकनीक से प्लास्टिक वेस्ट से निर्मित सड़कें बनाने वाला दूसरा देश बन जाएगा।

पीपी व रेड मार्ट का मिश्रण

सीआरआरआइ के विज्ञानियों ने भारत की सड़कों की जरूरतों के मुताबिक एक ऐसी तकनीक और प्रोडक्ट का विकास किया है, जिसे दो खास किस्म के वेस्ट से तैयार किया जाएगा। इसमें 70 प्रतिशत प्लास्टिक वेस्ट पाली प्रोपाइलीन (पीपी) के साथ एल्युमिनियम उद्योग से निकलने वाले वेस्ट रेड मार्ट का प्रयोग किया जाएगा। विज्ञानियों का कहना है कि रेड मार्ट का निस्तारण एल्युमिनियम उद्योग के लिए बड़ी चुनौती है।

सड़कों के निर्माण में इसके प्रयोग से इस समस्या का बड़ा हल निकल जाएगा। खास बात यह है कि आम प्लास्टिक वेस्ट में सर्वाधिक मात्रा पाली प्रोपाइलीन (बोतल, पैकिंग आदि में प्रयोग होने वाला प्लास्टिक) की होती है। इसलिए सड़क निर्माण में इसकी कमी नहीं होगी। पैनल के निर्माण में भारी मशीनों की जरूरत नहीं होगी।

सड़क निर्माण की लागत में भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। गिट्टी की सड़कों की तुलना में इनके रखरखाव की लागत आधी होगी। पाली प्रोपाइलीन से बनी सड़कें हर मौसम को झेलने में सक्षम होंगी, जबकि डामर की सड़कें गर्मी में पिघल जाती हैं और बरसात में टूट जाती हैं।

कंपनी से चल रही बातचीत

पहले ग्रामीणों सड़कों में प्रयोग करने की तैयारी वैज्ञानिकों का कहना है कि पहले चरण में इसका प्रयोग ग्रामीण सड़कों में किया जाएगा। प्रयोग सफल होने पर इसका विस्तार किया जा सकता है। इसको लेकर दोनों प्रयोगशाला के विज्ञानी उत्साहित हैं।

पैनल बनाने के लिए सीआरआरआई के साथ मुंबई की एक कंपनी से करार की प्रक्रिया चल रही है। उनका कहना है कि नीदरलैंड्स में इस पर काफी काम हो चुका है। वहां एक्सप्रेस-वे को छोड़कर सभी सहायक और प्रमुख मार्गों को प्लास्टिक वेस्ट से बनाया जा रहा है।

इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे वैज्ञानिक गगनदीप का कहना है कि भविष्य में सड़कों के निर्माण में प्रयोग आने वाले एग्रीग्रेट (गिट्टी और तारकोल) की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में पीपी से बनी सड़कें बेहतर विकल्प हैं। दूसरे, इससे बनने वाली सड़कें अमूमन गढ्ढामुक्त होंगी। अगर कहीं गड़बड़ी आई तो खराब पैनल को तत्काल बदला जा सकता है।

तीसरे, मरम्मत कार्य में रास्ता बंद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आज के दौर में महानगरों पर यातायात का दबाव बढ़ रहा है, जिसमें सड़कों की मरम्मत एक चुनौती भरा कार्य है। चौथे, इसका एक बड़ा लाभ यह है कि इस प्रोडक्ट को चार बार रिसाइकिल कर सकते हैं, यानी इसका चार बार प्रयोग कर सकते हैं। पांचवें, सड़क निर्माण में गिट्टी की कई लेयर तैयार की जाती हैं, उसमें बड़ी मात्रा में गिट्टी की जरूरत पड़ती है।

अब केवल बेस तैयार करने में ही इसकी जरूरत पड़ेगी। पीपी वेस्ट से बनी सड़कों में लेयर का झंझट समाप्त हो जाएगा। ऐसा करके हम खनन कार्य को सीमित करके पहाड़ों को बचा सकते हैं। प्लास्टिक रोड एक वैश्विक पर्यावरणीय समस्या का समाधान भी प्रदान करता है। प्लास्टिक कचरे के बढ़ते पहाड़ को समाप्त करने में सहायक होगा।


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