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    महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं दिल्ली, भारी पड़ रही है पुलिस तंत्र की नाकामी

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Sat, 09 Dec 2017 06:58 PM (IST)

    दिल्ली महिलाओं के लिए है सबसे असुरक्षित है। गत वर्ष देश के सभी महानगरों व बड़े शहरों की तुलना में दिल्ली में दुष्कर्म की सबसे अधिक वारदातें हुईं।

    महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं दिल्ली, भारी पड़ रही है पुलिस तंत्र की नाकामी

    नई दिल्ली [जेएनएन]। देश की राजधानी दिल्ली महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं हैै। पुलिस के दावों के बावजूद देश के तमाम महानगरों व बड़े शहरों की तुलना में दिल्ली में महिला अपराध की स्थिति बद से बदतर है। बदमाशों में पुलिस के प्रति खौफ नहीं है। पीड़ितों में भी पुलिस के प्रति भरोसा नहीं है।

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    महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं दिल्ली 

    नरेला में सरेआम महिला कार्यकर्ता को निर्वस्त्र घुमाए जाने की घटना पुलिस के दावों की पोल खोल रही है। दरअसल पुलिस तंत्र की निष्क्रियता के कारण महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध को नियंत्रित नहीं किया जा पा रहा है। इसकी पुष्टि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट भी कर रही है। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली महिलाओं के लिए है सबसे असुरक्षित है। गत वर्ष देश के सभी महानगरों व बड़े शहरों की तुलना में दिल्ली में दुष्कर्म की सबसे अधिक वारदातें हुईं।

    ज्यादा मुकदमे दर्ज होने के कारण बढ़े आंकड़े

    दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक का मानना है कि ज्यादा मुकदमे दर्ज होने के कारण दिल्ली में महिला अपराध के आंकड़े बढ़े रहे हैं। उनका कहना है कि महिला अपराध के मामले में यदि मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता है तो पुलिस अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है। महिला अपराध को कम करने के लिए पुलिस तकनीक का सहारा लेने के अलावा शिष्टाचार, युवा, जनसपंर्क का सहारा ले रही है।

    महिलाओं की सुरक्षा के लिए हिम्मत एप बनाया गया है। वहीं, कॉल सेंटर में देर रात आने-जाने वाली महिला कर्मियों के लिए नियोक्ता द्वारा वाहन उपलब्ध करवाए गए हैं। दुष्कर्म के आरोपियों के खिलाफ स्पीड ट्रायल चला उन्हें जल्द से जल्द सजा दिलाई जा रही है।

    क्या कहते हैं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े

    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े पुलिस के दावों को आइना दिखाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक देश के 19 बड़े शहरों व महानगरों की तुलना में पिछले वर्ष दिल्ली में दुष्कर्म की 1996, मुंबई में 712, पुणे में 354 व जयपुर में 330 दुष्कर्म की वारदातें हुईं। सामूहिक दुष्कर्म के मामले में भी दिल्ली में सबसे अधिक 79 वारदातें हुईं। दूसरे नंबर पर मुंबई में सामूहिक दुष्कर्म की 14 वारदातें हुईं।

    बंधक बनाकर कई दिनों तक दुष्कर्म करने की घटना भी केवल दिल्ली व अहमदाबाद में हुई। इन दोनों शहरों में बंधक बनाकर दुष्कर्म करने की एक-एक घटनाएं हुईं। दुष्कर्म के प्रयास के मामले में भी देश के 19 बड़े शहरों व महानगरों में सबसे अधिक 29 वारदातें दिल्ली में हुईं। गाजियाबाद का स्थान दूसरे नंबर पर है।

    क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट 

    उधर निजी संस्था प्रजा फाउंडेशन ने जब सर्वे करवाया तो पाया कि दिल्ली की 60 फीसद जनता महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए शहर को सुरक्षित नहीं मानते। सर्वे के मुताबिक दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध में लगातार वृद्धि हो रही है। सन 2016 में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के कुल 3969 मामले दर्ज हुए थे।

    वहीं, अपहरण के मामले में करीब 60 फीसद घटना की शिकार महिलाएं हुई थीं। फाउंडेशन के मुताबिक दिल्ली में पॉक्सो एक्ट (18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ होने वाले लैंगिक अपराध पर लगाया जाने वाला विशेष कानून) के तहत होने वाले अपराध की संख्या ज्यादा है।

    पुलिस विभाग में कर्मियों की भारी कमी

    रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस विभाग में कर्मियों की भारी कमी है। वहीं, राजनीतिक इच्छा शक्ति नहीं होने से महिला अपराध पर लगाम नहीं लग पा रही है। निर्भया कांड की घटना के बाद बने निर्भया फंड से दिल्ली पुलिस को हर वर्ष अतिरिक्त बजट मिलता है। इसके तहत सुनसान स्थान पर कैमरे लगाए जाने के अलावा महिला पुलिस कर्मियों की अलग से तैनाती, महिला हेल्प डेस्क सहित महिला सुरक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए अन्य व्यवस्था करनी थी। लेकिन इनपर पुख्ता कार्रवाई अभी तक नहीं हो पाई है। 

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