Move to Jagran APP

Service Tax in Restaurants: रेस्टोरेंट में सेवा शुल्क लेने पर रोक लगाने के दिशानिर्देश पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- विचार करने की आवश्यकता

Service Tax in Restaurants- सेवा शुल्क लगाना 80 से अधिक वर्षों से आतिथ्य उद्योग में एक स्थायी प्रथा रही है। याचिका में कहा गया है कि मई में उपभोक्ता मामलों के विभाग ने सेवा शुल्का मामला उठाया था। दो जून को बैठक होगी जिसमें इस पर चर्चा होगी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 20 Jul 2022 05:41 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jul 2022 05:41 PM (IST)
Service Tax in Restaurants: रेस्टोरेंट में सेवा शुल्क लेने पर रोक लगाने के दिशानिर्देश पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- विचार करने की आवश्यकता
रेस्तरां संचालकों की चुनौती याचिका पर केंद्र सरकार व सीसीपीए समेत अन्य से मांगा जवाब

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Service Tax in Restaurants- होटल और रेस्तरां को खाने के बिलों पर स्वत: ही सेवा शुल्क लगाने से रोकने के हालिया दिशानिर्देशों पर दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने कहा कि मामले पर विचार करने की जरूरत है, ऐसे में 25 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई में जब तक इस पर विचार नहीं किया जाता है तब तक चार जुलाई को जारी दिशानिर्देश पर लगाई गई रोक जारी रहेगी।

loksabha election banner

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को यह सुनिश्चित करने पर यह रोक लागू होगी कि वे कीमत और करों के अलावा सेवा शुल्क की वसूली और इसका भुगतान करने के लिए ग्राहक की बाध्यता को मेनू या अन्य स्थानों पर विधिवत और प्रमुखता से प्रदर्शित करते हैं। इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं को किसी भी टेक-अवे आइटम पर सेवा शुल्क नहीं लगाने का भी वचन देना होगा। पीठ ने कहा कि यदि आप सेवा शुल्क का भुगतान नहीं करना चाहते हैं, तो रेस्तरां में प्रवेश न करें। यह अंततः पसंद का सवाल है। अदालत इन दो शर्तों के अधीन पैरा-सात के तहत जारी किए गए दिशानिर्देशों पर रोक लगाती है।

अधिवक्ता नीना गुप्ता के माध्यम से याचिका दायर कर नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन आफ इंडिया (एनआरएआइ) ने सीसीपीए के चार जुलाई के उस दिशानिर्देशों को चुनौती दी गई थी, जिसमें होटल और रेस्तरां को स्वचालित रूप से या खाद्य बिलों में अपवाद स्वरूप सेवा शुल्क लगाने से रोक लगा दी गई थी। दिशानिर्देशों को रद करने की मांग करते हुए याचिकाकर्ताओं ने इसे मनमाना अस्थिर बताया।

उन्होंने कहा कि सेवा शुल्क लगाना 80 से अधिक वर्षों से आतिथ्य उद्योग में एक स्थायी प्रथा रही है। याचिका में कहा गया है कि मई में उपभोक्ता मामलों के विभाग ने सेवा शुल्का मामला उठाया था और कहा था कि इसे लेकर दो जून को बैठक होगी, जिसमें इस पर चर्चा होगी। हालांकि, इस बैठक में याचिकाकर्ता संघ ने अपना रुख बता दिया था कि सेवा शुल्क दुनिया भर में एक सामान्य और स्वीकृत प्रथा है, लेकिन बैठक में उठाए गए तथ्यों पर विचार किए बगैर उक्त दिशानिर्देश जारी किया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.