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    अब्दुल करीम तेलगी के 15 साल बाद दिल्ली में फिर सामने आया नकली स्टांप का जिन्न

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    Updated: Fri, 31 Aug 2018 06:15 PM (IST)

    अब्दुल करीम तेलगी को 2007 में 30 वर्ष की सजा हुई थी। वह मधुमेह, उच्च रक्तचाप और एड्स समेत कई बीमारियों से पीड़ित था। 23 अगस्त 2017 को उसकी मौत हुई थी।

    अब्दुल करीम तेलगी के 15 साल बाद दिल्ली में फिर सामने आया नकली स्टांप का जिन्न

    नई दिल्ली (जेएनएन)। देश के चर्चित अब्दुल करीम तेलगी घोटाला केस के तहत 20 हजार करोड़ रुपये के स्टांप पेपर घोटाले का मामला सामने आया था। इसके लिए अब्दुल करीम तेलगी पर 202 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। इसके बाद देश भर में स्टांप पेपर को सुरक्षित बनाने के लिए कई उपाय किए गए। अब एक बार फिर दिल्ली में फर्जी स्टांप पेपर बेचने का मामला सामने आया है। मामले में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया है। अब्दूल करीब तेलगी कांड के 15 साल बाद वैसा ही घोटाला सामने आने से जांच एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है।

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    घर की रजिस्ट्री करानी हो या रेंट एग्रीमेंट या कोई अन्य कार्य जिसमें स्टांप पेपर की आवश्यकता हो तो सतर्क हो जाएं। अगर आप किसी कोर्ट परिसर में ये सोचकर स्टांप खरीदने जा रहे हैं कि वहां तो स्टांप असली ही मिलेंगे तो ये खबर आपकी गलतफहमी दूर कर देगी। जी हां, दिल्ली की एक अदालत में फर्जी स्टांप पेपर बेचने के आरोप में पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार किया है। इसके बाद दिल्ली की अन्य अदालतों में फर्जी स्टांप पेपर बेचे जाने की चर्चा शुरू हो गई है।
    राजधानी में नकली स्टांप पेपर बेचे जाने का मामला करीब डेढ़ दशक बाद फिर सामने आया है। पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में नकली स्टांप पेपर बेचने पर वेंडर के बेटे को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसकी पहचान मुहम्मद फरमान रोहिला खान के रूप में हुई है। उसके खिलाफ एक लॉ फर्म ने तिलकमार्ग थाने में शिकायत दी थी।

    वर्षों पूर्व अब्दुल करीम तेलगी द्वारा हजारों करोड़ रुपये का स्टांप पेपर घोटाला करने के बाद सरकार ने फर्जीवाड़ा रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। माना जा रहा था कि अब कोई भी स्टांप पेपर में हेराफेरी नहीं कर पाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पुलिस के मुताबिक फरहान दरियागंज का रहने वाला है। उसके पिता गुफरान व तीन अन्य को पटियाला हाउस कोर्ट में स्टांप पेपर बेचने का लाइसेंस मिला है।

    अगस्त में के एंड एस पार्टनर्स लॉ फर्म ने फरहान से ढाई लाख रुपये के स्टांप पेपर लिए थे। उसे ऑनलाइन पैसा दिया गया था। लॉ फर्म ने कुछ स्टांप पेपर का उपयोग असिस्टेंट कंट्रोलर ऑफ पेटेंट एंड डिजाइन के काम के लिए किया था। असिस्टेंट कंट्रोलर ऑफ पेटेंट एंड डिजाइन के अधिकारी ने जब स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर स्टांप पेपर चेक किए तो वो नकली निकले।

    वेंडर ने 10 रुपये के स्टांप पेपर पर एक जीरो और टाइप कर उसे 100 रुपये का बनाकर बेच दिया था। अधिकारी ने इसकी शिकायत लॉ फर्म से की। लॉ फर्म ने चेक किया तो इरफान से खरीदे गए सभी 61 स्टांप पेपर नकली निकले। 17 अगस्त को लॉ फर्म के अधिकारी ने तिलक मार्ग थाने में थानाध्यक्ष नरेश कुमार सोलंकी को वेंडर के खिलाफ लिखित शिकायत दी।
    जांच में फर्जीवाड़े का मामला सामने आने पर 20 अगस्त को मुकदमा दर्ज कर फरहान को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसने बताया कि ऑनलाइन स्टांप पेपर का प्रिंट निकालने के बाद वह ब्लेड से 100 के स्टांप पेपर में एक को मिटाकर उसकी जगह पांच टाइप कर देता था और उसके नीचे शब्दों में भी पांच सौ टाइप कर देता था।

    पंद्रह साल से नहीं मिली थी शिकायत
    पुलिस अधिकारियों का कहना है कि तेलगी का मामला सामने आने के बाद करीब पंद्रह साल से नकली स्टांप पेपर बेचे जाने की शिकायत सरकार व पुलिस के पास नहीं आई थी। वर्षो बाद अब यह मामला सामने आने पर सरकार को फर्जीवाड़ा रोकने के लिए फिर से ठोस कदम उठाने चाहिए।

    प्रक्रिया में हुआ था बदलाव
    तेलगी कांड के बाद सरकार ने स्टांप पेपर बेचने की प्रक्रिया में बदलाव कर दिया था। अदालतों में वेंडरों का कोड निर्धारित किया गया था। अगर किसी को स्टांप पेपर की जरूरत होती है तो वह अदालत में निर्धारित वेंडरों के पास जाकर उनके पास पैसा जमा करते हैं। वेंडर सरकार की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन स्टांप पेपर खरीदते हैं और उसका प्रिंट आउट निकालकर जरूरतमंदों को दे देते हैं। जांच के दौरान स्टांप पेपर नकली पाए जाने पर कोड के जरिये वेंडर को आसानी से पकड़ा जा सकता है।

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