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Coronavirus: दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर की पत्नी और बेटी भी घर लौटीं

Coronavirus निजी स्कूल में 12वीं में पढ़ने वाली बेटी ने बताया कि उनकी परीक्षा 14 मार्च को खत्म हो गई थी। इसके बाद 18 मार्च को उनके पिता जीटीबी अस्पताल में भर्ती हो गए थे।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 09 Apr 2020 03:09 PM (IST)Updated: Thu, 09 Apr 2020 03:09 PM (IST)
Coronavirus: दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर की पत्नी और बेटी भी घर लौटीं
Coronavirus: दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर की पत्नी और बेटी भी घर लौटीं

नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। सऊदी अरब से लौटी महिला के संपर्क में आने से कोरोना संक्रमित हुए मोहनपुरी के मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर के बाद अब उनकी पत्नी और बेटी भी स्वस्थ होकर अपने घर लौट आई हैं। दोनों को जीटीबी अस्पताल से बुधवार शाम छुट्टी मिल गई। हालांकि उन्हें अभी घर में 14 दिन क्वारंटाइन में ही रहना है। उनकी पत्नी भी जनता कॉलोनी के मोहल्ला क्लीनिक में डॉक्टर हैं।

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उनकी बेटी ने इसी साल 12वीं की परीक्षा दी है। बता दें कि गत रविवार को डॉक्टर को सफदरजंग अस्पताल से छुट्टी मिली थी। इसके बाद से वह भी दिलशाद गार्डन स्थित अपने घर में क्वारंटाइन हैं। लेकिन तीनों के कोरोना पर जीतकर घर लौट आने से परिवार ने राहत की सांस ली है।

निजी स्कूल में 12वीं में पढ़ने वाली बेटी ने बताया कि उनकी परीक्षा 14 मार्च को खत्म हो गई थी। इसके बाद 18 मार्च को उनके पिता जीटीबी अस्पताल में भर्ती हो गए थे। 21 मार्च को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद वह अपनी मां के साथ जीटीबी अस्पताल में भर्ती हो गई। दोनों की जांच में भी कोरोना की पुष्टि हुई थी। जीटीबी अस्पताल में 18 दिन भर्ती रहने के दौरान मां-बेटी ने कभी नकारात्मक सोच को दिमाग में हावी नहीं होने दिया। उन्होंने बताया कि 23 मार्च की रात में हालत गंभीर होने पर जब उनके पिता को सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया था तो थोड़ा डर लगा था। लेकिन 24 मार्च को वह आइसीयू से बाहर आ गए थे।

इसके बाद उन्हें लगने लगा कि अब सभी लोग ठीक होकर घर पहुंच जाएंगे। उन्होंने बताया कि जीटीबी अस्पताल में वह अपनी मां के साथ एक ही वार्ड में रहीं। लेकिन आखिरी दो दिन अलग हो गए थे क्योंकि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी थी। मां की रिपोर्ट दो दिन बाद आई। उनकी मां ने जीटीबी अस्पताल की डॉक्टरों खासकर डॉ. शिवा को धन्यवाद किया।

उनका कहना है कि यहां डॉक्टरों ने उनका और उनकी बेटी का पूरा ख्याल रखा। उन्होंने कहा कि इस बीमारी में धैर्य और संयम बहुत जरूरी है। क्योंकि मरीजों को यहां अकेले रहना पड़ता है। वह किसी का चेहरा नहीं देख पाते। मैं अपनी बेटी को देख सकती थी। इस वजह से उन्हें उस दौर से नहीं गुजरना पड़ा जिससे अन्य मरीज गुजरेंगे। लेकिन इसका इलाज लंबा है। लोगों को डॉक्टरों पर विश्वास रखना चाहिए। इस बीमारी से अधिकतर मरीज ठीक हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके मोहल्ला क्लीनिक में कोई संक्रमित नहीं हुआ। ये उनके लिए राहत की बात है।

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