Delhi Zoo: राष्ट्रीय प्राणी उद्यान कुप्रबंधन से वन्यजीवों की मौत का सिलसिला जारी
National Zoological Park राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में वन्यजीवों की मौत का सिलसिला जारी है। पिछले एक साल में कई वन्यजीवों की मौत हो चुकी है। चिड़ियाघर प्रबंधन की लापरवाही के कारण वन्यजीवों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। भविष्य में आक्रामकता के आधार पर वन्यजीवों के मिश्रण व अलगाव के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। इस लेख के माध्यम पूरी खबर विस्तार से जानिए।

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में आए दिन एक वन्यजीव को कुप्रबंधन का खामियाजा अपना दम तोड़कर चुकाना पड़ रहा है। यहां बीते एक वर्ष से वन्यजीवों की सुरक्षा पूरी तरह से ताख पर रखी है।
कहीं दो जानवरों की आपस में लड़ाई से मौत हो रही है तो कहीं ठंड लगने से तो किसी की विभिन्न तरह की बीमारी से। वन्यजीवों की इस तरह से लगातार हो रही मौत के बाद भी चिड़ियाघर प्रबंधन के जूं तक नहीं रेंग रही है।
मादा हिरण की मौके पर ही मौत
मंगलवार को दो स्टंप-टेल्ड मैकाक (बंदर की एक प्रजाति) की आपसी लड़ाई हो गई। इसमें दोनों को चोटें आई हैं, जिसके बाद दोनों को चिड़ियाघर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके पहले शुक्रवार यानि 24 जनवरी की तड़के सुबह एक नर संगाई (मणिपुर हिरण) ने मादा संगाई हिरण पर आक्रामक हमला कर दिया।
हमला इतना ज्यादा था कि मादा हिरण की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं, 22 जनवरी को यहां पर दो नर नीलगाय आपस में लड़ गए थे, जिसमें एक को गंभीर चोटें आई थी, प्रबंधन ने दोनों को अलग करने के लिए डंडों का इस्तेमाल किया था।
जबकि पशु कल्याण अधिनियम के तहत डंडों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए था। इससे पहले असम चिड़ियाघर से आए नर गैंडे की पेट में कीड़े होने से, बबून व भालू की ठंड लगने से मौत हो चुकी है। प्रशासन की लापरवाही का गंभीर खामियाजा अब वन्यजीव अपनी जान देकर भुगत रहे हैं।
स्टंप टेल्ड मकाक झुंड में रहते हैं और कभी-कभी नर भी लड़ते हैं। इनमें कोई गंभीर लड़ाई नहीं हुई और समय रहते रखवालों और पशु चिकित्सक की टीम उन्हें उपचार के लिए अस्पताल ले गई। भविष्य में आक्रामकता के आधार पर वन्यजीवों के मिश्रण व अलगाव के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
भर्ती नियमों में आवश्यक संशोधन और कर्मचारियों के कैडर के पुनर्गठन के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। रखवालों और अन्य कर्मचारियों के लिए चिड़ियाघर प्रबंधन में एक्सपोजर प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। डॉ. संजीत कुमार, निदेशक, दिल्ली चिड़ियाघर
सही समय पर नहीं किया गया नर और मादा हिरणों को अलग
वन्यजीव से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक प्रजनन का मौसम खत्म होने के बाद हिरण का टेस्टोस्टेरोन का स्तर गिर जाता है और सींग के आधार (पेडीसेल) पर ऊतक और हड्डी में कमजोरी आ जाती है, जिससे सींग गिर जाते हैं।। ऐसे में हिरण प्रजनन के मौसम के बाद अपने सींग खो देते हैं और कुछ माह बाद उनके सींग फिर से उग आते हैं।
इसलिए प्रजनन के मौसम में जब तक हिरणों के सींग रहते हैं तब तक नर व मादा हिरण को अलग-अलग रखा जाता है। चूंकि उनमें वर्चस्व के चलते आपसी लड़ाई के चलते सींग लगने से गंभीर चोटें लगने का खतरा रहता है।
अब दिल्ली चिड़ियाघर में हिरणों के अभी तक सींग नहीं गिरे हैं और चिड़ियाघर प्रबंधन को उनको नवंबर-दिसंबर के आसपास ही नर व मादा हिरण को अलग-अलग रखना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अब सवाल उठता है कि प्रबंधन जो वन्यजीवों के प्रजनन को बढ़ाने की बात करता है क्या वो एक के बाद एक वन्यजीवों की मौत के बाद ऐसे लापरवाही भरे माहौल में जनसंख्या बढ़ा सकता हैं?
गैर-अनुभवी कर्मी कर रहे हैं वन्यजीवों की देखभाल
चिड़ियाघर में बीते वर्ष कर्मचारी चयन आयोग के जरिए मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) की भर्ती की गई। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा स्थापित भर्ती नियमों के तहत इन कर्मियों को कार्यालय के कार्य, जिसमें विभाग के अभिलेखों का रखरखाव, आफिस का कार्य करना था।
लेकिन चिड़ियाघर प्रशासन इन कर्मियों को 15 दिन का जानवरों के रखरखाव का प्रशिक्षण देकर उनसे जानवरों के बाड़े की सफाई, जानवरों की देखभाल करा रहा है।
अब एमटीएस के 2021 के भर्ती नियमों को जब देखा गया तो उसमें आवेदकों से किसी तरह का कोई अनुभव नहीं मांगा गया था, बस शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास, समकक्ष या आईटीआई जरूरी थी।
वहीं, इससे पहले वर्ष 1994 के भर्ती नियमों में सभी पदों के लिए अलग नियम, पे मैट्रिक्स और अनुभव था। इसमें जानवरों को कैद में रखने का एक से पांच वर्ष तक का अनुभव अनिवार्य था। अब सवाल उठता है कि इतने महत्वपूर्ण कार्य के लिए क्या वाकई कर्मियों को किसी अनुभव की जरूरत नहीं है?
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