Delhi Election Result: लगातार तीसरी बार 'शून्य' पर आउट हुई कांग्रेस, करारी हार की बड़ी वजह आई सामने
Reason for Congresss defeat कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में फिर से निराशाजनक प्रदर्शन किया है। पार्टी की इस हार के लिए शीर्ष नेतृत्व की हीला-हवा ...और पढ़ें

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव का मुकाबला त्रिकोणीय बना देने के बावजूद अगर कांग्रेस तीसरी बार भी अपना ''खाता'' नहीं खोल सकी तो इसके लिए शीर्ष पार्टी नेतृत्व की हीला-हवाली जिम्मेदार है।
पार्टी की प्रदेश इकाई की भरसक कोशिशों के बावजूद शायद शीर्ष नेताओं के लिए यह चुनाव बहुत मायने रखता ही ना था। इसीलिए प्रचार के नाम पर महज खानापूर्ति की गई।
मई 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान शीर्ष पार्टी नेतृत्व ने मनमानी की थी। प्रदेश इकाई के विरोध पर भी आप के साथ गठबंधन का निर्णय थोप दिया। यही नहीं, उदित राज एवं कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी भी ऊपर से ही तय की गई।
लवली सहित अनेक पूर्व विधायकों ने छोड़ी पार्टी
नतीजा, तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली सहित अनेक पूर्व विधायकों ने पार्टी छोड़ दी। इससे पार्टी भी कमजोर हुई और गठबंधन के बावजूद दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटें भाजपा ने जीत ली।

फोटो एएनआई
लोकसभा चुनाव के दौरान चुनौतीपूर्ण समय में पार्टी की कमान पंजाब कांग्रेस के प्रभारी व दिल्ली से विधायक रह चुके देवेंद्र यादव को दी गई। यादव ने महज आठ माह में खूब मेहनत कर न सिर्फ संगठन को मजबूत किया बल्कि आप और भाजपा के साथ कांग्रेस को भी मुकाबले में ला खड़ा किया।
राहुल व प्रियंका गांधी कांग्रेस की न्याय यात्रा में नहीं हुए शामिल
विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ही यादव ने एक माह लंबी न्याय यात्रा निकाली। इसमें सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया गया। लेकिन एक भी दिन वरिष्ठ पार्टी नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इसमें शरीक नहीं हुए। यहां तक कि इसके समापन समारोह में भी पूर्व सहमति दे देने के बावजूद नहीं पहुंचे।
अब यदि दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार पर आएं तो राहुल गांधी ने 13 जनवरी को सीलमपुर में पहली जनसभा की। इसके बाद वह गले में संक्रमण व बुखार होने के चलते दो सप्ताह की ''छुट्टी'' पर चले गए। दोबारा वह 28 जनवरी को चुनाव प्रचार में उतरे।
इसी दिन प्रियंका और खरगे ने भी पदार्पण किया। जबकि तीन फरवरी प्रचार का आखिरी दिन था। इस आधे अधूरे प्रचार ने कांग्रेस का ग्राफ फिर से नीचे कर दिया। वह भी तब जब आप एवं भाजपा के प्रचार में उनके शीर्षस्थ नेता उतरे हुए थे।
ज्यादातर नेताओें ने केवल औपचारिकता ही निभाई
इतना ही नहीं, पार्टी के 40 स्टार प्रचारकों की सूची में से भी ज्यादातर नेताओें ने केवल औपचारिकता ही निभाई। कुछ प्रदेश पार्टी कार्यालय में पत्रकार वार्ता करने तक ही रह गए तो प्रचार के आखिरी समय में जनसभा करने के लिए पहुंचे।
प्रदेश कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने भी नाम न छापने के अनुरोध पर इस कड़वे सच को स्वीकार किया है। उनका कहना है कि जिस तरह भाजपा को उनके शीर्ष नेतृत्व का साथ पूरी शिद्दत और गंभीरता से मिलता है, वैसे ही जब तक कांग्रेस को उसके शीर्ष नेतृत्व से नहीं मिल पाएगा, पार्टी का उद्धार भी नहीं ही हो सकेगा।

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