CM रेखा गुप्ता के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या? भाजपा के घोषणापत्र में किए गए हैं ये वादे
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के सामने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की बड़ी चुनौती है। आयुष्मान भारत योजना का क्रियान्वयन अस्पतालों की लंबित परियोजनाओं को पूरा करना हर जिले में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाना डॉक्टरों और कर्मचारियों की कमी को दूर करना प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाना जैसे मुद्दे उनके सामने हैं। भाजपा के घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा करना भी उनकी प्राथमिकता होगी।

रणविजय सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली की सत्ता पर 27 वर्षों बाद काबिज हुई भाजपा सरकार ने अपने वादे के मुताबिक, मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) को स्वीकृति देकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए।
यह योजना लागू होने से गरीबों और 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को बड़ी राहत मिलेगी, लेकिन एक बड़ी मध्यवर्गीय आबादी इस योजना के दायरे में नहीं आती, इसलिए सिर्फ इस योजना के सहारे दिल्ली के हर व्यक्ति को नि:शुल्क व किफायती इलाज उपलब्ध नहीं कराया जा सकता।
सीएम रेखा गुप्ता के सामने बड़ी चुनौती
दिल्ली के सरकारी अस्पतालों पर दूसरे राज्यों से आए मरीजों के इलाज का दारोमदार होता है। ऐसे में अस्पतालों की लंबित परियोजनाएं पूरी करना और हर जिले में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाकर दिल्ली के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करना रेखा सरकार की चुनौती होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, एक हजार की आबादी पर अस्पतालों में पांच बेड उपलब्ध होने चाहिए। दिल्ली में अभी एक हजार की आबादी पर 2.70 बेड उपलब्ध हैं। यह स्वास्थ्य के कमजोर ढांचे को बयां कर रहा है।
यही वजह है कि बड़े सरकारी अस्पतालों की ओपीडी, दवा काउंटर पर मरीज घंटों कतार में लगने को मजबूर हैं। जांच व इलाज में वेटिंग बड़ी समस्या है। स्थिति यह है कि दिल्ली सरकार के अस्पताल डॉक्टरों, नर्सिंग व पैरामेडिकल कर्मियों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। अल्ट्रासाउंड, अल्ट्रासाउंड डाप्लर, सीटी स्कैन, एमआरआई, पेट- सीटी जैसी रेडियोलॉजी जांच की सुविधाओं का भी अभाव है। हाई कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट में भी इन समस्याओं को उठाया गया था।
बजट की कमी और टकराव से परियोजनाएं लंबित
वर्तमान में 24 अस्पतालों की परियोजनाएं लंबित हैं। इनमें सात आईसीयू अस्पताल, चार नए अस्पताल और 13 वर्तमान अस्पतालों की विस्तार परियोजनाएं शामिल हैं। ये परियोजनाएं पूरी होने पर दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 16,186 बेड बढ़ जाएंगे। छह अस्पतालों का निर्माण कार्य 90 से 99% व चार अस्पतालों का कार्य 80 से 89% हो चुका है। बजट की कमी और पिछली सरकार व अधिकारियों के बीच टकराव के कारण योजनाएं लंबित रह गईं।
पिछले वर्ष अगस्त में स्वास्थ्य विभाग के तीन आईएएस अधिकारियों द्वारा दिल्ली के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री को लिखे पत्र के अनुसार अस्पतालों की ये परियोजनाएं करीब 5,590 करोड़ की लागत से शुरू हुई थीं। निर्माण में विलंब के कारण बजट बढ़कर करीब दोगुना हो चुका है। इस वजह से परियोजनाओं को पूरा कर इन अस्पतालों में चिकित्सा सेवा शुरू करने के लिए करीब पांच हजार करोड़ अतिरिक्त बजट की जरूरत होगी।
वर्ष 2022-23 में स्वास्थ्य का बजट 9,769 करोड़ और वर्ष 2023-24 में 9,742 करोड़ था, जो वर्ष 2024-25 में घटकर 8,685 करोड़ रह गया। स्वास्थ्य बजट का बड़ा हिस्सा मौजूदा अस्पतालों के संचालन व कर्मचारियों के वेतन पर खर्च होता। ऐसे में स्वास्थ्य परियोजनाओं के लिए आवश्यक बजट जुटाना नई सरकार के लिए चुनौती है।
ट्रामा व इमरजेंसी सेवा बढ़ाने की जरूरत
दिल्ली में सड़क हादसे में हजारों लोग प्रभावित होते हैं। फिर भी हादसा पीड़ितों के इलाज के लिए दिल्ली में सिर्फ दो ट्रामा सेंटर हैं। इसमें भी दिल्ली सरकार के सुश्रुत ट्रामा सेंटर की हालत ठीक नहीं है। इस वजह से हाई कोर्ट द्वारा गठित कमेटी भी दिल्ली के सभी जिलों में इमरजेंसी व ट्रामा सेंटर की सुविधा बढ़ाने की सिफारिश की थी, ताकि हादसा पीड़ितों को जल्दी इलाज मिल सके।
आईसीयू बेड दोगुना करने की जरूरत
दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 1,058 आईसीयू बेड हैं। हाई कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने वर्ष 2028 तक अस्पतालों में आईसीयू बेड बढ़ाकर दोगुना करने की सिफारिश की थी, ताकि जरूरतमंद मरीजों को जरूरत पड़ने पर आईसीयू बेड मिल सके। साथ ही केंद्र व दिल्ली सरकार अस्पतालों के बीच बेहतर रेफरल सिस्टम बनाए जाने की जरूरत है। इसके लिए एम्स प्रशासन भी सिफारिश कर चुका और अस्पतालों के बेड की निगरानी के लिए ऑनलाइन डैशबोर्ड जारी करने का सुझाव दे चुका है।
प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाना जरूरी
लोगों को घर के नजदीक स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं भी बढ़ाने की जरूरत है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 में दिल्ली के लिए पीएम आयुष्मान भारत इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन स्कीम (पीएम एबीएचआइएम) के तहत 2406.77 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को स्वीकृति दी थी। जिसे आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने लागू नहीं किया।
इस योजना के तहत 1,139 अर्बन आयुष्मान आरोग्य मंदिर, 11 एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य लैब व नौ क्रिटिकल केयर सेंटर बनाए जाने हैं। अब स्वास्थ्य विभाग ने इस योजना पर भी अमल के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके तहत मौजूदा 553 मोहल्ला क्लीनिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर में तबदील किए जाएंगे और 419 अतिरिक्त आयुष्मान आरोग्य मंदिर बनाए जाएंगे। इसके लिए उचित जगह की तलाश करना और डॉक्टरों व कर्मचारियों की नियुक्ति भी चुनौती होगी।
भाजपा के घोषणापत्र में किए गए हैं ये वादे
भाजपा ने घोषणापत्र में आयुष्मान भारत योजना में शामिल सभी सरकारी अस्पतालों में महिलाओं के लिए मुफ्त सर्विकल व ओवेरियन कैंसर की स्क्रीनिंग की सुविधा उपलब्ध कराने का वादा किया है। मोहल्ला क्लीनिक को आयुष्मान आरोग्य मंदिर में तब्दील कर गर्भवती महिलाओं व शिशुओं के इलाज की व्यवस्था, संक्रामक व गैर संक्रामक बीमारियों की जांच व स्क्रीनिंग की सुविधा शुरू होगी। पीएम-एबीएचआइएम लागू होगा।
मरीजों को उपलब्ध हों सस्ती दवाएं
हर जिले में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का निर्माण कराने का वादा भी किया है। सात नए मेडिकल कालेज, नर्सिंग व फार्मेसी के मेडिकल कॉलेज शुरू होंगे। डॉक्टर, नर्सिंग व पैरामेडिकल कर्मियों की कमी दूर करने के लिए समयबद्ध नियुक्ति होंगी। 500 जन औषधि केंद्र खोले जाएंगे, ताकि मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध हों। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के अंतर्गत सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
मोहल्ला क्लीनिक की योजना से प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की उम्मीद थी, लेकिन सुधार के प्रचार अधिक हुए और काम कम। अस्पतालों व मोहल्ला क्लीनिक दवा, डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी बढ़ गई। मोहल्ला क्लीनिक में डॉक्टरों व कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है। आयुष्मान योजना को शुरू करना बेहद जरूरी है। यद्यपि इस योजना के अंतर्गत इलाज के पैकेज बड़े कारपोरेट अस्पतालों के लिए चिंता का विषय रहा है, लेकिन दिल्ली में बड़ी संख्या में मध्यम व छोटे निजी अस्पताल हैं, जिसमें मरीजों को इस योजना में मुफ्त इलाज का लाभ मिलेगा। दिल्ली को देखते हुए आयुष्मान भारत योजना में इलाज के पैकेज को संशोधित भी किया जाना चाहिए। - डॉ. विनय अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए)
प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं मोहल्ला क्लीनिक के नाम पर खराब हो गईं। सबसे पहले वर्तमान समय में मौजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व मातृ एवं शिशु कल्याण केंद्रों में एक्सरे, अल्ट्रासाउंड व ब्लड जांच के उपकरण लगाए जाने चाहिए। दिल्ली में 38 मातृ एवं शिशु कल्याण केंद्र हैं। इनमें गर्भवती महिलाओं के इलाज की सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व अस्पतालों में अच्छे वेतन पर डाक्टरों की नियुक्ति कर कर्मचारियों की कमी दूर की जानी चाहिए। आयुष्मान योजना को ठीक से लागू करना चाहिए, ताकि मरीजों को उसका लाभ मिल सके। - डॉ. अजय लेखी, पूर्व अध्यक्ष, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए)
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