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    Interview: 1 लाख करोड़ का बजट, लेकिन CM रेखा के सामने कई चुनौतियां; इंटरव्यू में बताया विकसित दिल्ली का रोडमैप

    राजधानी की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विकसित दिल्ली के लिए अब तक का सबसे बड़ा एक लाख करोड़ का बजट पेश किया है। लेकिन इस दौरान उनके सामने कई बड़ी चुनौतियां भी होंगी। सीएम रेखा गुप्ता इन चुनौतियों से कैसे सामने करेंगी यह उन्होंने दैनिक जागरण को दिए इंटरव्यू में खुलकर बताया है। आगे विस्तार से पढ़िए इंटरव्यू के हर सवाल का जवाब।

    By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Thu, 27 Mar 2025 08:38 AM (IST)
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    दैनिक जागरण के साथ सीएम रेखा गुप्ता का खास इंटरव्यू। जागरण फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली की नई भाजपा सरकार ने एक लाख करोड़ का बजट प्रस्तुत कर दिल्ली को विकसित बनाने का खाका खींचा है। यह दिल्ली के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी बजट राशि है। जनता की अपेक्षा है कि हर क्षेत्र में समान रूप से विकास हो। इसके लिए क्या होगा सरकार का रोडमैप और उसके सामने किस तरह की आएंगी चुनौतियां? इनसे कैसे पार पाएगी सरकार? 

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    इन सभी मुद्दों पर दैनिक जागरण एनसीआर के संपादकीय प्रभारी महेश शुक्ल, इनपुट हेड सौरभ श्रीवास्तव, राज्य ब्यूरो प्रमुख संतोष कुमार सिंह और दिल्ली के रिपोर्टिंग प्रभारी स्वदेश कुमार के साथ मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विस्तार से बातचीत की। 

    इसमें मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि हमारे पास शून्य से शुरुआत करने की चुनौती है। मैं कोशिश करूंगी और काम करती चलूंगी तो चुनौतियां भी कम होंगी। कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। पढ़िए मुख्य अंश...

    (सीएम रेखा गुप्ता ने दिया हर सवाल का जवाब। जागरण)

    आपने एक लाख करोड़ का बजट प्रस्तुत किया है, कई घोषणाएं की हैं, दिल्ली को विकसित दिल्ली बनाने को लेकर लोग आपकी घोषणाओं पर यकीन क्यों करें?

    दिल्ली को मोदी जी पर यकीन है। दिल्ली की जो सरकार बनी, वह उन्हीं के नेतृत्व में बनी है। हम सभी उनकी टीम के सदस्य हैं। लोगों को विश्वास है कि मोदी जी के नेतृत्व में देश जिस तरह तरक्की कर रहा है, उसी तरह दिल्ली का भी विकास होगा। मैं जहां भी जाती हूं, लोगों की आंखों में ढेरों आशाएं दिखती हैं कि मैं काम करूंगी, बहुत करूंगी। उनकी आंखों में दिखने वाली उम्मीदों से काम करने की ऊर्जा मिलती है। 

    क्या आपको लगता है कि पीएम मोदी का जनसभा में भाजपा की सरकार आने पर खुद दिल्ली को देखने वाला बयान विधानसभा चुनाव का टर्निंग प्वाइंट रहा? 

    दिल्ली के लोगों ने पुरानी सरकार को काम करने का पूरा मौका दिया। तीन बार उन्हें सत्ता सौंपी गई, लेकिन जनता को ये समझ में आ गया कि उनकी बातें सब ढकोसला थीं। दिल्ली देश की राजधानी है, दिल्ली के लोग स्मार्ट हैं, हर चीज में आगे रहते हैं, ऐसे में वे दिल्ली को क्यों पीछे रहने देते। उन्हें विश्वास है कि केंद्र सरकार के साथ मिलकर भाजपा ही दिल्ली का विकास कर सकती है। यह जनता ने समझा, अपना आशीर्वाद दिया और भाजपा को चुन लिया। 

    आपने बजट भाषण में कहा कि आपकी सरकार पीएम के विजन को आगे बढ़ा रही है। पीएम से आपको कैसे निर्देश मिलते रहते हैं और उनसे आपकी कितनी जल्दी-जल्दी मुलाकात होती है?

    (मुस्कुराते हुए) मोदी जी ने अपना विजन हमें दे दिया। उनकी बड़ी-बड़ी टीमें हैं, बड़े मंत्रालय हैं, उनके साथ सामंजस्य बनाकर काम किया जा रहा है और सारा काम आसानी से चल रहा है। यह समझ में आ गया है कि सिस्टम में लीकेज कहां-कहां हैं। उन लीकेज को भरने की दिशा में हम आगे चल पड़े हैं। सिस्टम पटरी पर आ जाएगा तो कोई कारण नहीं कि विकास गति नहीं पकड़ सके। 

    पीएम ने यह भी कहा कि 25 साल में दिल्ली को बहुत नुकसान हुआ है। आपने अब सत्ता संभाली है तो सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या देखती हैं? 

    मैं वर्तमान में बाकी देश के मुकाबले दिल्ली को सबसे पीछे देखती हूं। यहां का आधारभूत ढांचा दिल्ली के हिसाब से नहीं है। 700 झुग्गी क्लस्टरों में रहने वाले लाखों लोग शौचालय के लिए भी तरस रहे हैं, बहन-बेटियों को नहाने के लिए जगह नहीं है। फ्लाईओवर के नीचे या सड़कों के किनारे लोग आज भी तंबू डालकर पड़े हुए हैं। राजधानी होने के बावजूद दिल्ली की सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं, बारिश में पानी सड़कों पर जमा होता है। देश की राजधानी की यह हालत देखकर शून्य से शुरू करने जैसी स्थिति महसूस होती है। आज वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण की स्थिति देखिए, मुझे लगता है कि पिछले 10-15 वर्षों में ठीक से काम होता तो दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर नहीं होता। मुझे ये सभी चीजें चुनौती लगती हैं। 

    सड़कों पर गड्ढे दिल्ली की बहुत बड़ी समस्या हैं, इससे सड़क हादसे होते हैं और भीषण जाम भी लगता है। इस हालात को बदलने के लिए क्या कोई रोडमैप तैयार किया गया है? 

    सड़कें पीडब्ल्यूडी व अन्य कई एजेंसियों के पास हैं। सभी एजेंसियों को एक प्लेटफार्म पर लाकर एक एकीकृत रोडमैप तैयार किया गया है। हमें यह तकलीफ नहीं है कि किसकी एजेंसी है, सभी एक प्लेटफार्म पर काम करेंगे। सभी को लक्ष्य दे दिए गए हैं कि आपको इतने समय में इतना काम पूरा करना है। इसकी निगरानी भी होगी और सभी काम समय से पूरे भी किए जाएंगे। सभी की यही मंशा है कि दिल्ली को विकसित दिल्ली का रूप देना है। 

    आपने मुख्यमंत्री पद संभालते ही यमुना जी की चिंता शुरू कर दी, इस दिशा में कुछ काम शुरू भी हुआ है, लेकिन वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अब तक कुछ ठोस नहीं दिखा? 

    यमुना जी हमारे लिए पूज्य हैं और दिल्ली की जीवनरेखा हैं। यह सही है कि पदभार संभालते ही हमने यमुना जी को निर्मल बनाने के लिए काम शुरू कर दिया है और आगे आप इस काम में और तेजी देखेंगे। हमने बजट में भी इसके लिए समुचित प्रविधान किया है। वायु प्रदूषण के कई कारण हैं। सड़क परिवहन, धूल और आसपास के राज्यों से पराली इत्यादि के रूप में भी दिल्ली में वायु प्रदूषण हो रहा है। हमें हर दिशा में काम करना होगा। हम सड़कों के गड्ढे भरने पर काम करेंगे और स्प्रिंकलर्स, स्मोक गन लगाकर धूल से होने वाले प्रदूषण पर भी नियंत्रण करने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही परिवहन से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली के पूरे सार्वजनिक परिवहन को हम इलेक्ट्रिक करने के प्रयास कर रहे हैं।

    कहा कि जरूरत पड़ेगी तो बाहरी शहरों से आने वाले निजी व सार्वजनिक परिवहन के लिए भी आवश्यक नियम तय करेंगे। प्रदूषण पैदा करने वाले वाहनों की पहले जांच जरूरी है, इसके लिए भी योजना बनेगी। पहले जो स्प्रिंकलर मशीनें थीं, वे सिर्फ दो महीने चलती थीं, अब वो मानसून के दो महीने छोड़कर पूरे साल चलाई जाएंगी। दिल्ली के 250 वार्ड में से प्रत्येक में चार ऐसी स्प्रिंकलर मशीनयुक्त गाड़ियां तैनात की जाएंगी। गर्मियों में धूल से प्रदूषण सर्वाधिक होता है, ऐसे में इसे सिर्फ सर्दियों तक सीमित नहीं माना जा सकता। हमारी सरकार पूरे 12 महीने प्रदूषण रोकने पर काम करेगी। 

    पिछली सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर नई नीति नहीं बनाई, जिससे ईवी की बिक्री घटी है। आपकी सरकार नई ईवी नीति कब तक लाएगी? 

    देखिए, सरकार को बने अभी सिर्फ एक महीना हुआ है। उसमें भी होली आ गई और बजट आ गया। ऐसे में बहुत सारे काम अभी होने हैं, ईवी नीति पर भी काम होगा। अभी सप्ताह में सातों दिन सचिवालय में लोग मुख्यमंत्री को काम करते देख रहे हैं, जबकि पहले वाले सीएम सचिवालय गए ही नहीं थे। धीरज रखिए, सारे काम होंगे। 

    अनियोजित कालोनियों में लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो और नियोजित कालोनियों में रह रहे लोगों को राष्ट्रीय राजधानी में रहने जैसा फीलगुड हो, इसके लिए सरकार की क्या योजना है? 

    इसके लिए नए तरीके से टाउन प्लानिंग की जरूरत है। हम पानी, सीवरेज या अन्य जो भी काम कर रहे हैं, विशेषज्ञों की राय लेकर कर रहे हैं। अभी पहले सड़क बनाते हैं, फिर पाइपलाइन डालते हैं। अब ऐसा नहीं होगा। सीवर लाइन डलेगी तो अगले सौ साल का विचार कर डलेगी। दिल्ली सोचकर चलेगी कि आज हम जो आधारभूत ढांचा बनाएं, वह अगले सौ साल तक लोगों के काम आए। हम झुग्गी-झोपड़ियों और अनियोजित कालोनियों के लिए भी काम करेंगे और नियोजित कालोनियों को भी सुविधाएं मुहैया कराएंगे। नियोजित कालोनियों में रह रहे लोगों की परेशानियों को समझा जाएगा और उसके अनुरूप सुधार के काम किए जाएंगे। 

    लुटियंस दिल्ली के मुकाबले यमुना पार और दिल्ली के बाहरी इलाके बहुत पिछड़े नजर आते हैं। इसके लिए आपकी सरकार की क्या योजना है?

    दिल्ली के ये क्षेत्र बिलकुल पिछड़े नहीं दिखेंगे। हर जगह काम होगा और हमने हर क्षेत्र के विकास के लिए बजट रखा है। दिल्ली विकसित तभी होगी जब इसका समग्र रूप से विकास होगा। यमुनापार विकास बोर्ड, ग्रामीण विकास बोर्ड के जरिये इन क्षेत्रों का विकास किया जाएगा। ये बोर्ड पहले भी बने हुए थे, लेकिन पिछली सरकार ने कोई काम नहीं किया। 

    प्रशासनिक सुधार के लिए भी आपने बजट में कई घोषणाएं की हैं, इसे कैसे अमल में लाएंगी? 

    आज दिल्ली में कोई दुर्घटना हो जाए तो दिल्ली का कोई कंट्रोल और कमांड सेंटर नहीं है। अब हम योजना बना रहे हैं कि इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर बनाएं, जिससे सड़कों के गड्ढे, यातायात, वायु प्रदूषण जैसी सभी चीजों पर नजर रखी जा सके और वहीं से वे समस्याएं दूर करने पर काम हो सके। आश्चर्य होता है कि आज तक दिल्ली की किसी सरकार ने ये क्यों नहीं सोचा? इसी तरह से और भी कई काम किए जाएंगे। 

    अफसरशाही की ओर से क्या किसी तरह की चुनौती आ रही है? अफसरशाही आपकी सरकार के हिसाब से काम करे, इसे सुनिश्चित करने की क्या योजना है? 

    अफसरशाही तो राजतंत्र के साथ काम करती है। पहले जो लोग थे, उनके अनुसार काम करते थे, अब वो हमारे साथ मिलकर काम कर रहे हैं। अधिकारी वर्ग आदेश का पालन करता है और कर रहा है। अभी मैं नगर निगम के अधिकारियों को बुला रही हूं। अधिशासी अभियंता व इससे ऊपर जितने भी अधिकारी हैं, वे सभी प्रतिदिन अपनी जिम्मेदारी वाले क्षेत्र का एक राउंड करके आएंगे। ये 140 अधिकारी मुझे साप्ताहिक रिपोर्ट भेजेंगे कि वे कहां-कहां गए और हम इसे किसी भी समय चेक करेंगे। 

    आप ने कहा कि आपके बजट में पिछले बजट के मुकाबले इतनी वृद्धि देश की अब तक की सर्वाधिक है, आप इतने कम समय में ऐसा कैसे कर पाईं? 

    देखिए, बजट नीतियों पर टिका होता है। आम आदमी पार्टी की सरकार की नीति ही नहीं थी कि वह केंद्र सरकार से कोई योजना ले सकें। आम आदमी पार्टी ने कभी केंद्र से कोई धनराशि नहीं ली। मुझे केंद्र से जो धनराशि मिल रही है, मैं वह ले रही हूं। इनकी नीति खराब थी। इन्होंने मेट्रो की परियोजनाओं के लिए अपना हिस्सा नहीं दिया। राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए राज्य का हिस्सा नहीं दिया। आप सरकार ने कोई आधारभूत ढांचा तैयार नहीं किया। 100-100 करोड़ रुपये ठेकेदारों को हर्जाना दिया गया। हमारे बजट में 68 प्रतिशत सरकार का अपना राजस्व है, जबकि 30-32 प्रतिशत हम विभिन्न योजनाओं के लिए केंद्र सरकार से ले रहे हैं। केंद्र सरकार के साथ मिलकर इन योजनाओं के माध्यम से हम दिल्ली को विकसित बनाने का प्रयास कर रहे हैं। हम नगर निगम की भी पूरी मदद करेंगे।

    सार्वजनिक जीवन और निजी जीवन में संतुलन यानी वर्क-लाइफ बैलेंस कैसे रख पाती हैं? 

    (हंसते हुए)...30 साल का राजनीतिक जीवन हो गया है, अब आदत पड़ गई है। हां, फिल्में नहीं देख पाने का कष्ट होता है। छावा और इमरजेंसी फिल्में देखने की इच्छा थी, लेकिन व्यस्तता में यह अब तक नहीं हो पाया है।

    आप एबीवीपी से राजनीति में आईं। पीएम भी कहते हैं कि युवाओं को राजनीति से जुड़ना चाहिए, लेकिन जो युवा राजनीति में हैं, उनमें से अधिकतर राजनीतिक परिवारों से हैं। आम परिवार का युवा राजनीति में नहीं आ पाता, इस बारे में आप क्या सोचती हैं? 

    एक प्रेरक व्यक्तित्व चाहिए होता है। जब केजरीवाल जैसे लोग देशभक्ति का गाना गाकर लोगों को साथ जोड़ते हैं तो लोग जुड़ते हैं, लेकिन फिर जब ऐसा व्यक्ति गलत निकलता है तो लोगों के मन टूटते हैं। मन टूटते हैं तो विश्वास खत्म होता है। विश्वास खत्म होता है तो उनसे जुड़े लोग राजनीति से हट जाते हैं। विश्वास अर्जित करने के लिए सही लोगों को आगे आना होगा। आज देश में करोड़ों लोग प्रधानमंत्री जी के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े हैं। युवाओं को प्रेरित करने के लिए देश में सैकड़ों नरेंद्र मोदी होने की आवश्यकता है।