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    EV Dashboard: क्लाइमेट ट्रेंड्स ने जारी किया EV डैशबोर्ड, विशेषज्ञ बोले-नीतियों को और सुविधाजनक बनाने की जरूरत

    By Jagran NewsEdited By: Shyamji Tiwari
    Updated: Thu, 07 Sep 2023 10:17 PM (IST)

    देश के वाहन बाजार में इलेक्ट्रिक गाडि़यों (ईवी) की पैठ लगातार बढ़ रही है। ऐसे में क्लाइमेट थिंकटैंक क्‍लाइमेट ट्रेंड्स ने ‘क्‍लाइमेट डॉट’ के साथ मिलकर ...और पढ़ें

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    क्लाइमेट ट्रेंड्स ने जारी किया EV डैशबोर्ड

    नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। देश के वाहन बाजार में इलेक्ट्रिक गाडि़यों (ईवी) की पैठ लगातार बढ़ रही है। ऐसे में क्लाइमेट थिंकटैंक क्‍लाइमेट ट्रेंड्स ने ‘क्‍लाइमेट डॉट’ के साथ मिलकर आज ‘ईवी डैशबोर्ड’ जारी किया। क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने इसको जारी करते हुए कहा कि यह अनोखा डैशबोर्ड सरकार के वाहन पोर्टल की मदद से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री से सम्‍बन्धित रियल टाइम डेटा लेकर उसे बेहद आसान और उपयोगकर्ता के लिये सुविधाजनक तरीके से पेश करता है, जिससे बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की पैठ समेत विभिन्‍न स्‍तरों के बारे में त्‍वरित विश्‍लेषण और शोध किया जा सकता है।

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    नीतियों को उपभोक्ता के मित्रवत बनाने की जरूरत

    विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में राष्‍ट्रीय और राज्‍यों के स्‍तर पर बनी ईवी नीतियों को उपभोक्ताओं के प्रति और मित्रवत बनाने तथा इस सिलसिले में एक नियामक कार्ययोजना लागू करने की पूरी गुंजाइश है। देश में लागू इलेक्ट्रिक वाहन नीतियों और उनकी प्रभावशीलता को समझने के लिये ईवी बिक्री विश्लेषण की आवश्यकता तथा अन्य पहलुओं पर विचार के लिए एक वेबिनार आयोजित किया गया।

    क्लाइमेट डाट के निदेशक अखिलेश मागल ने ईवी डैशबोर्ड का जिक्र करते हुए कहा कि इस टूल के जरिये हमने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के क्षेत्र में मौजूद खामियों को ढूंढने पर ध्यान दिया है। इस डैशबोर्ड के जरिए उपयोगकर्ताओं को एक ऐसा मंच देने की कोशिश की गयी है जहां वे अपनी बात को बहुत प्रभावशाली तरीके से रख सकें। हालांकि,अभी यह डैशबोर्ड का पहला संस्‍करण ही है। भविष्य में इसे और बेहतर बनाने की कोशिश की जाएगी।

    यह डैशबोर्ड सिर्फ शोधकर्ताओं और अध्‍ययनकर्ताओं के लिए ही नहीं, बल्कि उन पत्रकारों के लिए भी है जो इस पर कोई लेख लिखना चाहते हैं, इसलिए हमने यह सुनिश्चित किया है कि जो भी डाटा डैशबोर्ड पर डाले जाए वह बिल्कुल सटीक हों। हमारा यह भी उद्देश्य है कि पब्लिक नैरेटिव भी बना रहे क्योंकि किसी भी तरह का रूपांतरण करने में जनमत की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

    क्लाइमेट डाट के अंकित भट्ट ने इलेक्ट्रिक व्हीकल डैशबोर्ड के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इस डैश बोर्ड में सबसे पहले भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार के बारे में बताया गया है। इन वाहनों को चार श्रेणियां में बांटा गया है। इनमें मुख्‍यत: दो पहिया वाहन, तिपहिया वाहन, चार पहिया वाहन और बसें शामिल हैं। इसमें इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का राज्यवार ब्यौरा भी दिया गया है।

    देश का हर राज्य इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में आगे निकलने के लिये चुनौती पेश कर रहा हैा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को लेकर राज्यों की एक से बढ़कर एक नीतियों से उनकी यह मंशा जाहिर होती है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे नजर आता है, लेकिन इस राज्‍य में बिकने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों में एक बड़ा हिस्सा तिपहिया वाहनों का है।

    इलेक्ट्रिक मोबिलिटी विशेषज्ञ नारायण कुमार ने ईवी नीतियों को और व्‍यापक तथा उपयोगकर्ताओं के हितों के प्रति और बेहतर बनाने की जरूरत पर जोर देते हुए वेबिनार में कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि राज्यों के स्तर पर भी मजबूत नियामक कार्य योजनाएं बनाने की जरूरत है। राज्यों को उनकी स्थिति के अनुरूप नीति बनाने की जरूरत है क्योंकि हर राज्य अपने आप में अलग है, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम मजबूत नियामक कार्ययोजनाओं पर ध्यान दें ताकि चीजों को सतत तरीके से किया जा सके।

    इलेक्ट्रिक वाहनों पर डिमांड साइड इंसेंटिव की पेशकश

    उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री लगातार दोहरे अंकों में रिकॉर्ड की जा रही है और क्‍लाइमेट ट्रेंड्स एवं क्‍लाइमेट डॉट के डैश बोर्ड के मुताबिक भारत में सिर्फ छह राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात और राजस्थान ही देश की कुल इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री में 60% का योगदान कर रहे हैं। बाकी 40% हिस्सा देश के अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का है। कर्नाटक को छोड़कर बाकी सभी राज्यों ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर डिमांड साइड इंसेंटिव की पेशकश की है।

    इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्‍लीन ट्रांसपोर्टेशन की शोधकर्ता शिखा रुकाडिया ने नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को कैसे बढ़ाया जाए, इस पर रोशनी डालते हुए कहा, ‘‘यह सही है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की पैठ देश के कुछ मुट्ठी भर राज्यों तक ही सीमित है। हम यह देख रहे हैं कि जो भी बढ़ोत्‍तरी हुई है उनमें से 80% हिस्सा दोपहिया वाहनों का है। सरकार ने समय-समय पर इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए नीतियां लागू की है लेकिन उनमें समय पर उतार-चढ़ाव भी देखा गया है। कई बार सब्सिडी की धनराशि घटाई गई है।

    इलेक्ट्रिक मोबिलिटी विशेषज्ञ सौरभ कुमार ने सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये चलायी जा रही योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आने वाले कुछ समय के दौरान हम यह देखेंगे कि पब्लिक ट्रांसिट सेक्टर रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर बन जाएगा, जहां आप यह उम्मीद कर सकते हैं कि 2 लाख डीजल बसें इलेक्ट्रिक बसों में बदल जाएगी। इस साल अगस्त में भारत में उतनी ही इलेक्ट्रिक गाड़ियों की खरीद-फरोख्‍त हुई जितनी कि पिछले साल बेची गई थीं।

    सार्वजनिक परिवहन के माध्‍यमों से लगभग पांच करोड़ लोग रोजाना सफर करते हैं। सरकार इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए काफी काम कर रही है। अगर आप देखे तो वर्ष 2017 के पहले इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के बारे में बहुत कम लोग जानते थे लेकिन उसके बाद सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई अच्छी नीतियों के कारण इन वाहनों की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। यह सही है कि सरकार काफी कम कर रही है लेकिन निश्चित रूप से अभी इसमें और भी काम करना बाकी है। देश में जिस तरह का इकोसिस्टम बन रहा है उसके मद्देनजर इस क्षेत्र में अनंत संभावनाएं हैं।

    भारत में अब इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का इकोसिस्टम बढ़ रहा है। वर्ष 2021 में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पंजीकरण में 2020 की तुलना में 168% की भारी वृद्धि दर्ज की गई। भारत सरकार जीवाश्म ईंधन पर देश की निर्भरता को कम करने और ईवी को आंतरिक दहन इंजन (आइस) के प्राथमिक विकल्प के रूप में रखने के लिए विभिन्न कदम उठा रही है। मगर देश में ई-मोबिलिटी को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए अब भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।