Delhi: 11वीं की छात्रा सुहानी ने बनाया सोलर एग्रो वाहन, किसानों के काम होंगे आसान
पूरी तरह से चार्ज बैटरी पर 400 किलोग्राम भार वहन क्षमता के साथ 60 किमी की दूरी को तय करने की क्षमता और कम और उच्च गति विनियमन जैसी सुविधाओं से युक्त है। यह पूरी तरह से सौर उर्जा से संचालित होती है।

दक्षिणी दिल्ली [रजनीश कुमार पाण्डेय]। पुष्प विहार स्थित एमिटी इंटरनेशनल स्कूल के कक्षा 11वीं की छात्रा सुहानी चौहान ने सोलर आपरेटेड एग्रो व्हीकल विथ पोर्टेबल टूल्स (एसओ - एपीटी) को विकसित किया है। यह वाहन पोर्टेबल उपकरणों के साथ सौर उर्जा से चलने वाले एक अद्वितीय एग्रो वाहन है। इसकी सबसे अनोखी बात ये है कि इसके पिछले हिस्से में जरूरत के हिसाब से अलग-अलग कृषि मशीनों को जोड़ने के लिए चार पोर्ट उपलब्ध कराए गए हैं।
इसका उपयोग कर जरूरत के हिसाब से किसान वाहन में अलग अलग मशीनों को जोड़कर चारा काटने की मशीन, पंपिंग मशीन, बुआई, छिड़काव, सिंचाई और खेतों में खुदाई के साथ ही रोशनी और मोबाइल चार्जिंग के लिए उपयोग कर सकेंगे। उनका दावा है कि एसओ - एपीटी नामक यह वाहन कृषकों के लिए बहुउपयोगी और किफायती होगा जो उनकी लागत को कम करके विकास में सहायक होगा।
कृषि संबंधी कई सारे कार्य होंगे सुलभ
अपने इस नवाचार के बारे में सुहानी बताती हैं कि यह वाहन जीरो कार्बन उत्सर्जन के साथ कृषि के लिए एक बहुउद्देशीय वाहन है। पूरी तरह से चार्ज बैटरी पर 400 किलोग्राम भार वहन क्षमता के साथ 60 किमी की दूरी को तय करने की क्षमता और कम और उच्च गति विनियमन जैसी सुविधाओं से युक्त है। फिलहाल उनकी ओर से इस वाहन के पेटेंट के लिए आवेदन कर पेटेंट करा लिया गया है। जल्द ही इसे लांच किया जाएगा।
गौरतलब है कि वाहन की बैटरी को करीब पांच-छह वर्षों के बाद बदलने की आवश्यकता होती है जिससे यह लंबे समय तक चलती है और लागत भी काफी कम हो जाती है। वाहन के सबसे ऊपर लगाए गए फोटो वोल्टाइक पैनल प्रकाश किरणों को विद्युत उर्जा में परिवर्तित करते हैं जोकि वाहन को संचालित करने के काम में आता है। इसके चलते वाहन के संचालन में किसी तरह के अन्य ईंधन आवश्यकता नहीं पड़ती है और वातावरण भी स्वच्छ बना रहता है।
वाहन की विभिन्न कृषि जरूरतों को पूरा करने की क्षमता इसकी उपयोगिता का उच्च बनाती है। पूरी तरह से सौर उर्जा से संचालित होने के कारण, वाहन की दैनिक परिचालन लागत लगभग शून्य हो जाती है और कम पुर्जों के कारण रखरखाव की लागत भी न के बराबर है। उनका दावा है कि लगभग 85 प्रतिशत किसान आर्थिक रूप से कमजोर हैं इसलिए यह वाहन कम कीमत पर उपलब्ध होगा जिससे गरीब से गरीब किसान इसका लाभ उठा सकें।
कैसे मिली प्रेरणा?
सुहानी बताती हैं कि वह शुरू से ही शोध उन्मुख और वैज्ञानिक स्वभाव की हैं और हमेशा से कुछ ऐसा अनूठा बनाना चाहती थीं जो देश व देश के कृषकों के विकास में योगदान दे सकें। इसके पीछे एक ही वजह है कि जब भी वह खाना खाती थीं तो देश के अन्नदाता किसानों की परेशानियों का आकलन करती रहती थीं। इसी ने उन्हें उनके इस अनोखे कृषि वाहन का अविष्कार करने के लिए प्रेरित किया।
अपनों के विश्वास को ही मानती हैं सफलता का कारण
अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए सुहानी ने कहा कि जब से उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया तब से उन्हें उनके माता-पिता ने हमेशा प्रोत्साहित किया और शिक्षकों से लगातार मार्गदर्शन और उचित सलाह मिली। अपनों के इसी विश्वास को सुहानी अपने नवाचार की सफलता का कारण मानती हैं। बता दें कि उन्होंने 11 से 14 मई के दौरान प्रगति मैदान में आयोजित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सप्ताह 2023 के दौरान अपने नवाचार ‘एसओ - एपीटी’ का प्रदर्शन किया था।

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