JNU में विजयदशमी के अवसर पर शोभा यात्रा के दौरान छात्रों के दो समूहों के बीच हिंसक झड़प, जूते-चप्पल फेंके गए
जेएनयू में विजयादशमी पर विसर्जन शोभा यात्रा के दौरान दो छात्र समूहों के बीच हिंसक झड़प हुई। जेएनयूएसयू ने कथित नक्सल विचारधारा वालों के पुतले जलाए। वामपंथी समूहों ने यात्रा पर जूते-चप्पल फेंके जिससे कुछ छात्र घायल हुए। उत्तेजक पोस्टर से तनाव बढ़ा। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया।

एएनआई, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में शुक्रवार को विजयदशमी के अवसर पर आयोजित 'विसर्जन शोभा यात्रा' के दौरान दो छात्र समूहों के बीच हिंसक झड़प हो गई। यह घटना नवरात्रि के नौ दिनों के उत्सव के बाद हुई। जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) के संयुक्त सचिव वैभव मीणा के अनुसार, छात्रसंघ ने 'नक्सल-जैसे ताकतों' के खिलाफ सांकेतिक 'रावण दहन' का आयोजन किया था।
मीणा ने दावा किया कि अफजल गुरु, उमर खालिद, शर्जील इमाम, जी साई बाबा और चारु मजुमदार जैसे कथित नक्सल विचारधारा वाले व्यक्तियों की तस्वीरों और पुतलों का दहन किया गया। उन्होंने बताया कि जब शोभा यात्रा कैंपस में निकाली जा रही थी, तब साबरमती टी पॉइंट पर वामपंथी समूहों के सदस्य ने यात्रा में रुकावट डाला और प्रतिभागियों पर जूते-चप्पल फेंके। इससे यात्रा में शामिल कुछ छात्र घायल हो गए।
मीणा ने कहा कि वे इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज करेंगे। वहीं, जेएनयूएसयू अध्यक्ष नितीश कुमार ने आरोप लगाया कि झड़प की शुरुआत एक उत्तेजक पोस्टर से हुई, जिसमें उमर खालिद और शर्जील इमाम को रावण के रूप में दर्शाया गया था।
नितीश ने कहा कि यह कृत्य संविधान और मानवाधिकार रक्षकों के खिलाफ था। उन्होंने बताया कि उनके समूह ने साबरमती टी पॉइंट पर विरोध प्रदर्शन किया और हिंसा रोकने के लिए मानव श्रृंखला बनाई।
दूसरी ओर, शोभा यात्रा के दौरान 'जय श्री राम' और योगी जी के बुलडोजर न्याय के नारे लगाए गए। दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ने के बावजूद स्थिति नियंत्रण में रही, लेकिन यह घटना कैंपस में वैचारिक टकराव को उजागर करती है।
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