Delhi Chinese Manjha: प्रतिबंध के बाद भी लोगों का काल बन रहा चाइनीज मांझा, बचाव के लिए बरतें ये सावधानी
Chinese Manjha चाइनीज मांझा अन्य मांझों की तरह धागों से नहीं बनता है. यह नायलॉन और एक मैटेलिक पाउडर से मिलकर बनाया जाता है। यह प्लास्टिक का जैसा लगता है और स्ट्रेचेबल होता है। जब इसे खींचते हैं तो यह टूटने के बजाय बढ़ जाता है।

नई दिल्ली,जागरण डिजिटल डेस्क। दिल्ली एनसीआर में हर साल रक्षाबंधन और 15 अगस्त के आसपास कई लोगों के लिए चाइनीज मांझा जानलेवा साहिब हो रहा है। दरअसल, दोनों त्योहारों पर पतंगबाजी का सीजन रहता है और लोग जमकर पतंगबाजी करते हैं। उसमें भी चाइनीज मांझे का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि भारतीय बाजार में चाइनीज मांझा पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन दुकानदार मुनाफा कमाने के चक्कर में चाइनीज मांझे की बिक्री करते हैं। हैरत की बात देखिए कि मार्केट व दुकानों पर कुछ लोग कोड वर्ड का इस्तेमाल कर चाइनीज मांझा बेच रहे हैं। हालांकि कोर्ट और एनजीटी की ओर से चाइनीज मांझे की बिक्री पर मनाही है। इसके बाद भी मांझा धड़ल्ले से बेचा जा रहा है।
दिल्ली-एनसीआर में इन लोगों ने गवाई जान
- 25 जुलाई 2022 को दिल्ली के हैदरपुर इलाके में सुमित की मांझे की चपेट में आने से मौत हो गई।
- 16 अगस्त 2021 को मंगोलपुरी इलाके में एक 23 वर्षीय युवक की मांझे की चपेट में आने से मौत हो गई।
- 11 मई 2022 को मेरठ के एक युवक की चाइनजीज मांझे से मौत हो गई। युवक बाइक पर था और उसी समय मांझे से युवक की गर्दन बिल्कुल अलग हो गई।
- 14 अगस्त 2021 को नजफगढ़ निवासी सौरभ दहिया मंगोलपुरी फ्लाईओवर से उतर रहे थे। तभी चाइनीज मांझा गले में फंसा, जिससे उनकी मौत हो गई।
- 25 अगस्त 2019 को सोनिया विहार की इशिका (5) पिता के साथ बाइक के आगे बैठी थी। खजूरी खास में मांझा बच्ची के गले में अटका, जिससे पूरा गला कट गया और उसकी जान चली गई।
- 15 अगस्त 2019 को पश्चिम विहार निवासी सिविल इंजीनियर मानव शर्मा (28) बहन के घर से बाइक पर लौट रहे थे। हरि नगर के पास गर्दन में मांझा लिपटा और मौके पर ही दम तोड़ दिया।
- 12 जुलाई 2019 को बदरपुर फ्लाईओवर पर दीप्ति (3) चाचा के साथ बाइक पर थी। मांझा चाचा की गर्दन में फंसा तो बैलेंस बिगड़ा और बाइक फ्लाईओवर से नीचे गिर गई। दीप्ति की अस्पताल में मौत हुई।
कैसे बनता है चाइनीज मांझा
दरअसल, चाइनीज मांझा अन्य मांझों की तरह धागों से नहीं बनता है। यह नायलॉन और एक मैटेलिक पाउडर से मिलकर बनाया जाता है। यह प्लास्टिक का जैसा लगता है और स्ट्रेचेबल होता है। जब इसे खींचते हैं तो यह टूटने के बजाय बढ़ जाता है। इसे काटना काफी मुश्किल होता है। इस पर धागे जैसे नायलॉन पर कांच या लोहे के चूरे से धार भी लगाई जाती है, जिस वजह से यह मांझा और भी घातक हो जाता है।
एनजीटी ने लगाई थी रोक
बता दें कि एनजीटी ने जुलाई 2017 में चाइनीज मांझे की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। पीपल्स फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा था कि खतरनाक मांझे से पशु-पक्षी और लोग बुरी तरह जख्मी हो जाते हैं। बढ़ते हादसों के मद्देनजर दखल की जरूरत पड़ी थी। एनजीटी ने इस पर पूरी तरह से बैन लगा रखा है।
पांच साल की सजा का प्रविधान
चाइनीज मांझे की बिक्री पर पांच साल की सजा और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान है। इसके बाद भी दुकानदार चाइनीज मांझे की बिक्री कर हादसों को बढ़ावा दे रहे हैं। जानकारी के मुताबिक राजधानी दिल्ली के बाजारों में कोड वर्ड में मांझा बेचा जा रहा है। दुकानदार और मांझे की कालाबाजारी करने वाले लोग कोड वर्ड का इस्तेमाल कर पुलिस को भी चकमा दे रहे हैं।
दुपहिया वाहन चालक बरतें सावधानी
दरअसल, चाइनीज मांझे की चपेट में अक्सर दुपहिया वाहन चालक ही चपेट में आते हैं। अभी तक जिन लोगों की मौत हुई है वह सब बाइक व स्कूटर और बुलेट सवार हैं। इसलिए वाहन चलाते समय पतंगाबजी के सीजन में सावधानी बरतें। ज्यादा स्पीड से वाहन न चलाए। ऐसी जगहों पर जाने से बचे, जहां पतंगबाजी ज्यादा होती है।
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