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देश के लोगों के साथ इस तरह से भी ठगी कर रहे चीनी नागरिक, रहे होशियार, पढ़िए पूरी कहानी

दक्षिण-पूर्वी जिले की साइबर सेल टीम ने निवेश के नाम पर 25 करोड़ से अधिक की ठगी करने वाले दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान हैदराबाद निवासी नागराजू कार्माची और सिकंदराबाद निवासी कोंडाला सुभाष के रूप में हुई है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 08 Jul 2021 02:55 PM (IST)Updated: Thu, 08 Jul 2021 02:55 PM (IST)
देश के लोगों के साथ इस तरह से भी ठगी कर रहे चीनी नागरिक, रहे होशियार, पढ़िए पूरी कहानी
टीम ने निवेश के नाम पर 25 करोड़ से अधिक की ठगी करने वाले दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दक्षिण-पूर्वी जिले की साइबर सेल टीम ने निवेश के नाम पर 25 करोड़ से अधिक की ठगी करने वाले दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान हैदराबाद निवासी नागराजू कार्माची और सिकंदराबाद निवासी कोंडाला सुभाष के रूप में हुई है। चीनी नागरिक ये गिरोह चला रहे थे। ये लोग ठगी की रकम क्रिप्टो करेंसी के रूप में ट्रांसफर कर लेते थे। आरोपितों को तेलंगाना के सिकंदराबाद और हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार कर इनसे 30 मोबाइल, सात लैपटाप, हार्डडिस्क, 50 सिमकार्ड, तीन कंपनियों के निदेशकों के स्टैंप, चार बैंकों की चेकबुक और छह डेबिट कार्ड बरामद किया गए हैं।

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आरोपितों ने 45 दिन के अंदर डिजिटल हवाला के जरिये 2000 लोगों से ठगकर 25 करोड़ रुपये से अधिक की रकम चीन ट्रांसफर कर दी। दक्षिण-पूर्वी जिले के पुलिस उपायुक्त राजेंद्र प्रसाद मीणा ने बताया कि वरुण शर्मा ने शिकायत दर्ज कराई थी कि खुद को कोरियाई नागरिक बताने वाले एक युवक सू येओन ने उन्हें पहले विदेशी बाजार में निवेश करने पर मोटा मुनाफा कमाने का झांसा दिया, फिर साढ़े 10 लाख रुपये ठग लिए। पुलिस के अनुसार, आरोपितों ने देश में 10 फर्जी कंपनियां बनाई थीं, ताकि अधिक रकम का लेनदेन किया जा सके। आरोपितों ने बताया कि वह चीन में बैठे गिरोह के मुखिया के निर्देश पर ठगी करते थे।

नागराजू ने 10 कंपनियां बनाई हुई थीं। आरोपित चीनी नागरिक फेसबुक, वाट्सएप और टिंडर जैसे एप से लोगों को निवेश के लिए कहते थे। पीडि़त फर्जी कंपनियों के खातों में रुपये डालते थे। शुरुआत में अच्छा रिटर्न देकर बाद में मोटा निवेश करवाया जाता था। इसके बाद रकम को चीन में निकाल लिया जाता था। आरोपित ज्यादातर आइसीआइसीआइ बैंक में ही ट्रांसफर करता था। नागराजू ने बताया कि पिछले साल वह चीनी नागरिक वेंडी के संपर्क में आया। वेंडी ने उसे अपने साथी लुओ से संपर्क कराया, जिसने उसे फर्जी कंपनी खोलने के लिए दो लाख रुपये दिए। आरोपितों ने नागराजू से भारत में और भी फर्जी कंपनियां खोलने के लिए कहा। करीब 10 कंपनियां खोलने के बाद उनके चालू खाते खोले गए।

आरोपित इन कंपनियों के जरिये खातों में निवेश के नाम पर रकम डलवाते थे। इन खातों की एक्सेस चीनी नागरिकों को दे दिया जाता था। कंपनी के ज्यादातर खाते आइसीआइसीआइ बैंक में खुलवाए जाते थे। जिन बैंकों से यह रुपये नहीं निकाल पाते थे उसे नागराजू से यूएसडीटी क्रिप्टो करेंसी खरीदकर उनको अपने खातों में वाया यूएस ट्रांसफर करवा लेते थे। नागराजू ने सभी कंपनी के डायरेक्टर आठ-आठ हजार रुपये में भर्ती किए हुए थे। कोंडाला को भी आठ हजार रुपये दिए जाते थे, वहीं नागराजू एक लाख रुपये सैलरी के अलावा क्रिप्टो करेंसी के बदले दो फीसद कमीशन भी लेता था। आरोपित अब तक चार करोड़ रुपये की क्रिप्टो करेंसी खरीदकर चीनी नागरिकों के खातों में डाल चुका है।


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