छावला सामूहिक दुष्कर्म केस: SC के निर्णय पर पीड़िता के माता-पिता ने जताई निराशा, कहा- जारी रहेगी जंग
पीड़िता की मां ने कहा कि हमारी बेटी आज जिंदा होती तो करीब 30 वर्ष की होती। उसका अपना भरा पूरा परिवार होता। वह न सिर्फ अपने पांव पर खड़ी होती बल्कि दूसरों को भी सहारा दे रही होती। उससे हम सभी को सहारा मिलता।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। छावला सामूहिक दुष्कर्म मामले के तीनों आरोपितों की फांसी की सजा को निरस्त किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर पीड़िता के माता- पिता ने निराशा जताई है। इनका कहना है कि वे एक दशक से अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस संघर्ष में कई पड़ाव आए। पहले द्वारका डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने तीनों को फांसी की सजा सुनाई और फिर हाई कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा। हमें देश की शीर्ष अदालत से भी उम्मीद थी कि हाई कोर्ट के निर्णय को कायम रखा जाएगा, लेकिन हमें निराशा हुई। हमें यह दिन देखना पड़ेगा, इसकी उम्मीद नहीं थी। हमलोग निर्णय का पूरा अध्ययन करेंगे और जो भी कानूनी विकल्प हमारे पास हैं, उसका इस्तेमाल करेंगे। हम निराश जरूर हैं, लेकिन उम्मीद कायम है। बेटी को न्याय दिलाने के लिए हमारा संघर्ष अभी जारी रहेगा।
बेटी जिंदा होती तो 30 साल की होती
पीड़िता की मां ने कहा कि हमारी बेटी आज जिंदा होती तो करीब 30 वर्ष की होती। उसका अपना भरा पूरा परिवार होता। वह न सिर्फ अपने पांव पर खड़ी होती बल्कि दूसरों को भी सहारा दे रही होती। उससे हम सभी को सहारा मिलता, लेकिन हमारी बदकिस्मती रही कि उसका साथ हमेशा के लिए छूट गया। बेटी को खोने के बाद पिछले 10 वर्षों से हमलोग एक उम्मीद पर जी रहे थे, कि हमारी बेटी को इंसाफ मिलेगा। हत्या के दोषियों को फांसी मिलेगी, लेकिन पता नहीं वह दिन कब आएगा। हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक बेटी के दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका नहीं दिया जाएगा। पीड़िता की मां ने बताया कि बेटी को इंसाफ दिलाने की लड़ाई में मैं अकेली या केवल हमारे स्वजन नहीं है। हमारा पूरा मोहल्ला, पूरा समाज, पूरा शहर, पूरा देश हमलोगों के साथ है। संघर्ष का यह पड़ाव है, मंजिल नहीं।
ऐसे समझें क्रोनोलॉजी
- 9 फरवरी 2012- छावला थाना क्षेत्र से अपहरण
- 13 फरवरी 2012- घटना में प्रयुक्त कार बरामद, आरोपियों की गिरफ्तारी
- 13 फरवरी 2012- शव हरियाणा स्थित रोढ़ाई गांव में रेलवे पटरी के किनारे पड़ा मिला
- 26 अप्रैल 2012- चार्जशीट दाखिल के बाद द्वारका डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में शुरु हुई सुनवाई
- 13 फरवरी 2014- आरोपियों को कोर्ट ने दिया दोषी करार
- 17 फरवरी 2014- सजा पर बहस हुई पूरी
- 19 फरवरी 2014- द्वारका डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सुनाई दोषियों को फांसी की सजा
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