अब छठ पूजा में यमुना में नहीं दिखेगा झाग! दिल्ली सरकार का खास प्लान तैयार
दिल्ली सरकार ने यमुना नदी में जमी गाद और अतिक्रमण की समस्या से निपटने के लिए आधुनिक तकनीक से सर्वे कराने का फैसला किया है। इस सर्वे के द्वारा 48 किलोमीटर क्षेत्र में गाद की स्थिति का आकलन किया जाएगा। इसके साथ ही नजफगढ़ ड्रेन का भी सर्वे होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि गाद प्रबंधन के लिए एक व्यापक योजना की आवश्यकता है।

जागरण टीम, नई दिल्ली। दिल्ली में हर साल छठ पूजा के दौरान यमुना नदी में गंदगी और झाग की समस्या छठ व्रतियों के लिए परेशानी का सबब बनती है। लेकिन अब इस समस्या से निजात पाने के लिए दिल्ली सरकार ने यमुना नदी की गाद और अतिक्रमण की स्थिति का आकलन करने के लिए आधुनिक तकनीक से सर्वे कराने का फैसला किया है। इस सर्वे के आधार पर गाद हटाने की योजना तैयार की जाएगी।
48 किमी क्षेत्र के लिए टेंडर जारी
केंद्रीय जल आयोग के अधिकारियों के अनुसार, यमुना में गाद और अतिक्रमण के कारण हथनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी पहले की तुलना में तेजी से दिल्ली पहुंच रहा है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए दिल्ली सरकार ने पल्ला से जैतपुर तक यमुना के 48 किलोमीटर हिस्से का बैथिमेट्रिक और टोपोग्राफिक सर्वे कराने के लिए टेंडर जारी किया है।
नजफगढ़ ड्रेन का भी होगा सर्वे
बैथिमेट्रिक सर्वे से नदी की तलहटी की स्थिति का पता चलेगा, जबकि टोपोग्राफिक सर्वे से नदी के डूब क्षेत्र और आसपास की भौगोलिक स्थिति की जानकारी मिलेगी। इससे अतिक्रमण और नदी में गिरने वाले नालों का विस्तृत विवरण प्राप्त होगा। टेंडर आवंटन के बाद यह कार्य आठ महीने में पूरा होगा। इसके साथ ही, नजफगढ़ ड्रेन का भी सर्वे किया जाएगा।
आधुनिक उपकरणों का होगा उपयोग
सर्वे में मल्टी बीम सोनार, ध्वनि डॉपलर, जीपीएस, और गति सेंसर जैसे आधुनिक उपकरणों का उपयोग होगा। गाद हटाने के लिए सरकार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) से अनुमति लेनी होगी, क्योंकि वर्तमान में नदी क्षेत्र में खुदाई पर प्रतिबंध है। विशेषज्ञों का कहना है कि गाद की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए पूरी नदी का अध्ययन जरूरी है, क्योंकि गाद ऊपरी क्षेत्रों से दिल्ली तक पहुंच रही है।
ऊपरी बेसिन में मिट्टी संरक्षण पर जोर
वर्ष 2017 में गठित माधव चितले समिति ने गंगा नदी से गाद हटाने के लिए ऊपरी बेसिन में मिट्टी संरक्षण, वनीकरण, और मिट्टी कटाव रोकने की सिफारिश की थी। इसी तरह, चीन की येलो नदी में गाद की समस्या को वनीकरण और मानसून से पहले जलाशयों की सफाई के जरिए नियंत्रित किया जाता है। गोदावरी नदी में भी इस तकनीक का उपयोग किया जाता है।
यमुना की गाद के लिए व्यापक योजना जरूरी
साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल (सैंड्रप) के समन्वयक बीएस रावत का कहना है कि केवल दिल्ली में सर्वे से सीमित लाभ होगा। जलवायु परिवर्तन, बांध, पुल निर्माण, और मशीनों से खनन के कारण गाद की समस्या बढ़ रही है। जलवायु परिवर्तन के चलते तीव्र बाढ़ के साथ अधिक गाद यमुना तक पहुंच रही है। इसके लिए यमुना के स्रोतों और गाद के कारणों का गहन अध्ययन कर योजना बनानी होगी।
गाद प्रबंधन नीति की कमी
केंद्र सरकार को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, और उत्तर प्रदेश के साथ मिलकर गाद प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। गाद निकालने के साथ-साथ इसके निपटान की योजना भी जरूरी है। कई बार नालों से निकाली गई गाद किनारे छोड़ दी जाती है, जो बारिश में वापस नालों में चली जाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि देश में अभी नदियों के गाद प्रबंधन के लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं है। दिल्ली सरकार का यह कदम यमुना को स्वच्छ और छठ पूजा को और सुगम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। सर्वे के परिणामों के आधार पर तैयार योजना से न केवल यमुना की सफाई होगी, बल्कि बाढ़ और अतिक्रमण की समस्या से भी निजात मिलने की उम्मीद है।
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