Chhath Puja: छठ से पहले यमुना नदी में झागों को खत्म करने की तैयारी, कैमिकल का छिड़काव कर रहा दिल्ली जल बोर्ड
Delhi Chhath Puja दिल्ली के पास यमुना नदी में झाग बनना शुरू हो गए हैं। प्रदूषण के कारण यमुना का पानी जहरीला हो गया है। छठ पर्व को नजदीक आते देख डीजेबी भी यमुना नदी की सतह पर झाग की समस्या से निपटने की कोशिश कर रहा है।
नई दिल्ली, एजेंसी। सर्दियां आते ही दिल्ली के पास यमुना नदी में झाग बनना शुरू हो गए हैं। प्रदूषण के कारण यमुना का पानी जहरीला हो गया है। छठ पर्व को नजदीक आते देख दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) भी यमुना नदी की सतह पर झाग की समस्या से निपटने की कोशिश कर रहा है।
DJB के अधिकारी नदी के पानी की सतह पर रसायनों के छिड़काव का सहारा ले रहे हैं, ताकि पानी को साफ किया जा सके। दिल्ली में छठ पर्व को मनाने वाले काफी लोग रहते हैं। दिल्ली में यमुना के घाटों पर पर्व मनाया जाता है। दिल्ली जल बोर्ड ने शुक्रवार को पानी में प्रदूषण से बनने वाले जहरीले झागों को हटाने के लिए कालिंदी कुंज के पास सतह पर रसायनों का छिड़काव किया।
शुक्रवार से शुरू हुआ पर्व
इस साल का शुभ अवसर 28 अक्टूबर को पारंपरिक नहाय खाय समारोह के साथ शुरू हो गया, जो चार दिवसीय उत्सव के पहले दिन आयोजित किया गया था। नहाय खाय चार दिवसीय छठ उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। दिवाली के छह दिन बाद शुभ त्योहार शुरू होता है।
#WATCH | A team of Delhi Jal Board sprays chemical into Yamuna to dissolve the toxic foam seen on the surface of the river. Visuals from Kalindi Kunj. pic.twitter.com/0y18sFw4Nf— ANI (@ANI) October 28, 2022
नदी में स्नान कर सूर्य की पूजा करते हैं
छठ पूजा पर एक दिन महिलाएं नदी में स्नान करती हैं। इस त्योहारी सीजन के दौरान, दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में रहने वाले भक्त यमुना नदी की ओर जाते हैं और पानी में डुबकी लगाते हैं। फिर स्वस्थ, सुखी और समृद्ध जीवन के लिए सूर्य भगवान से आशीर्वाद लेते हैं।
छठ पर्व क्यों मनाया जाता है?
छठ पर्व में मुख्य दिन षष्ठी तिथि को माना जाता है। इस वर्ष कार्तिक मास की षष्ठी तिथि 30 अक्टूबर (Chhath Puja 2022 Date) के दिन है। इस दिन डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है और व्रती महिलाएं 24 घंटे से अधिक समय का कठिन निर्जला उपवास रखती हैं। मान्यता है कि यह व्रत रखने से संतान को लंबी आयु और उज्जवल भविष्य का आशीर्वाद मिलता है, वहीं परिवार में सदैव सुख-समृद्धि बनी रहती है।
छठ महापर्व में भगवान सूर्य की आराधना के साथ-साथ छठी मैया की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है। बता दें कि छठ पर्व के अंतिम दिन उगते हुए सूर्य और छठी मैया की पूजा के साथ इस व्रत का विधिवत पारण किया जाता है। आइए जानते हैं छठ पर्व में क्यों की जाती है सूर्य देव और छठी मैया की पूजा।
यह प्राचीन हिंदू वैदिक त्योहार मुख्य रूप से भारत और नेपाल में बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पूजा के पहले दिन को कद्दू भात या नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन परवैतिन (मुख्य उपासक जो उपवास रखते हैं) सात्विक कद्दू भात को दाल के साथ पकाते हैं और दोपहर में देवता को भोग के रूप में परोसते हैं।
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यमुना के किसी तट पर छठ की अनुमति नहीं
पिछले दो साल की तरह इस बार भी यमुनापार में यमुना के किसी भी तट पर छठ पूजा नहीं होगी, प्रशासन के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को मंत्री कैलाश गहलोत के साथ हुई बैठक में यह स्पष्ट कर दिया है। पूजा की अनुमति जिला प्रशासन की ओर से बनाएं जा रहे अस्थायी छठ घाटों पर ही होगी।
छठ पूजा के लिए यमुनापार में करीब 70 अस्थायी घाट तैयार
छठ समितियां व्रतियों के आगमन को शानदार बनाने के लिए घाटों पर रेड कारपेट का इंतजाम कर रही हैं। जिला प्रशासन की ओर से यमुनापार में करीब 70 अस्थायी घाट छठ पूजा के लिए बनाएं गए हैं। सीमापुरी छठ पर्व आयोजन समिति के अध्यक्ष विद्या नंद ठाकुर ने कहा कि शुक्रवार से छठ शुरू हो रही है, पूर्वांचल के लोग बहुत उत्साहित हैं।
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घरों में पूजापाठ शुरू हो गई है। रविवार को पहला अर्घ्य है, समिति की ओर से घाट पर रेड कारपेट बिछाया जाएगा। मैत्रीय छठ पूजा समिति के उपेंद्र शर्मा ने कहा कि दिलशाद गार्डन में घाट तैयार हो चुका है, शनिवार को उसमें पानी भरा जाएगा।