Chandra Grahan 2025: दिल्लीवालों ने किया अद्भुत 'रेड मून' का दीदार, लोगों में दिखा खूब उत्साह; देखें PHOTOS
नई दिल्ली में रविवार रात खगोल प्रेमियों ने लाल चंद्रमा देखा। चाणक्यपुरी स्थित नेहरू तारामंडल में दिल्ली हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लोग चंद्र ग्रहण देखने आए। रात 858 बजे ग्रहण शुरू हुआ जिसमें चांद नारंगी और फिर लाल दिखा। छात्रों और शोधकर्ताओं में उत्साह था। तारामंडल में लगे टेलीस्कोप से लोगों ने नज़ारा देखा। वैज्ञानिकों ने आकाशीय घटनाओं की जानकारी दी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बादलों की लुका छुपी के बीच खगोल प्रेमियों ने रविवार रात अद्भुत लाल चंद्रमा के दर्शन किए। भले देर रात हो गई थी लेकिन चाणक्यपुरी स्थित नेहरू तारामंडल में दिन जैसा माहौल था। आधी रात के बाद भी सैकड़ों दिल्ली वालों के साथ ही हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आए लोग जम रहे और उत्साह पूर्वक चंद्र ग्रहण को देखा।
इसमें कई लोग परिवार के साथ पूरी तैयारी से आए हुए थे। नाश्ता पानी और भोजन साथ ले आए थे और नेहरू तारामंडल के मैदान में बैठकर चंद्रग्रहण का दीदार किया। आमतौर पर सफेद या भूरा दिखने वाला चांद, ग्रहण के दौरान नारंगी फिर लाल रंग में होते दिखा।
चंद्र ग्रहण रात्रि में 8:58 बजे से शुरू हुआ, जिसे देखने लोग शाम सात बजे से ही जुटने लग गए थे। डीयू की उत्साहित छात्रा आशिका ने कहा कि यह उसके जीवन की पहली अदभुत खगोलीय घटना है, जिसे देखने के लिए कई दिन पूर्व दोस्तों के साथ पंजीयन करा तैयारी में जुट गई थी।
खगोल शोधार्थी मयंक ने कहा कि ऐसे मौके कम ही आते हैं जब आसमान साफ हो और आप अनंत आकाश की सुंदरता को खुली आंखों से देख सके।
वैसे, तारामंडल द्वारा कोई 10 टेलीस्कोप की व्यवस्था की गई थी, जिसके माध्यम से खगोल प्रेमी काफी नजदीक से इस खगोलीय घटना को देख पा रहे थे। इसके लिए हर टेलिस्कोप के सामने कतारें भी लगी रही और लोग अपनी बारी का इंतजार करते दिखे।
हालांकि, आरंभ में आसमान में बादलों के चलते एक बार ऐसा लगा कि खुली आंखों से चंद्रग्रहण का दीदार नहीं हो पाएगा। पर कुछ देर बाद ही चांद के सामने से आसमां ने पहरा हटा दिया। यह चंद्रग्रहण रात्रि करीब ढाई बजे तक लगा रहा। एक बजे के लोग निकलने लगे।
नेहरू तारामंडल की कार्यक्रम समन्वयक प्रेरणा चंद्र के अनुसार इस मौके पर लोगों में काफी उत्साह देखा गया। यह देश के खगोल विज्ञान के लिए अच्छी बात है। इस मौके पर वैज्ञानिक जुटे लोगों को आकाशीय घटनाक्रमों के बारे में जानकारी भी दी। साथ ही खगोल शोधार्थी आम लोगों की मदद करते भी दिखे।
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