सुप्रीम कोर्ट के आदेश से दिल्ली के इस इलाके की 750 इमारतों पर लटकी तलवार, खत्म होने वाले हैं स्टे ऑर्डर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चांदनी चौक में अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। लगभग 750 इमारतों को बंद करने का खतरा है क्योंकि कोर्ट ने एमसीडी को 31 दिसंबर के बाद अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया है। पहले भी कोर्ट ने इस मुद्दे पर नाराजगी जताई थी। मास्टर प्लान के अभाव और प्रशासन की लापरवाही को समस्या का कारण माना जा रहा है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। चांदनी चौक में अवैध निर्माण की समस्या वर्षों से बनी हुई है। अब सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश से 750 से अधिक इमारतों पर तलवार लटकी हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ही फैसला दिया है कि दिल्ली हाईकोर्ट और एमसीडी ट्रिब्यूनल द्वारा चांदनी चौक में अवैध निर्माण के विरुद्ध कार्रवाई पर लगाए गए सभी (स्टे आर्डर) 31 दिसंबर से स्वतः समाप्त हो जाएंगे। उसके बाद एमसीडी अधिकारी अवैध निर्माणों को हटाने व तोड़फोड़ की कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को भी निर्देश दिया है कि एमसीडी के इस अभियान में सहयोग दें। अदालत ने स्पष्ट किया है कि जिन लोगों को इन आदेशों से आपत्ति है, वे 31 दिसंबर से पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं।
मामले के जानकारों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से चांदनी चौक के 750 से अधिक निर्माणों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है, जिनपर हाईकोर्ट या एमसीडी ट्रिब्यूनल ने स्टे लगा रखा है।
यह सूची एमसीडी ने सुप्रीम कोर्ट को भी सौंपी है। वहीं, एमसीडी के एक अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। साथ ही आदेशानुसार कार्रवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट के निशाने पर है चांदनी चौक का अवैध निर्माण
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई को चांदनी चाैक में अदालती आदेश के बावजूद अनाधिकृत निर्माण पर एमसीडी व दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी। साथ ही दिल्ली पुलिस से ऐसे निर्माणों पर कार्रवाई तथा निगरानी के लिए एक टीम तैयार करने का आदेश दिया था।
वैसे, चांदनी चौक में अवैध निर्माण बड़े स्तर पर जारी है। एमसीडी द्वारा इसे लेकर समय-समय पर सीलिंग का नोटिस भी जारी किया जाता रहा है। तब भी बिल्डर माफिया, स्थानीय नेता, एमसीडी व पुलिस की मिलीभगत से अवैध निर्माण जारी है।
इसके चलते करीब 70 प्रतिशत इमारतों ने अपना मूल स्वरूप खो दिया है, जो पहले रिहायशी थी। वह अब व्यावसायिक गतिविधियों में इस्तेमाल हो रही है। साथ ही खतरनाक तरीके से पुरानी नींव पर ही नया निर्माण बिना सुरक्षा मानक को पूरा किए हो रहा है।
शासन प्रशासन की लापरवाही जिम्मेदार
इस समस्या के लिए शासन-प्रशासन की लापरवाही भी कम जिम्मेदार नहीं है। मास्टर प्लान 2021 के अनुसार एमसीडी को 2007 तक पुरानी दिल्ली (वाल्ड सिटी) के लिए पुनर्विकास योजना बनानी थी, लेकिन 2025 में ही यह अस्तित्व में नहीं आया है।
मास्टर प्लान के अनुसार, तब तक यथास्थिति को बरकरार रखना था। कोई नया निर्माण नहीं होना था। जानकारों के अनुसार, लेकिन मिलीभगत कर एमसीडी को कन्वर्जन चार्ज जमा कराकर या बिना उसके भी नए निर्माण किए गए। अब उन सभी निर्माणों को लेकर समस्या है।
पूर्व में दिल्ली सरकार द्वारा गठित समिति ने चांदनी चौक में समस्याओं के कारणों में से एक अवैध निर्माण की पहचान के लिए ड्रोन मैपिंग कराने तथा उसे हटाने का सुझाव दिया था, वह भी अमल में नहीं आया।
अवैध निर्माणों को रोकने के लिए जरूरी है कि मास्टर प्लान के अनुरूप पुरानी दिल्ली के लिए विशेष योजना बने तथा उसके अनुसार क्रियांवयन हो। तभी समस्याओं का समाधान हो सकता है। अन्यथा पुरानी इमारतों पर मिलीभगत से अवैध निर्माण बदस्तुर जारी है।
- संजय भार्गव, अध्यक्ष, चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल
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