CBSE का नया प्लान, 11वीं और 12वीं में साइंस और मैथ्स चुनने की मिलेगी आजादी
सीबीएसई 2026-27 से 11वीं और 12वीं कक्षा में एसटीईएम विषयों को दो स्तरों पर पढ़ाने की योजना बना रहा है। छात्र अपनी रूचि और करियर के अनुसार विषय का स्तर चुन सकेंगे। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है। इसका उद्देश्य छात्रों पर तनाव कम करना और विषय की समझ को गहरा करना है।

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। छात्रों की क्षमता, समझ और करियर की दिशा को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) अब 11वीं और 12वीं कक्षा में एसटीईएम विषयों (विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित) को बेसिक और स्टैंडर्ड, दो स्तरों पर पढ़ाने की योजना बना रहा है।
यह बदलाव 2026-27 शैक्षणिक सत्र से लागू किया जा सकता है। हालांकि, इसकी अंतिम रूपरेखा एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता पर निर्भर करेगी। फिलहाल, सीबीएसई नौवीं व 10वीं में गणित को दो स्तरों स्टैंडर्ड और बेसिक पढ़ा रहा है।
इसके बाद बोर्ड ने इस योजना का विस्तार करते हुए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ सीबीएसई स्कूलों में इसी वर्ष से नौवीं और 10वीं में विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषय को भी इसी ढांचे में शामिल करने का निर्णय लिया था।
छात्रों को मिलेगा विकल्प चुनने का अवसर
अब बोर्ड इसे 11वीं और 12वीं में एसटीईएम विषयों तक विस्तार देने जा रहा है। छात्रों को मिलेगा अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार चुनने का विकल्प- सीबीएसई की यह योजना छात्रों को उनके रुचि, क्षमता और करियर लक्ष्यों के अनुसार विषय का स्तर चुनने का अवसर देगी। जो छात्र इंजीनियरिंग, मेडिकल या अन्य तकनीकी क्षेत्रों में जाना चाहते हैं, वे एसटीईएम की स्टैंडर्ड स्तर चुन सकेंगे।
वहीं, अन्य छात्र बेसिक स्तर लेकर भी विषय की मूल अवधारणाओं को अच्छे से समझ सकेंगे और बोर्ड परीक्षा में भाग ले सकेंगे। नए एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के साथ होगा यह बदलाव यह पूरा बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)- 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (एनसीएफ-एसई) 2023 के अनुरूप किया जा रहा है।
फिलहाल एनसीईआरटी की ओर से कक्षा 1 से 4 और कक्षा 6 व 7 के लिए नई किताबें जारी हो चुकी हैं। कक्षा 9 और 11 के लिए किताबें इस साल के अंत तक आने की उम्मीद है। इन्हीं किताबों के आधार पर 2026 से यह नया 2-लेवल पैटर्न लागू होगा।
उद्देश्य: तनाव कम हो, विषय में गहराई बढ़े
सीबीएसई की दिसंबर 2024 की गवर्निंग बाडी की बैठक में कहा गया था कि विषयों को दो स्तरों में बांटने से छात्र अपनी पसंद, रुचि और समझ के अनुसार पढ़ाई कर सकेंगे। इससे एक तरफ जहां बोर्ड परीक्षा का तनाव कम होगा, वहीं दूसरी ओर जो छात्र विषय में गहराई से जाना चाहते हैं, उनके लिए स्टैंडर्ड स्तर की पढ़ाई भी उपलब्ध रहेगी।
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