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    CBSE ने एडमिट कार्ड नियम में किया बड़ा बदलाव, इस प्रक्रिया के बाद ही कर पाएंगे डाउनलोड

    Updated: Thu, 17 Jul 2025 05:35 PM (IST)

    सीबीएसई ने सत्र 2025-26 से बड़ा बदलाव करते हुए पहली से 10वीं तक के छात्रों के लिए आर्ट इंटीग्रेटेड प्रोजेक्ट अनिवार्य कर दिया है। कलासेतु पोर्टल पर प्रोजेक्ट अपलोड करने पर ही एडमिट कार्ड मिलेंगे। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कला संस्कृति और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। प्रोजेक्ट का उद्देश्य कला के जरिए सीखने को रोचक बनाना है।

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    बिना आर्ट प्रोजेक्ट के नहीं मिलेगा बोर्ड परीक्षा का प्रवेश पत्र: सीबीएसई। फाइल फोटो

    रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। अब सिर्फ किताबें पढ़ना काफी नहीं, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने बोर्ड परीक्षा के प्रवेश पत्र पाने के लिए भी कला को जरूरी बना दिया है। बोर्ड ने सत्र 2025-26 के लिए बड़ा निर्णय लेते हुए पहली से 10 तक के सभी छात्रों के लिए आर्ट इंटीग्रेटेड प्रोजेक्ट अनिवार्य कर दिया है।

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    इस प्रोजेक्ट को कलासेतु पोर्टल पर अपलोड करना स्कूलों के लिए जरूरी होगा, बिना प्रोजेक्ट अपलोड किए, स्कूल कलासेतु पोर्टल से बोर्ड परीक्षार्थियों के एडमिट कार्ड नहीं डाउनलोड कर पाएंगे।

    यह निर्देश बोर्ड की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) के तहत स्कूल शिक्षा में कला, संस्कृति और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जारी किया गया है।

    यह प्रोजेक्ट हर छात्र को किसी भारतीय कला रूप (दृश्य या प्रदर्शन कला) से जोड़ते हुए बनाना होगा। कक्षा नौवीं और 10वीं में यह कार्य विषय समृद्ध करने का हिस्सा होगा, जबकि छोटे बच्चों के लिए यह अंत: विषय सीखने के रूप में प्रोत्साहित किया गया है।

    सीबीएसई ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस कदम का उद्देश्य छात्रों को कलाकार बनाना नहीं, बल्कि कला के जरिए सीखने को रोचक और व्यावहारिक बनाना है। इससे बच्चों को भारतीय सांस्कृतिक विविधता से जुड़ने और रचनात्मक सोच विकसित करने का अवसर मिलेगा।

    आर्ट इंटीग्रेटेड प्रोजेक्ट क्या है

    सीबीएसई के अनुसार, छात्रों को विषयों की पढ़ाई को किसी न किसी भारतीय कला रूप से जोड़ते हुए एक रचनात्मक प्रोजेक्ट तैयार करना होगा।

    यह प्रोजेक्ट उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की कला और संस्कृति पर आधारित होना चाहिए जिसे सीबीएई ने स्कूल के लिए एक भारत श्रेष्ठ अभियान के तहत जोड़ा है।

    उदाहरण के लिए, अगर दिल्ली का कोई स्कूल अरुणाचल प्रदेश के साथ जोड़ा गया है, तो छात्र अपने प्रोजेक्ट में अरुणाचल की लोककलाओं, हस्तशिल्प, या संगीत को विषय के साथ जोड़ सकते हैं।

    कक्षा के अनुसार नियम

    • पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों प्रोजेक्ट कार्य इंटरडिसिप्लिनरी (बहु-विषयक) रूप में देने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
    •  नौवीं व 10वीं में यह प्रोजेक्ट सभी विषयों के आंतरिक मूल्यांकन का हिस्सा बनेगा, और इसे विषय समृद्ध गतिविधि माना जाएगा।
    •  प्रत्येक छात्र को यह कार्य चार-पांच के समूह में करना होगा।

    पर्यावरण और अभिभावकों की सहूलियत का ध्यान

    बोर्ड ने यह भी निर्देश दिया है कि प्रोजेक्ट कार्य पर्यावरण के अनुकूल होना चाहिए। इसमें स्थानीय संसाधनों का उपयोग, कम लागत और अभिभावकों पर वित्तीय बोझ न पड़े, इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।

    प्रधानाचार्यों व शिक्षकों के मुताबिक सीबीएसई का यह कदम बच्चों में रचनात्मकता, सांस्कृतिक समझ और सीखने की उत्सुकता को बढ़ाने वाला है। यह पहल देशभर के स्कूलों में पढ़ाई के पारंपरिक ढांचे को और अधिक जीवंत और समावेशी बनाने की दिशा में मानी जा रही है।

    राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का संयोजन 

    • जम्मू कश्मीर- गुजरात
    • पश्चिम बंगाल - तमिलनाडु
    • छत्तीसगढ़ - केरल
    • हिमाचल प्रदेश - दादर एवं नागर हवेली, दमन एवं दीव
    • उत्तराखंड- पुडुचेरी
    • तेलंगाना - झारखंड
    • राजस्थान - नागालैंड
    • महाराष्ट्र- सिक्किम
    • गोवा- मेघालय
    • दिल्ली - लक्ष्यदीप, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह
    • मध्य प्रदेश - बिहार
    • चंड़ीगढ़ - त्रिपुरा एवं मिजोरम
    • असम- आंध्र प्रदेश
    • उत्तर प्रदेश - अरुणाचल प्रदेश
    • हरियाणा - मणिपुर
    • कर्नाटक - लद्दाख
    • ओड़िसा- पंजाब

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