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    CBSE पेपर लीक मामला: परीक्षा तंत्र के दम पर बनाई थी साख, अब उसी पर उठे सवाल

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Sun, 01 Apr 2018 09:33 AM (IST)

    दसवीं व बारहवीं बोर्ड परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने के बाद सीबीएसई की साख पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। ऐसी घटनाएं प्रभावित करती हैं। ...और पढ़ें

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    CBSE पेपर लीक मामला: परीक्षा तंत्र के दम पर बनाई थी साख, अब उसी पर उठे सवाल

    नई दिल्ली [मनोज भट्ट]। स्कूलों को संबद्धता देने को लेकर जितनी प्रसिद्धि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को मिली है, उससे कहीं अधिक साख सीबीएसई ने अपने मजबूत परीक्षा तंत्र के दम पर बनाई है। दसवीं व बारहवीं बोर्ड परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने के बाद सीबीएसई की इस साख पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं।

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    सीबीएसई ने अपनी साख बनाई

    सीबीएसई वर्तमान में इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईईई), एमबीबीएस व बीडीएस कॉलेजों में दाखिले के लिए नीट समेत जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा, कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों की योग्यता निर्धारित करने वाली नेट जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाओं का आयोजन करती है, जिसमें प्रत्येक वर्ष लाखों छात्र प्रतिभाग करते हैं। मजबूत परीक्षा तंत्र के दम पर इन परीक्षाओं का सफल आयोजन कर सीबीएसई ने अपनी साख बनाई हुई थी, लेकिन इस वर्ष आयोजित हुई बोर्ड परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होने से साख पर गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं।

    साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं

    सीबीएसई के पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीएसई ने 80 के दशक से ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट का आयोजन करना शुरू किया था, जबकि इसी दशक से सीबीएसई जवाहर नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा भी आयोजित करता आ रहा है। सीबीएसई ने वर्ष 2001 में जेईईई का आयोजन भी शुरू किया था, जो आज भी जारी है। इसके साथ ही 2010 के बाद सीबीएसई ने कई अन्य परीक्षाओं का आयोजन करना भी शुरू किया। इन परीक्षाओं का आयोजन सीबीएसई सटीक तरीके से करती आ रही है, लेकिन बोर्ड परीक्षाओं के पेपर लीक होने से उसकी साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

    सीबीएसई में अलग-अलग विंग हैं

    हालांकि वह कहते हैं कि प्रत्येक परीक्षा के आयोजन के लिए सीबीएसई में अलग-अलग विंग हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं प्रभावित करती हैं। मल्टीपल सेट होते तो देश-विदेश के छात्रों को दोबारा परीक्षा नहीं देनी होती देश - विदेश में परीक्षा का सेट एक समान होने के कारण गणित व इकोनॉमिक्स की परीक्षा दोबारा आयोजित कराने से देश-विदेश के छात्र प्रभावित हुए हैं।

    ...तो परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता

    अशोक गांगुली का कहना है कि अगर प्रश्नपत्रों के मल्टीपल सेट तैयार किए होते तो छात्रों को इस तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में जिस परिक्षेत्र में प्रश्नपत्र लीक हुआ होता। उसी ही परिक्षेत्र में परीक्षा दोबारा आयोजित की जा सकती थी।

    दसवीं के 16 लाख से अधिक छात्र होंगे प्रभावित

    दसवीं गणित का प्रश्नपत्र दोबारा आयोजित कराने के सीबीएसई के फैसले से 16 लाख से अधिक छात्र प्रभावित होंगे। दसवीं में प्रमुख विषय के तौर पर पढ़ाए जाने के कारण दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत प्रत्येक छात्र को गणित की परीक्षा दोबारा देनी होगी। वहीं बारहवीं इकोनॉमिक्स की परीक्षा दोबारा आयोजित होने के कारण लाखों छात्रों के प्रभावित होने की आंशका है।

    देशभर के 8791 परीक्षा केंद्रों में दोबारा आयोजित होगी परीक्षा

    सीबीएसई ने दसवीं व बारहवीं की परीक्षा को शांतिपूर्ण आयोजित कराने के लिए देशभर में कुल 8791 परीक्षा केंद्र बनाए थे, जिसमें 4453 परीक्षा केंद्र दसवीं व 4138 परीक्षा केंद्र बारहवीं के छात्रों के लिए बनाए गए थे। इनके अलावा विदेश में दसवीं कक्षा के छात्रों के लिए 78 परीक्षा केंद्र व बारहवीं के छात्रों के लिए 71 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इन सभी परीक्षा केंद्रों में गणित व इकोनॉमिक्स की परीक्षा दोबारा आयोजित की जाएगी। 

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