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    Dog Terror in Delhi: लुटियंस दिल्ली में आवारा कुत्तों के काटने के मामले लगातार बढ़े, एक साल में हजारों लोग हुए शिकार

    By Nihal Singh Edited By: Sonu Suman
    Updated: Mon, 26 Feb 2024 09:26 AM (IST)

    दिल्ली के तुगलक रोड इलाके में शनिवार रात आवारा कुत्तों ने एक डेढ़ साल की बच्ची को नोच-नोचकर मार डाला। इसके बाद दिल्ली में कुत्तों को लेकर बहस शुरू हो गई है। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) इलाके में हर साल हजारों लोग शिकार हो रहे हैं। पर सरकार में बैठे अधिकारी हाथ पर हाथ रखकर बैठे हैं। प्रशासन इसका कोई समाधान नहीं निकाल पाया।

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    लुटियंस दिल्ली में आवारा कुत्तों के काटने के मामले लगातार बढ़े।

    निहाल सिंह, नई दिल्ली। कहने को तो कुत्ता बेजुबान हैं, लेकिन उस बच्ची का भी क्या दोष था, जो अभी मां-पापा बोलना भी ढंग से नहीं सीखी थी। वह खूंखार कुत्तों का शिकार होकर दुनिया से चली गई, लेकिन जनता के पैसे से लाखों रुपये का वेतन लेकर सरकार में बैठे अधिकारियों का कुछ नहीं होगा। पर वहीं, कागजी कार्रवाई होगी और मामला फाइलों में दबकर शांत हो जाएगा। फिर कोई दिव्यांशी शिकार बनेगी तो वहीं, रटा-रटा बयान होगा कि वह बंध्याकरण कर रहे हैं, लेकिन कुत्ता प्रेमी उन्हें कार्रवाई नहीं करते देते हैं।

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    यह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का पहला मामला नहीं है। बल्कि अकेले नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) इलाके में हर साल हजारों लोग शिकार हो रहे हैं। पर सरकार में बैठे अधिकारी हाथ पर हाथ रखकर बैठे हैं। एनडीएमसी की बात करें तो हर साल कुत्तों द्वारा लोगों को काटे जाने की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन स्थिति यह है कि इसका कोई समाधान एनडीएमसी अभी तक नहीं निकाल पाया है। कभी कुत्ता प्रेमियों द्वारा कार्रवाई के बीच में आने या फिर लोगों द्वारा कार्रवाई को रोकने की बात कहकर एनडीएमसी पीछा छुटा लेता है, लेकिन सख्ती से कार्रवाई नहीं होती।

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    लोगों ने एनडीएमसी से कई बार की थी शिकायत

    घटना जहां हुई हैं वहां पर लोग कई बार शिकायत कर चुके थे, लेकिन एनडीएमसी की लापरवाही के चलते बच्ची की जान चली गई। खूंखार हुए कुत्ते को पहले से अगर, चिकित्सकों की निगरानी में रखा होता तो शायद दिव्यांशी आज हंस खेल रही होती। एनडीएमसी के अनुसार हर वर्ष कुत्तों द्वारा लोगों के शिकार के मामले बढ़ रहे हैं। वर्ष 2017-18 में जो संख्या 1559 थी वह अब 1800-1900 जा पहुंची हैं।

    NDMC ने माना चल रहा था अस्थायी डॉग शेल्टर

    एनडीएमसी ने माना है कि घटनास्थल के आस-पास पाए गए सभी कुत्तों का बंध्याकरण और टीकाकरण हो रखा था, लेकिन वहां पर एक अस्थायी डॉग शेल्टर चल रहा था। अब सवाल उठता है कि अतिक्रमण करके बनाए गए अस्थायी डॉग शेल्टर को एनडीएमसी ने हटाया क्यों नहीं? जबकि अतिक्रमण के खिलाफ कार्य करने की जिम्मेदारी तो एनडीएमसी की है। इससे न केवल एनडीएमसी का जन स्वास्थ्य विभाग सवालों के घेरे में खड़ा होता है बल्कि प्रवर्तन विभाग के अधिकारियों पर भी सवाल खड़े होते हैं। आखिर लुटियंस दिल्ली में कैसे अतिक्रमण करके अस्थायी डॉग शेल्टर चल रहा था।

    छह साल में NDMC इलाके में कितने लोग हुए आवारा कुत्तों के शिकार

    वर्ष मामले
    2017-18 1559
    2018-19 257
    2019-20 1137
    2020-21 1894
    2021-22 1338
    2022-23 1793

    बंध्याकरण पर कितनी राशि NDMC ने की खर्च

    वर्ष राशि
    2016-17 8,09,230
    2017-18 7,42,240
    2018-19 12,17,300
    2019-20 9,79,840
    2020-21 22,99,980
    2021-22 20,00,000
    2022-23 30,00,000

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