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    शहीद की शौर्य गाथा: मां बोली- बदले में चाहिए 24 सिर, दूसरे बेटे को भी सेना में भेजती

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Mon, 05 Feb 2018 10:18 PM (IST)

    बेटे को खोने के बाद भी एक मां में देशप्रेम का भाव दिखा। सुनीता ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि अगर उनके दो बेटे होते तो वह दूसरे को भी सेना में भेजतीं।

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    शहीद की शौर्य गाथा: मां बोली- बदले में चाहिए 24 सिर, दूसरे बेटे को भी सेना में भेजती

    गुरुग्राम [जेएनएन]। पति के निधन के बाद भी बेटे की मंशा को भाप मां ने कपिल कुंडू को सेना की नौकरी के लिए तैयारी करने दी। बेटे ने अपने लक्ष्य को हासिल किया और सेना में भर्ती हो गया। 28 जनवरी को कैप्टन बना तो सबसे पहले मां को फोन कर जानकारी दी। मां बेटे की उपलब्धि पर फूली नहीं समा रही थी। दस फरवरी को उनका जन्मदिन था। वह जल्दी ही आने वाले थे। देर रात मां को जिगर के टुकड़े की शहादत की सूचना मिली तो वह बिलख उठी। पूरी रात रोती रही, अल सुबह तक मां के आंखो में आंसू छलक ही रहे थे। इस बात का गर्व भी दिखा उसके लाल ने देश के लिए प्राण बलिदान किए हैं।

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    मेरे लाल को सच्ची श्रद्धांजलि मिलेगी

    पाकिस्तान के प्रति सीने में गुस्सा भी चेहरे पर दिख रहा था। जब किसी ने बेटे की शहादत पर सवाल किया तो शोकाकुल मां का यही जवाब था कि मेरे लाल को सच्ची श्रद्धांजलि मिलेगी। शहीद की मां ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अब मुंहतोड़ जवाब देना ही पड़ेगा। यह कहते हुए सुनीता कुछ देर के लिए गुमसुम हो जाती हैं।

    पड़ोसी पटाखे फोड़ता रहता है

    एक प्रश्न के उत्तर में सुनीता ने बताया कि उनकी 3 फरवरी को भी कपिल से बात हुई थी। लेकिन कभी वहां के माहौल के बारे में नहीं बताता था। वह सबसे मिलकर रहता था। वह कहता था हमारा पड़ोसी पटाखे फोड़ता रहता है। मगर मां उस पर ध्यान नहीं दो मुझे तो यहां मजा आ रहा है। उसे पहाड़ों एवं प्रकृति से भी प्रेम था तथा वह कहता था कि अब वह पहाड़ों पर जीवन बिताएगा। कपिल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना चाहते थे।

    दूसरा बेटा होता तो सेना में भेजती

    बेटे को खोने के बाद भी एक मां में देशप्रेम का भाव दिखा। सुनीता ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि अगर उनके दो बेटे होते तो वह दूसरे को भी सेना में भेजतीं।

    राखी बांधकर भाई को दी अंतिम विदाई

    शहीद कपिल की छोटी बहन काजल अपने इकलौते भाई कपिल के शहीद होने पर अपने आंसू नहीं रोक पा रही हैं। वह हाथों में राखी लिए बताती है कि एनडीए में दाखिले के बाद वह कभी रक्षाबंधन पर अपने भाई को राखी नहीं बांध पाईं। ऐसे में वह जब भी मिल पाता था तभी उसे राखी बांध देती थीं। हाथ में लिए रक्षा सूत्र दिखाते हुए वह रोते हुए कहती हैं कि भाई देश के लिए शहीद हुआ है। वह बताती हैं कि कपिल जब भी छुट्टी आते थे तो सब रिश्तेदारों से मिलते थे। कपिल ने अपना जीवन या तो जॉब को समर्पित किया या परिवार को। अब जब समय आ रहा था कि वह अपने बारे में सोचें तो भगवान ने उन्हें अपने पास बुला लिया। 

    गांव में शोक की लहर 

    जम्मू-कश्मीर के पुंछ में पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब देते हुए शहीद हुए 22 वर्षीय कपिल कुंडू की शहादत पर उसके गांव रणसिका में शोक की लहर फैल गई। गांव के घरों में चूल्हा नहीं जला। जिसे भी सूचना मिलती वही शहीद के घर की ओर दौड़ा चला आता। कपिल जब सेना में लेफ्टिनेंट बने थे तो तब भी पूरा गांव उसके सम्मान में एकत्र हुआ था। आज जब उसके शहीद होने के समाचार आया तब भी पूरा गांव पार्थिव शरीर के इंतजार में घर के आसपास बैठा रहा। कपिल ने गांव से कुछ ही दूर पर स्थित डिवाइन डेल स्कूल शेरपुर से पढ़ाई की थी। स्कूल के विद्यार्थियों ने शहीद के सम्मान में तिरंगा लेकर यात्रा निकाली। विद्यार्थी अमर शहीद कपिल कुंडू का जयघोष करते नजर आए। ग्रामीण भी रैली में शामिल हुए।

    पैरा कमांडो का कोर्स भी किया

    कपिल का जन्म 10 फरवरी 1995 को हुआ था। वह अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। दो बड़ी बहने हैं, सोनिया और काजल। दोनों ही शादीशुदा हैं। कपिल ने बारहवीं की परीक्षा दी, उसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई थी। उसके बाद भी वह 80 फीसद अंक लेकर पास हुए। बाद में उन्होंने एनडीए की तैयारी की और एसएसबी की परीक्षा पास की। देहरादून स्थित संस्थान से दिसंबर 2016 में वह एनडीए से पास आउट हुए और जनवरी 2017 में उसकी लेफ्टिनेंट के रूप में कश्मीर में पोस्टिंग हो गई थी। बाद में पैरा कमांडो का कोर्स भी किया। दस दिन पूर्व 28 जनवरी को प्रमोशन मिलने पर वह कैप्टन बन गए।

    कपिल जैसे बनो

    कपिल अच्छे खिलाड़ी भी थे और प्रकृति प्रेमी भी। देश प्रेम की भावना उनमें कूट-कूटकर भरी थी। कपिल 10 फरवरी को फिर से छुट्टी आने वाले थे। 10 फरवरी को ही उनका जन्मदिन भी था। परिजन इंतजार कर रहे थे कि कपिल के आने पर जन्मदिन मनाएंगे। परंतु छह दिन पूर्व ही शहादत की खबर आ गई। इस खबर ने परिवार सहित पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया है। कपिल पूरे गांव के प्यारे थे। ग्रामीण अपने बच्चों को उनका उदाहरण देते हुए कहते थे कि कपिल जैसे बनो। अब ग्रामीण दुखी हैं एवं उनमें पाकिस्तान के प्रति रोष है। लोगों का मत है कि सरकार को पाकिस्तान को करारा जवाब देना चाहिए।

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