Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    महंगा इलाज कराने पर मजबूर हैं कैंसर मरीज, देश के सिर्फ 50 सरकारी अस्पतालों में ही है Radiotherapy सुविधा

    By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Abhi Malviya
    Updated: Mon, 09 Jan 2023 09:46 PM (IST)

    कैंसर मरीजों की संख्या पूरे देश में लगातार बढ़ रही है। हर वर्ष 14 लाख से अधिक लोग इस बीमारी से पीडि़त होते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयास के बावजूद उपचार की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।

    Hero Image
    देश में कैंसर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

    नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। देश में कैंसर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हर वर्ष 14 लाख से अधिक लोग इस बीमारी से पीडि़त होते हैं और करीब साढ़े सात लाख मरीज असमय काल के गाल में समा जाते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयास के बावजूद इस बीमारी के उपचार की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। देशभर में महज 50 सरकारी अस्पतालों में ही रेडियोथेरेपी की सुविधा है। दिल्ली सहित देश भर में कैंसर के इलाज का दारोमदार महंगे निजी अस्पतालों पर है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    निजी अस्पतालों में महंगी है रेडिएशन थेरेपी

    निजी अस्पतालों के महंगे इलाज और चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में बहुत मरीजों को रेडिएशन थेरेपी की सुविधा नहीं मिल पाती है। इसलिए कैंसर से अधिक मौत का एक बड़ा कारण मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिलना भी है।

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से संबंधित संसदीय कमेटी की रिपोर्ट में भी रेडिएशन थेरेपी की सुविधा की उपलब्धता पर सवाल उठाए गए हैं। सुविधा के अभाव के कारण औसतन लगभग 20 प्रतिशत मरीजों को ही रेडिएशन थेरेपी मिल पाती है। हालांकि, यह आंकड़ा थोड़ा हैरान करने वाला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानक के अनुसार, 10 लाख की आबादी पर रेडियोथेरेपी की एक मशीन होनी चाहिए। इस आधार पर देश में करीब 1,300 रेडियोथेरेपी मशीन की जरूरत है, जबकि 700 मशीनें ही उपलब्ध हैं। यानी 600 (46 प्रतिशत) मशीनों की कमी बनी हुई है।

    सरकारी और निजी क्षेत्र को मिलाकर लगभग 250 अस्पतालों में ही रेडियोथेरेपी की सुविधा है, जिसमें लगभग 200 निजी अस्पताल शामिल हैं। इसलिए रेडियोथेरेपी के लिए मरीज निजी अस्पतालों पर ही ज्यादा निर्भर हैं। मरीजों की संख्या के अनुसार देश में महज 250 अस्पतालों में ही रेडियोथेरेपी की सुविधा उपलब्ध होना चिकित्सा सुविधाओं पर गंभीर सवाल है।

    दिल्ली में तीन सरकारी अस्पतालों पर गरीब मरीजों की निर्भरता

    दिल्ली के 22 अस्पतालों में रेडिएशन थेरेपी होती है। इसमें एम्स, सफदरजंग, दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान, लोकनायक, आर्मी अस्पताल व आइएलबीएस (यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान) ये छह सरकारी क्षेत्र के अस्पताल शामिल हैं। आर्मी अस्पताल में आम मरीजों का इलाज नहीं होता है। लोकनायक अस्पताल में अभी रेडियोथेरेपी नहीं होती। आइएलबीएस में इलाज का खर्च महंगा है, इसलिए एम्स, दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान व सफदरजंग इन तीन अस्पतालों पर ही आर्थिक रूप से कमजोर मरीज इलाज के लिए निर्भर हैं।

    सफदरजंग अस्पताल में तीन में से दो मशीन कबाड़

    सफदरजंग अस्पताल में रेडियोथेरेपी के लिए तीन कोबाल्ट मशीनें हैं, जिसमें दो कबाड़ चुकी हैं। सिर्फ एक मशीन ही इलाज में इस्तेमाल होती है। यह मशीन भी पुरानी होने के कारण कई बार खराब हो जाती है। इस अस्पताल में लीनियर लीनियर एक्सीलेटर खरीदने की योजना वर्षों से लंबित है।

    निजी अस्पतालों में दो लाख तक आता है रेडिएशन पर खर्च

    एम्स में रेडिएशन थेरेपी में साढ़े सात हजार रुपये का खर्च आता है, जबकि निजी अस्पतालों में एक लाख से दो लाख रुपये तक खर्च आता है। यह खर्च उठाना आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए संभव नहीं हो पाता।

    कैंसर विशेषज्ञों की भी है कमी

    देश में कैंसर के इलाज में एक बड़ी बाधा विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी भी है। दस लाख की आबादी पर एक मेडिकल आंकोलाजी के विशेषज्ञ व 1.5 रेडिएशन आंकोलाजी विशेषज्ञ हैं।

    यह भी पढ़ें- Delhi News: चार अस्पतालों में रेडिएशन विभाग, फिर भी नहीं होती कैंसर मरीजों की रेडियोथेरेपी

    यह भी पढ़ें- कीमो या रेडियोथेरेपी ले रहे ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों में Coronavirus का खतरा अधिक, रखें ये सावधानियां

    comedy show banner
    comedy show banner