NIFTEM के वैज्ञानिकों ने डायबिटीज रोगियों के लिए खोजी रामबाण औषधि, ऊंटनी के दूध से बनी 'डिस्किट' होगी कारगर
भारत मंडपम में वर्ल्ड फ़ूड इंडिया 2025 मेले में ऊंट के दूध से बनी डिस्किट मधुमेह रोगियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। निफ्टेम के वैज्ञानिकों ने इसे बनाया है। ऊंट का दूध औषधीय गुणों से भरपूर होता है लेकिन जल्दी खराब हो जाता है। उच्च दाब तकनीक से इसे बिस्किट के रूप में बनाया गया है जो प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर है।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। भारत मंडपम में चल रहे वर्ल्ड फ़ूड इंडिया 2025 मेले में मधुमेह रोगियों के लिए प्रदर्शित डिस्किट भी आकर्षण का केंद्र है। ऊंट के दूध से बनी डिस्किट, हॉल नंबर 14 में निफ्टेम-के मंडप में प्रदर्शित है, जिसे मधुमेह रोगी भी निश्चिंत होकर खा सकते हैं। यह अनूठा आविष्कार सोनीपत स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (निफ्टेम) के वैज्ञानिकों का है।
ऊंट का दूध क्यों खास है?
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऊँट का दूध औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसे मधुमेह रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। ऊँट का दूध आमतौर पर जल्दी खराब हो जाता है और उबालने से इसका पोषण मूल्य कम हो जाता है। यहीं पर निफ्टेम-के अनुसंधान दल को एक अनोखा विचार सूझा—इसे लंबे समय तक संरक्षित रखने और स्वादिष्ट बनाने का।
उच्च दाब 'डिस्किट'
शोधकर्ताओं ने बीकानेर से ऊंट का दूध प्राप्त किया और अत्याधुनिक उच्च दाब गैर-तापीय प्रसंस्करण तकनीक का उपयोग किया। इससे रोगाणु नष्ट हो गए और दूध की शेल्फ लाइफ बढ़ गई। फिर, एक विशेष संपीड़न तकनीक का उपयोग करके, दूध को पाउडर में बदल दिया गया और बिना पकाए बिस्किट जैसे गोल "डिस्किट" बनाए गए। ये दो स्वादों में उपलब्ध हैं - इलायची और वेनिला।
डिस्किट पोषक तत्वों से भरपूर
प्रत्येक 20 ग्राम डिस्किट में लगभग 20 प्रतिशत प्रोटीन, 19.3 प्रतिशत वसा और लगभग 48 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो इसे मधुमेह रोगियों के लिए एक संतुलित और ऊर्जादायक नाश्ता विकल्प बनाता है। 20 ग्राम प्रोटीन दूध आधारित होता है, जिसकी जैविक उपलब्धता सामान्य प्रोटीन की तुलना में अधिक होती है। डिस्किट का 100 ग्राम का पैकेट लगभग एक यूनिट इंसुलिन के बराबर मौखिक उपलब्धता प्रदान कर सकता है।
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