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    देश में ई-कॉमर्स कंपनियों को टक्कर देगा CAIT, जल्द लांच होगा स्वदेशी ई-पोर्टल मोबाइल एप

    By Mangal YadavEdited By:
    Updated: Tue, 09 Mar 2021 05:21 PM (IST)

    CAIT Bharat E-Market Portal व्यापारी भारत ईमार्केट के साथ हर भारतीय घर तक पहुंचने में सक्षम होंगे और अविश्वसनीय समय सीमा के भीतर माल की डिलीवरी करने में सक्षम होंगे और सबसे सस्ती दरों पर सामान और सेवाएं प्रदान करेंगे जो उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद होगा।

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    कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का मोबाइल एप्लीकेशन भारत ई-मार्किट

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय व बहुराष्ट्रीय ई-कामर्स कंपनियों को टक्कर देने के लिए कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) अपने वेंडर मोबाइल एप्लीकेशन को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर लांच करेगा। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने संयुक्त बयान में कहा कि भारत ई-मार्किट जो विशुद्ध रूप से "भारतीय' है और ये स्वदेशी पोर्टल विदेशी बहुराष्ट्रीय दिग्गजों के साथ नैतिक रूप से प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत के आठ करोड़ व्यापारियों को समान स्तर का प्लेटफार्म प्रदान करेगा। इसके माध्यम से व्यापारियों को अब अपने पुराने स्थापित ग्राहकों को डिजिटल रूप से सेवा करने का अवसर मिलेगा, जिनके साथ वे वर्षों से व्यापार कर रहे हैं।

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    व्यापारी भारत ईमार्केट के साथ हर भारतीय घर तक पहुंचने में सक्षम होंगे और अविश्वसनीय समय सीमा के भीतर माल की डिलीवरी करने में सक्षम होंगे और सबसे सस्ती दरों पर सामान और सेवाएं प्रदान करेंगे जो उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद होगा। खंडेलवाल ने कहा कि भारत के बढ़ते ई-कॉमर्स स्पेस में भारत ई-मार्केट गेम चेंजर साबित होगा। अब समय आ गया है कि देश के प्रत्येक खुदरा व्यापारी को अपनी वास्तविक ताकत का अहसास कराया जाए और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उतरने के लिए प्रेरित किया जाए जिससे वे वास्तविक संभावनाओं का लाभ उठा सके।

    भारत ई मार्किट का लक्ष्य 31 दिसंबर, 2021 तक कम से कम सात लाख विक्रेताओं को ऑन बोर्ड करना और 31 दिसंबर, 2023 तक एक करोड़ विक्रेताओं को जोड़ कर चीन के अलीबाबा को पछाड़कर इसे दुनिया का सबसे बड़ा बाज़ार बनाना है, जिसमें लगभग 80 लाख विक्रेता मौजूद हैं।

    दोनों नेताओं ने भारत के ई-कॉमर्स बाजार की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की, जिसके गिरते स्तर का कारण ये बहुरराष्ट्रीय कंपनियों है जिन्होंने सरकार के एफडीआई मानदंडों को पूरी तरह से विफल कर दिया है और अपने स्वार्थी उद्देश्यों के लिए अनैतिक व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा देकर ई-कॉमर्स के स्वस्थ वातावरण को बर्बाद कर दिया है।