Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चौधरी साहब की बगावत से हिल गई थी अंग्रेजी सरकार, यूं ही नहीं कहलाते किसानों के मसीहा; कई खास लम्हों के किस्से

    Chaudhary Charan Singh भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा कहे जाने वाले किसान नेता स्व.चौधरी चरण सिंह ने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक भारत की बागडोर संभाली थी। गांव-गरीब और किसानों को आजाद भारत की सियासत के केंद्र में लाने वाले चौधरी साहब का देश की सत्ता पर आसीन होने का सफर आसान नहीं था।

    By Nitin YadavEdited By: Nitin YadavUpdated: Fri, 28 Jul 2023 10:36 AM (IST)
    Hero Image
    चौधरी साहब की बगावत से हिल गई थी अंग्रेजी सरकार, यूं ही नहीं कहलाते किसानों के मसीहा।

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। किसानों के मसीहा कहे जाने वाले किसान नेता स्व.चौधरी चरण सिंह ने भारत के पांचवें प्रधानमंत्री के रूप से में शपथ ली थी। उन्होंने 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक भारत की बागडोर को संभाली थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गांव-गरीब और किसानों को आजाद भारत की सियासत के केंद्र में लाने वाले चौधरी साहब का देश की सत्ता पर आसीन होने का सफर आसान नहीं था। उन्होंने आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ हुए आंदोलन में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाई थी।

    आज हम आपको ऐसे कुछ यादगार लम्हों के बारे में बताने जा रहे हैं। जब चौधरी साहब ने अपने हुक्के की गुड़गुड़ाहट से अंग्रेजी सरकार को हिलाकर रख दिया।

    अंग्रेजों ने दिया था देखते ही गोली मारने का आदेश

    उन्होंने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बगावत में तूफान खड़ा कर दिया था, जिससे अंग्रेजों ने उन्हें देखते ही गोली मारने का आदेश दिया था। वहीं, आचार्य दीपांकर समेत बागपत के अनेक वीर सपूतों ने भी अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। महात्मा गांधी ने नौ अगस्त 1942 में देशवासियों से ‘करो या मरो’ का आह्वान कर ‘अंग्रेजों भारत छोड़ों’ की आवाज उठाई। देश में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन खड़ा हो उठा था।

    Charan Singh

    अंग्रेजी सरकार की उड़ा दी थी नींद

    चौ. चरण सिंह ने पश्चिम उप्र में मेरठ संभाग की बागडोर संभाली। उन्होंने  भूमिगत होकर मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, हापुड़ तथा बुलंदशहर के गांवों में क्रांतिकारियों का संगठन खड़ा कर अंग्रेजी शासन की नींद हराम कर दी थी। मेरठ प्रशासन ने उन्हें देखते ही गोली मारने का आदेश दिया था।

    Choudhry Charan Singh

    उस दौरान चौ. चरण सिंह ने बागपत के दाहा में जनसभा को संबोधित किया था, लेकिन पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई थी। कुछ दिन बाद गिरफ्तार कर लिए गए थे। कुछ रालोद नेता बताते हैं कि चौधरी साहब 1930 में लोनी में नमक बनाने पर छह माह जेल और 1940 के सत्याग्रह आंदोलन में डेढ़ साल जेल में रहे थे।

    किसानों की स्थिति को लेकर रहते थे चिंतित

    एक नेता ने जागरण को बताया कि वह हमेशा यही बात कहते थे कि किसानों की स्थिति सुधरनी बहुत जरूरी है। उन्हें यह चिंता भी सताती थी कि उनके बाद किसानों के मुद्दों की पैरवी कौन करेगा।

    जगत सिंह लगातार 12 वर्षों तक चौधरी चरण सिंह और उसके बाद अजीत सिंह के साथ वह लगातार अलग-अलग दलों के मेरठ के जिला अध्यक्ष रहे। पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के निधन के बाद वह उनकी अस्थियों को लेकर हरिद्वार में विसर्जन के लिए ले गए थे।