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    Brijbhushan Case: महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में एक सितंबर तक टली सुनवाई, अगली डेट पर होगी ये जिरह

    By Jagran NewsEdited By: Pooja Tripathi
    Updated: Sat, 26 Aug 2023 02:44 PM (IST)

    भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह मामले में आज दिल्ली के राउज एवेन्यू अदालत में सुनवाई होनी थी जो टाल दी गई। अब यहां अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी। जानकारी के अनुसार अगली सुनवाई पर प्रादेशिक क्षेत्राधिकार को लेकर जिरह होगी। इस मामले में अदालत भाजपा सांसद को कोर्ट में पेश होने का समन भी दे चुकी है।

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    बृजभूषण शरण सिंह केस में 1 सितंबर मिली अगली तारीख

    नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष  और गोंडा (यूपी) से भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह मामले में शनिवार (26 अगस्त) को दिल्ली के राउज एवेन्यू अदालत में सुनवाई होनी थी, जो टाल दी गई। अब यहां अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी।

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    जानकारी के अनुसार, अगली सुनवाई पर प्रादेशिक क्षेत्राधिकार को लेकर जिरह होगी। गौरतलब है कि महिला पहलवानों ने बृजभूषण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया है।

    क्या है मामला?

    बता दें कि महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने अलग-अलग मौकों पर मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा था कि यह मामला कोर्ट में है और इसलिए मुझे नहीं लगता कि अब इस बारे में मुझे कुछ कहना चाहिए।

    दिल्ली पुलिस ने छह बालिग महिला पहलवानों के मामले में बृजभूषण सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (अपमान), 354A (यौन उत्पीड़न), 354D (पीछा करना) और 506 (1) (आपराधिक धमकी) के तहत अपराधों के लिए आरोप पत्र दायर किया था।

    वहीं, नाबालिग पहलवान (लड़की) के मामले में दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में कैंसिलेशन रिपोर्ट फाइल की थी।

    बृजभूषण शरण सिंह पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त हैं सबूत: दिल्ली पुलिस

    महिला पहलवानों से यौन उत्पीड़न के मामले में 11 अगस्त को दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि उनके पास भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं।

    राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने आरोपों पर पुलिस की दलीलें सुनने के बाद मामले को 19 अगस्त को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। पुलिस की ओर से पेश अधिवक्ता अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि सिंह और सह-आरोपित और निलंबित डब्ल्यूएफआइ सहायक सचिव विनोद तोमर के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

    उन्होंने कहा कि आरोपितों पर उन अपराधों के लिए आरोप लगाया जाना चाहिए जिनके लिए उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। सीआरपीसी की धारा 188 के संदर्भ में बचाव पक्ष द्वारा की गई दलीलों को लेकर उन्होंने तर्क दिया कि धारा 188 की रोक तब लागू होती है जब अपराध पूरी तरह से भारत के बाहर किया जाता है, अन्यथा नहीं।