एक और पंचायत का तुगलकी फरमान, प्रेमिका के सामने प्रेमी को मारे पांच जूते
पंचायत की कार्रवाई ने न सिर्फ इंसानियत, बल्कि कानून व्यवस्था को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
मेवात (जेएनएन)। दिल्ली से सटे हरियाणा के मेवात जिले में एक बार फिर पंचायत के बेतुके फरमान से नाइंसाफी का मामला सामने आया है। फरमान के बाद कार्रवाई ने न सिर्फ इंसानियत, बल्कि कानून व्यवस्था को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल, मेवात इलाके के पुन्हाना में भरी पंचायत ने युवक को पड़ोसी गांव की युवती से प्रेम करने पर पांच जूते मारने की सजा दी। इसके अलावा 80 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इसके बाद युवक को भरी पंचायत में पीटा गया। पूरे घटनाक्रम का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
पंचायत में मौजूद ग्रामीणों के मुताबिक, प्रेमी की जूतों से पिटाई करने के बाद उससे धमकी भरे अंदाज में कहा गया है कि भविष्य में अगर वह युवती से मिला तो 51 लाख रुपये का भारी भरकम जुर्माना लगाया जाएगा।
युवक-युवती एक-दूसरे से करते हैं प्रेम
जानकारी के मुताबिक, युवक और युवती एक-दूसरे को काफी समय से जानते थे। एक-दो मुलाकातों के दौरान ही करीब आ गए। इस बीच मुलाकातों के सिलसिला तेज हो गया। ग्रामीणों के साथ परिजनों को दोनों के प्रेम प्रसंग की जानकारी हुई तो उन्होंने दोनों के प्रेम का विरोध किया।
घर से भाग गए थे प्रेमी-प्रेमिका
ग्रामीणों का कहना है कि उनके समझाने पर भी दोनों नहीं माने और सख्ती की गई तो प्रेमी-प्रेमिका घर से ही भाग गए थे। दोनों गांवों के बीच हिंसा से बचाव के लिए लड़की वालों ने लड़के वालों पर दबाव बनाकर प्रेमी जोड़े को वापस बुला लिया था।
पंचायत ने जारी किया तुगलकी फरमान
वापस आने पर प्रेमी-प्रेमिका के मद्देनजर दोनों गांवों के लोगों की मंगलवार को बड़ी पंचायत हुई। इस दौरान पंचायत युवक को पड़ोसी गांव की युवती से प्रेम करने पर पांच जूते मारने की सजा दी। इसके अलावा 80 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
यह भी पढ़ेंः Love के एग्जाम में गर्लफ्रेंड हो गई फेल, मारा गया ब्वॉयफ्रेंड
यहां पर बता दें कि अंतरजातीय विवाह करने वाले किसी भी व्यस्क युवक युवती पर खाप पंचायत द्वारा किए गए हमले को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूरी तरह अवैध करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई बालिग लड़के-लड़की को शादी करने से रोकता है तो यह गैरकानूनी है। अगर, बालिग शादी करते हैं तो कोई सोसाइटी, कोई पंचायत, कोई व्यक्ति उन पर सवाल नहीं उठा सकता।
सुप्रीम कोर्ट एनजीओ शक्तिवाहिनी संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें ऑनर किंलिंग जैसे मामलों पर रोक लगाने के लिए गाइडलाइन बनाने की मांग की गई है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खान्विल्कर और डी वाइ चंद्रचूड़ के बेंच ने एमिकस क्यूरी राजू रामचंद्रन द्वारा पहले दिए गए सुझावों पर केंद्र से प्रतिक्रिया देने की बात कही। परिवार के सम्मान के नाम पर अंर्तजातीय या अलग गोत्र में विवाह करने पर युवाओं की हत्या को रोकने के लिए सुझाव दिए थे।
2010 में एनजीओ सुप्रीम कोर्ट पहुंची और केंद्र व राज्य सरकारों से ऑनर किलिंग को रोकने व नियंत्रित करने के लिए निर्देश देने की बात कही। इससे पहले ऑनर के नाम पर महिलाएं व दंपत्तियों की हत्या को रोकने के लिए कोर्ट ने खाप पंचायतों को अपना पक्ष पेश करने के लिए बुलाया था।
इसके साथ ही केंद्र ने सु्प्रीम कोर्ट से खाप पंचायतों द्वारा महिलाओं के खिलाफ अपराधों की निगरानी के लिए एक तंत्र तैयार करने का अनुरोध किया था। कोर्ट ने भी कहा था कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह हरियाणा व उत्तर प्रदेश के तीन जिलों में जायजा लेंगे जहां खाप पंचायत सक्रिय है।