Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'भ्रष्टाचार के खिलाफ दिल्लीवालों की लड़ाई की जीत', मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर FIR होने पर बोली भाजपा

    Updated: Wed, 30 Apr 2025 03:13 PM (IST)

    आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन कथित तौर पर 2000 करोड़ रुपये के क्लासरूम निर्माण घोटाले में नई मुसीबत का सामना कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने दोनों नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है। दिल्ली भाजपा चीफ वीरेंद्र सचदेवा ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाख दिल्लीवालों की जीत बताया है।

    Hero Image
    दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की फाइल फोटो।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में क्लासरूम बनाने में भ्रष्टाचार को लेकर एसीबी ने बुधवार को आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) और सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) के खिलाफ मामला दर्ज किया है। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इसे लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्होंने कहा, "आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध दिल्लीवालों ने लंबी लड़ाई लड़ी है। अब भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने स्कूलों में कमरे बनाने में हुए घोटाले के आरोपित पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया एवं सत्येंद्र जैन के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

    यह दिल्लीवासियों की लड़ाई की जीत है। वर्ष 2015 में सत्ता में आने के कुछ समय बाद ही तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उनके मंत्रियों के भ्रष्टाचार सामने आने लगे थे। उस समय से भाजपा आवाज उठा रही है।

    'एक क्लासरूम के निर्माण के लिए 24. 86 लाख का बजट'

    सचदेवा ने कहा कि वर्ष 2015-16 में तत्कालीन केजरीवाल सरकार ने स्कूलों में 12748 क्लास रूम बनाने के लिए रूपए 2892 करोड़ का बजट आवंटन किया था। इसके अनुसार एक क्लास रूम के निर्माण के लिए 24. 86 लाख रुपये आवंटित हुआ था, जबकि सीपीडब्लूडी के नियम के अनुसार इसकी लागत 5 लाख के आसपास थी। उस समय भाजपा ने इसका विरोध किया।

    उन्होंने कहा, "भाजपा नेता कपिल मिश्रा, हरीश खुराना एवं नीलकांत बख्शी ने एसीबी एवं लोकायुक्त में शिकायत दी थी। दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा सहयोग नहीं करने से जांच में विलंब हुआ। एसीबी की प्राथमिक जांच में ही स्पष्ट हो गया है कि टेंडर प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। आप से संबंधित लोगों को टेंडर दिया गया। वर्ष 2022-23 में सतर्कता आय़ुक्त को दी गई रिपोर्ट को तत्कालीन सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया गया।"