AAP का बदला चाल चरित्र...LG द्वारा 437 विशेषज्ञों की नियुक्ति को निरस्त करने पर बोले सुधांशु त्रिवेदी
दिल्ली फेलोशिप के तहत दिल्ली विधानसभा में सेवाएं दे रहे विशेषज्ञों पर उपराज्यपाल के आदेश से की गई कार्रवाई के बाद सेवा मुक्त कर दिया गया है। इसके बाद दिल्ली सरकार और एलजी के बीच खींचतान शुरू हो गई है। सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस वार्ता में कहा सरकारी पद पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया का पालन होता है। नियुक्ति के लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति लेनी होती है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली फेलोशिप के तहत दिल्ली विधानसभा में सेवाएं दे रहे विशेषज्ञों पर उपराज्यपाल के आदेश से की गई कार्रवाई के बाद सेवा मुक्त कर दिया गया है। इसके बाद दिल्ली सरकार और एलजी के बीच खींचतान शुरू हो गई है।
इस मामले में शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने विशेषाधिकार का हनन बताया है। साथ ही इसे सदन की अवमानना भी बताया है। अब इस मामले में भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस वार्ता कर आप सरकार पर हमला बोला है।
सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस वार्ता में कहा, 'सरकारी पद पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया का पालन होता है। नियुक्ति के लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति लेनी होती है। वित्तीय प्रविधान होता है, यदि प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है तो यह गंभीर मामला है।
आप का बदला चाल चरित्र: भाजपा नेता
दिल्ली सरकार ने सरकारी पैसे खर्च कर आम आदमी पार्टी के प्रचार के लिए लोगों को नियुक्त किया था। उपराज्यपाल ने 437 विशेषज्ञों की नियुक्ति को निरस्त किया है। यह सही कदम है।
अरविंद केजरीवाल जनता को चंद रुपये की सहुलियत देकर अपने लिए करोड़ों रुपये का आवास बनाने के साथ अपनों को लाखों रुपये दे रहे हैं।
उन्होंने शपथ पत्र लिखा था कि मकान नहीं लेंगे। सभी विधायकों से मकान, वाहन व सुरक्षा नहीं लेने का शपथ लिया गया था। दस वर्षों में किसी पार्टी का इतना चाल चरित्र नहीं बदला होगा, जितना आम आदमी पार्टी का बदल गया है।
दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा
उपराज्यपाल ने 437 नियुक्तियों को निरस्त किया है। 116 के नाम सार्वजनिक हुए हैं। नियुक्ति निरस्त होते ही इनमें से अधिकांश के इंटरनेट मीडिया अकाउंट डिलीट हो गए। इन सभी का काम आम आदमी पार्टी का इंटरनेट मीडिया पर प्रचार करना।
अरविंद केजरीवाल को बताना चाहिए कि 437 लोगों को नियुक्त करने से पहले नियम अनुसार अनुमति ली गई थी या नहीं? दिल्ली सरकार के प्रत्येक विभाग में भ्रष्टाचार है। उपराज्यपाल से सभी नाम सार्वजनिक करने की मांग। इन नियुक्तियों की जांच होनी चाहिए। गलत तरीके से नियुक्ति करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
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