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पुरानी कब्ज के मरीजों में बायोफीडबैक थेरेपी कारगर, जानिए कैसे होता है फायदा

डा. अनिल अरोड़ा ने बताया कि कब्ज रोगी को बायोफीडबैक थेरेपी एक सप्ताह से 15 दिन तक प्रतिदिन 15 से 30 मिनट तक दी जाती है। इसके लिए मरीज को भर्ती करने की जरूरत नहीं होती है। यह ओपीडी में ही हो जाती है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 24 Apr 2022 08:15 PM (IST)Updated: Sun, 24 Apr 2022 08:17 PM (IST)
डिस्सिनर्जिया से पीड़ित 72 मरीजों की कब्ज की समस्या हुई खत्म।

नई दिल्ली [राहुल चौहान]। पुरानी कब्ज के 72 मरीजों पर बायोफीडबैक थेरेपी के असर का सर गंगाराम अस्पताल के डाक्टरों ने अध्ययन किया। रोगियों को यह थेरेपी पांच से सात दिन तक दी गई। अध्ययन में यह थेरेपी 70 प्रतिशत मरीजों की पुरानी कब्ज की समस्या को स्थाई तौर पर खत्म करने में कामयाब रही। सर गंगाराम अस्पताल में इंस्टीट्यूट आफ लिवर गैस्टोएंट्रोलाजी एंड पैन्क्रियाटिकोबिलरी साइंसेज के चेयरमैन प्रो. डा. अनिल अरोड़ा ने बताया कि दो साल में इंस्टीट्यूट में आए 180 लोगों की औसतन उम्र 49 वर्ष थी। ये सभी पेट की पुरानी कब्ज से परेशान थे। जिससे उनका पेट कभी साफ नहीं होता था और परेशानी रहती थी। इनमें से अधिकतर मरीजों ने कब्ज के कारण के मूल्यांकन के लिए पहले से ही कालोनोस्कोपी करा ली थी।

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सर गंगाराम अस्पताल में पांच से सात दिन बायोफीडबैक थेरेपी से हुआ इलाज

कब्ज के कारण का मूल्यांकन करने के बाद यह देखा गया कि 72 मरीजों में डिस्सिनर्जिया (बड़ी आंत और मल द्वार के बीच में तालमेल की कमी) थी।। इन मरीजों की हमने अपनी लैब में बायोफीडबैक थेरेपी की। इन मरीजों में बायोफीडबैक थेरेपी असरदार रही। ये मरीज करीब तीन साल से पेट साफ करने की दवाइयां ले रहे थे। प्रो. अरोड़ा ने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि उचित समय पर मूल्यांकन और सही चिकित्सा पुरानी कब्ज के कई असहाय मरीजों के लंबे समय तक चलने वाले कष्ट को कम करने में बहुत मददगार साबित हो रही है।

ऐसे दी जाती है बायोफीडबैक थेरेपी

थरेपी के लिए एक गुब्बारे को एक तरफ से एक सिरिंज और मीटर से जोड़ा गया है। साथ ही इसे एक साफ्टवेयर के माध्यम से कंप्यूटर से भी कनेक्ट किया जाता है। जिससे मरीज मल निकासी के लिए कितना जोर लगा रहा है उसके दबाव का पता चलता रहे। पहले कब्ज रोगी के पेट के अंदर बैलून को नीचे से डाल जाता है और फिर सिरिंज से गुब्बारे में 50 प्रतिशत क्षमता तक पानी भरा जाता है। पानी की मात्रा का मीटर में पता चलता रहता है। पेट के अंदर पानी भरने के बाद रोगियों के पेट का तेज प्रेशर बनता है और तेजी के साथ मल आता है। इससे पेट साफ होना शुरू हो जाता है।

एक सप्ताह से 15 दिन तक चलती है थेरेपी

डा. अनिल अरोड़ा ने बताया कि कब्ज रोगी को बायोफीडबैक थेरेपी एक सप्ताह से 15 दिन तक प्रतिदिन 15 से 30 मिनट तक दी जाती है। इसके लिए मरीज को भर्ती करने की जरूरत नहीं होती है। यह ओपीडी में ही हो जाती है। इसे कराने का 20 से 30 हजार रुपये का पैकेज होता है।


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