Delhi Election 2025: कैलाश गहलोत की जीत नहीं होगी आसान! AAP और कांग्रेस ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला
Delhi Election 2025 में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं। इधर आम आदमी पार्टी के दो पूर्व नेताओं ने अलग-अलग पार्टियों का टिकट लेकर बिजवासन सीट पर अपनी दावेदारी ठोक दी है। इस बार तीनों पार्टियों के नामी चेहरों ने इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोकी है। इस बार बिजवासन सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा। सभी उम्मीदवार अपने पिछले कामों के आधार पर जनता से वोट मांग रहे हैं।

जागरण संवाददाता,नई दिल्ली। बिजवासन सीट इस बार पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत और इस क्षेत्र से विधायक रह चुके कर्नल देवेंद्र सहरावत के मैदान में उतरने से हॉट सीट बन गई है।
इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। भाजपा के कैलाश गहलोत अपनी छवि के आधार पर वोट मांग रहे हैं, जबकि कांग्रेस के कर्नल देवेंद्र सहरावत पूर्व में विधायक रहते हुए किए गए कामों के आधार पर वोट मांग रहे हैं।
वहीं, आप प्रत्याशी सुरेंद्र भारद्वाज अपनी पत्नी पूनम भारद्वाज द्वारा क्षेत्र में किए गए कार्यों का बखान जनता से कर रहे हैं। यह सीट चल रहे मुकदमों और इंटरनेट मीडिया पर चल रहे प्रत्याशियों के प्रचार के वीडियो के कारण भी चर्चा में है।
बिजवासन के मतदाताओं का समीकरण
इस विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो एक तरफ एरोसिटी में फाइव स्टार होटल हैं तो दूसरी तरफ रंगपुरी जैसे स्लम इलाके हैं। यहां मध्यम वर्ग के वोटों की संख्या अभी भी अच्छी है। इस विधानसभा क्षेत्र में 11 गांव शामिल हैं, जिनमें से आठ गांव जाट समुदाय के बाहुल्य हैं।
इस सीट पर जाट, यादव, ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के लोगों के वोटरों की संख्या अच्छी खासी है। द्वारका का कुछ इलाका इस विधानसभा क्षेत्र में शामिल है, लेकिन यह सीट मुख्य रूप से राजनगर, बिजवासन और महिपालपुर के लिए जानी जाती है।
पांच नगर निगम वार्डों वाले इस इलाके में इंदिरा गांधी हवाई अड्डा स्थित है। जिसके कारण यहां 24 घंटे हवाई जहाज आसमान में मंडराते नजर आते हैं। कई बार तो वे इतने नीचे से गुजरते हैं कि शोर के कारण प्रत्याशियों को कुछ देर के लिए अपना भाषण रोकना पड़ता है।
समस्याओं से घिरा है बिजवासन विधानसभा
दो लाख 10 हजार मतदाताओं वाली इस सीट पर समस्याओं का अंबार है। यहां पीने के पानी की समस्या लंबे समय से बनी हुई है, इसलिए ग्रामीण अपनी जमीन के उचित मुआवजे का मुद्दा उठाते हैं।
पानी की समस्या की बात करें तो यहां सभी दलों के विधायक रहे हैं, लेकिन यह समस्या अभी तक हल नहीं हुई है। हालांकि, सभी ने इस समस्या के समाधान का दावा किया है।
इस चुनाव में भी पीने के पानी और सीवर की समस्या का मुद्दा गरमा रहा है। कुछ महीने पहले रंगपुरी पहाड़ी में लोगों की समस्या देखने पहुंचे एलजी वीके सक्सेना के बयान के बाद इस इलाके की सीवर समस्या पर राजनीति गरमा गई थी।
2020 में आप के बीएस जून यहां से चुनाव जीते थे। यहां तक कहा जा रहा है कि रंगपुर पहाड़ी मुद्दे पर उनका टिकट काटा गया था। इस बार उनका टिकट काटकर आप ने बिजवासन से पार्षद पूनम भारद्वाज के पति सुरेंद्र भारद्वाज को टिकट दिया है।
गहलोत ने किए कई काम
वहीं, बीजेपी ने दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत को मैदान में उतारा है जो पार्टी में शामिल हो गए हैं। गहलोत अपनी छवि के आधार पर वोट मांग रहे हैं। दिल्ली सरकार में गहलोत के पास कई मंत्रालय रहे हैं लेकिन परिवहन मंत्री के तौर पर उनकी छवि काफी बेहतर रही है।
गहलोत ऐसे मंत्री रहे जो आप सरकार और एलजी के बीच विवाद के चलते सरकार में सारे काम ठप होने के बाद भी अपना काम जारी रखने में कामयाब रहे। तमाम विवादों के बीच भी वे बसों को सड़कों पर लाने में कामयाब रहे।
कांग्रेस प्रत्याशी ने पेश की मजबूत दावेदारी
दूसरी ओर कांग्रेस के देवेंद्र सहरावत हैं, सहरावत कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं और उन्होंने माहौल गर्म कर दिया है। उन्होंने 2014 का चुनाव आम आदमी पार्टी के टिकट पर दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से लड़ा था और चार लाख वोट पाने में सफल रहे थे।
उसके बाद 2015 में वह आप से इसी सीट से विधायक बने। वह उस दौरान अपने द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर वोट मांग रहे हैं। पानी की समस्या को लेकर किए गए तमाम कार्यों की उनके पास लंबी सूची है।
आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुरेंद्र भारद्वाज फोटो क्रेडिट- सुरेंद्र भारद्वाज एक्स
सुरेन्द्र भारद्वाज ने अपनी दावेदारी पेश कर बनाया त्रिकोणीय मुकाबला
इसी तरह आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुरेंद्र भारद्वाज भी अपनी पार्षद पत्नी द्वारा बिजवासन क्षेत्र में कराए गए कार्यों को पूरी विधानसभा में करवाने की बात कह रहे हैं। इस सीट पर कोई लहर जैसा माहौल नहीं है।
सभी दलों के प्रत्याशी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं और अपने-अपने तरीके से प्रचार अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन तीनों दलों के चुनाव प्रचार में प्रमुखता से शामिल होने से त्रिकोणीय मुकाबले का माहौल बनता दिख रहा है।
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