'पर्यावरण संरक्षण सामूहिक चेतना का हिस्सा', मंत्री भूपेंद्र यादव ने लॉन्च किया समीर 2.0 ऐप
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण सामूहिक चेतना का हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने सीपीसीबी के 51वें स्थापना दिवस पर क्षमता निर्माण और नई तकनीकों के विकास पर जोर दिया। उन्होंने सीपीसीबी के नए भवन की आधारशिला रखी और समीर 2.0 ऐप लॉन्च किया। मंत्री ने पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक विज्ञान को विज्ञान के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता बताई।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को कहा कि पर्यावरण संरक्षण हमारी सामूहिक पर्यावरणीय चेतना का हिस्सा होना चाहिए। हमें पर्यावरणीय नियम और मानक भी विकसित करने होंगे।
देश में नई तकनीकों के विकास और पर्यावरण प्रयोगशालाओं के विस्तार के लिए आईआईटी, प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान निकायों के साथ सहयोग भी आवश्यक है। मेक-इन-इंडिया को मज़बूत करने के लिए, हमें नए, कम प्रदूषणकारी विकल्प और स्वच्छ तकनीकें विकसित करनी होंगी और इन तकनीकों की व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।
यादव केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के 51वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। क्षमता निर्माण के महत्व पर ज़ोर देते हुए, मंत्री ने कहा कि सीपीसीबी राज्य बोर्डों और एजेंसियों के क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सीपीसीबी को देश में क्षमता निर्माण के लिए एक छत्र संगठन और मार्गदर्शक के रूप में कार्य करना चाहिए। अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी को साथ-साथ चलना होगा।
उन्होंने सीपीसीबी के एक नए भवन की आधारशिला रखी और शिलांग व पुणे स्थित सीपीसीबी क्षेत्रीय निदेशालयों में नई प्रयोगशालाओं का उद्घाटन किया। उन्होंने 13 नवनियुक्त अधिकारियों को नियुक्ति पत्र भी प्रदान किए।
हालाँकि, भर्ती प्रक्रिया अभी चल रही है, जिसमें 23 वैज्ञानिकों सहित कुल 80 अधिकारियों की भर्ती की जा रही है। मंत्री महोदय ने पिछले पाँच दशकों में सीपीसीबी की विश्वसनीयता की सराहना की और कहा कि इसकी रिपोर्टों पर न्यायालयों और जनता का भरोसा है।
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में शुरू किए गए सुधारों, जैसे कि लोक न्यास अधिनियम, 2023 (अपराधीकरण प्रावधान) और पर्यावरण लेखा परीक्षा नियम, 2025, पर विचार करते हुए, मंत्री महोदय ने कहा कि सरकार द्वारा बनाए गए नियम और विनियम तब तक प्रभावी नहीं होंगे जब तक व्यवहार में बदलाव नहीं आएगा।
इसलिए, पर्यावरण संरक्षण हमारी सामूहिक पर्यावरणीय चेतना का हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने व्यवहार में बदलाव लाने के लिए सामाजिक विज्ञान को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत करने के महत्व पर भी ज़ोर दिया।
इस कार्यक्रम में अपडेटेड समीर 2.0 ऐप का शुभारंभ और दो तकनीकी रिपोर्टें भी जारी की गईं। प्रदूषित नदी खंडों के वर्गीकरण पर रिपोर्ट 2025 और भारत में मीठे जल के बेन्थिक मैक्रोइनवर्टेब्रेट्स के माध्यम से गैर-प्रदूषित और प्रदूषित खंडों और जल निकायों की पहचान हेतु एक मैनुअल।
अपडेट किए गए SAMEER ऐप में उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफ़ेस, व्यक्तिगत अलर्ट, स्थान-आधारित सेवाएँ और बेहतर नागरिक सहभागिता शामिल है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव तन्मय कुमार, विशेष सचिव एवं महानिदेशक (वन) सुशील कुमार अवस्थी, सीपीसीबी के अध्यक्ष वीर विक्रम यादव, सदस्य सचिव भरत शर्मा और सदस्य डॉ. अनिल गुप्ता भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
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