Electric Vehicle Battery Issues: इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने से पहले जरूर पढ़ लें यह स्टोरी, आने वाली है यह बड़ी समस्या
बस की एक बैटरी का वजन करीब 1500 किलो होता है। इस हिसाब से सात साल बाद इन बसों से बैटरियों के रूप में 21 हजार टन कचरा एकत्रित हो जाएगा। अभी भी ई रिक्शा ...और पढ़ें

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। इलेक्ट्रिक वाहन राजधानी दिल्ली में लोगों का सफर तो सुगम और सस्ता बना रहे हैं, लेकिन खराब होने अथवा आयु पूरी हो जाने से इनकी बैटरी आबोहवा के लिए खतरा बन रही है। दरअसल, लीथियम आयन वाली इन बैटरियों का भंडारण और निस्तारण करने की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। हालांकि ई वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2001 के तहत सभी नियम कायदे अधिसूचित हैं, लेकिन निगरानी व सख्ती के अभाव में सब कुछ कागजी ही ज्यादा है। कहने को एक ई वेस्ट मैनेजमेंट पार्क बनाने की दिशा में भी बैठकों का दौर चल रहा है, लेकिन फिलहाल कोई राह निकलती नहीं दिखाई दे रही है।
बैटरियों को डंप करने का नहीं कोई पुख्ता इंतजाम
पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन चिंतन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ई वाहनों की बैटरी की औसत उम्र साढ़े छह से सात साल होती है। दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहन पालिसी 2020 अधिसूचित हो चुकी है। 2022 तक 1400 इलेक्ट्रिक बसें आने की भी बात है। बस की एक बैटरी का वजन करीब 1,500 किलो होता है। इस हिसाब से सात साल बाद इन बसों से बैटरियों के रूप में 21 हजार टन कचरा एकत्रित हो जाएगा। अभी भी ई रिक्शा सहित कई अन्य वाहनों की बैटरी ऐसे ही डंप की जा रही है।
कारगर मैकेनिज्म से निकल सकता है रास्ता
रिपोर्ट के मुताबिक वाहनों की बैटरियां लीथियम आयन वाली होती हैं। इनका सुरक्षित ढंग से एकत्रीकरण, भंडारण और निस्तारण न होने पर इनसे जो रसान निकलते हैं, वे हवा और पानी ही नहीं, मिट्टी को भी प्रदूषित करते हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों ई वाहनों को बढ़ावा देने के साथ साथ इनकी बैटरियों के कचरे का निस्तारण करने के लिए गंभीरता से कोई कारगर मैकेनिज्म बनाना चाहिए।
इन इलाकों में अवैध रूप से हो रही पुरानी बैटरियों का धंधा
1. समयपुर
2. सिरसपुर
3. न्यू मुस्तफाबाद
4. मंडोली
5. तीस हजारी
6. बहादुरगढ़
7. दक्षिणपुरी
8. सीलमपुर
9. तुर्कमान गेट
10. दरियागंज
11. शास्त्री पार्क
12. जाफराबाद
13. माता सुंदरी रोड
14. सीमापुरी
ई वेस्ट मैनेजमेंट पार्क बनाने का प्रस्ताव
ई कचरे की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली में ई वेस्ट मैनेजमेंट पार्क तैयार करने का प्रस्ताव है। उपराज्यपाल अनिल बैजल की इसको लेकर केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ बैठक भी हो चुकी है। मुख्य सचिव विजय देव भी पर्यावरण विभाग को इस पार्क का प्रस्ताव तैयार करने और उपयुक्त जगह चिन्हित करने को कह चुके हैं।
क्या कहते हैं बैटरी मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग रूल्स 2001 :
- बैटरी निर्माता केवल पंजीकृत डीलरों को ही बैटरी बेचेंगे और उसकी लाइफ खत्म होने के बाद उसे डीलर से वापस भी लेंगे।
- सभी निर्माता, डीलर, थोक विक्रेता हर छमाही में- 30 जून और 30 दिसंबर तक दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को बैटरियों की खरीद फरोख्त संबंधी पूरी भेजेंगे।
- डीलर सुनिश्चित करेंगे कि एकत्र की गई पुरानी बैटरियां रीसाइकिल के लिए पंजीकृत रिसाइकलर्स को ही दी जाए।
- बैटरी के सबसे खतरनाक तत्व लैड के बारे में जन जागरूकता फैलाई जाएगी और जनता को यह भी बताया जाएगा कि खराब बैटरी को अधिकृत विक्रेता को ही बेचें।
- अगर कहीं इस बाबत नियमों का उल्लंघन होते देखें तो डीपीसीसी और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की जानकारी में लाएं।
डीपीसीसी कर चुका उल्लंघनकर्ताओं पर कार्रवाई
एनजीटी में जमा की गई एक रिपोर्ट के अनुसार डीपीसीसी ने पूर्वी और उत्तर पूर्वी दिल्ली में 251 ई वेस्ट संग्रहण केंद्रों का सर्वे किया और नौ केंद्रों सहित 56 बैटरी निर्माताओं को तय नियमों का पालन नहीं करने का दोषी पाया। 142 क्लोजर नोटिस भी जारी किए गए।
सीएनजी से ज्यादा बिक रहे अब ई वाहन
इस साल जुलाई में सीएनजी से चलने वाले वाहन दिल्ली में 2357 पंजीकृत हुए थे, जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों का आंकड़ा 2,410 पहुंचा गया। अगस्त में सीएनजी से चलने वाले वाहन 1,966 पंजीकृत हुए जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों का आंकड़ा 2602 पर पहुंच गया।

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