नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) परिसर में गोधरा दंगों पर आधारित बीबीसी डाक्यूमेंट्री दिखाने के मामले में दो छात्रों के परीक्षा देने पर रोक लगाई गई है। इसमें एक छात्र कांग्रेस छात्र संगठन के महासचिव हैं। जबकि अन्य छात्र दूसरे छात्र संगठन से संबंधित है। डीयू प्रशासन ने कहा है कि दो छात्रों पर कार्रवाई की गई है। अन्य छह छात्रों पर भी जल्द कार्रवाई की जाएगी।
मामले में 24 छात्रों को नोटिस भेजे गए थे। कार्रवाई के तहत छात्रों को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि उन्हें विश्वविद्यालय या कालेज में विभागीय परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। नोटिस में कहा गया है कि डाक्यूमेंट्री - "इंडिया: द मोदी क्वेश्चन" "प्रतिबंधित" है। इसके बावजूद 27 जनवरी को आर्ट फैकल्टी के बाहर छात्रों ने प्रदर्शन कर प्रतिबंधित डाक्यूमेंट्री दिखाने का प्रयास किया था।
जिन छात्रों पर कार्रवाई हुई है, उनकी पहचान मानव विज्ञान विभाग में पीएचडी स्कालर लोकेश चुग और विधि विभाग के रविंदर के रूप में हुई है। लोकेश कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन एनएसयूआइ के राष्ट्रीय महासचिव हैं। बीबीसी डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर कला संकाय भवन के बाहर हुए हंगामे की जांच के लिए विश्वविद्यालय ने सात सदस्यीय समिति का गठन किया था।
मामले में तीन छात्रों पर पुलिस ने एफआइआर भी दर्ज की थी। डीयू की प्रोक्टर रजनी अब्बी का कहना है कि 24 छात्रों को नोटिस दिए गए थे। दो छात्र विश्वविद्यालय नियमावली के तहत अनुशासनहीनता के दोषी पाए गए हैं। उन पर कार्रवाई की गई है। शेष छह छात्रों पर भी जल्द कार्रवाई की जाएगी। अन्य छात्रों के अभिभावकों को भी बुलाया गया है। उनसे बातचीत के बाद कार्रवाई पर विचार किया जाएगा।
एनएसयूआइ करेगी प्रदर्शन
एनएसयूआइ के राष्ट्रीय महासचिव लोकेश चुग ने कहा है कि जिस दिन डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की कोशिश छात्रों ने की थी। तब वे कला संकाय में मौजूद नहीं थे। वे छात्र संगठन के मीडिया प्रभारी हैं, इसलिए उन्होंने कुछ जगह अपने विचार रखे थे। इस आधार पर ही उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है।
यह डीयू प्रशासन का तानाशाही रवैया है। उन्होंने कहा कि डीयू ने 20 फरवरी को पक्ष रखने बुलाया था। उन्होंने समिति के सामने प्रस्तुत होकर अपना पक्ष रखा था। उसके बावजूद उन पर कार्रवाई की गई है। वहीं एनएसयूआइ का कहना है कि डीयू की इस रवैये के खिलाफ वे सोमवार को विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन करेंगे। जरूरत पड़ी हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।