Batla House Encounter Case Verdict: राजनीतिक लाभ के लिए आतंकियों का समर्थन देश हित में नहीं
Batla House Encounter Case Verdict उम्मीद है कि अदालत के फैसले के बाद अब आतंक व हत्या पर सियासत करने वालों की सोच में बदलाव आए। उन्हें समझना चाहिए कि देश से बड़ा कुछ नहीं है। राजनीतिक लाभ के लिए आतंकियों का समर्थन देश हित में नहीं है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। Batla House Encounter Case Verdict बाटला हाउस एनकाउंटर मामले में साकेत कोर्ट ने इंडियन मुजाहिद्दीन (आइएम) के आतंकी आरिज खान को फांसी की सजा सुनाई है। 13 साल बाद आतंकी को उसके किए की सजा सुनाई गई है। इससे शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा व उनके परिवार को न्याय मिला है। दूसरे आतंकियों के लिए यह सबक है। साथ ही इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए आतंकियों के समर्थन में सियासत करने वाले भी बेनकाब हो गए हैं।
वर्ष 2008 में यह घटना हुई थी। दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में हुए बम धमाकों की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल खुफिया सूचना पर राजधानी के जामिया नगर स्थित बाटला हाउस के एक मकान में पहुंची थी। वहां आतंकियों से एनकाउंटर में दो आतंकी मारे गए थे। वहीं, मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे। उसके बाद कांग्रेस सहित कई अन्य पार्टियों के नेताओं ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए सियासत शुरू कर दी थी। इसे चुनावी मुद्दा भी बनाया गया। धर्म विशेष के वोट हासिल करने के लिए शहादत पर सवाल खड़े किए गए। आतंकियों को निदरेष करार देने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन आखिरकार सत्य की जीत हुई।
अदालत ने कहा कि यह दुर्लभ में दुर्लभतम का मामला है, इसलिए दोषी को फांसी की सजा दी जाती है। अदालत ने दोषी पर कुल 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और इसमें से दस लाख रुपये शहीद के परिवार को देने का निर्देश दिया है। साथ ही डिस्टिक्ट लीगल सर्विस अथारिटी को पीड़ित परिवार के लिए अतिरिक्त मुआवजे का प्रबंध करने की सिफारिश की है। यह सही भी है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि अदालत के फैसले के बाद अब आतंक व हत्या पर सियासत करने वालों की सोच में बदलाव आए। उन्हें समझना चाहिए कि देश से बड़ा कुछ नहीं है। राजनीतिक लाभ के लिए आतंकियों का समर्थन देश हित में नहीं है।