बाढ़ के कारण बारापुला एलिवेटेड कॉरडोर का काम रुका, एक माह के अंदर फिर से शुरू करने की तैयारी
यमुना में बाढ़ के कारण बारापुला एलिवेटेड कॉरिडोर का काम फिर से रुक गया है। निर्माण स्थल पर पानी भरने से एक सप्ताह से काम ठप है। पीडब्ल्यूडी एक महीने में काम शुरू करने की तैयारी में है। परियोजना में देरी के चलते लागत 1200 करोड़ तक पहुंच गई है। पेड़ों को हटाने की मंजूरी का इंतजार है जिसके बाद एम्स तक सिग्नल फ्री कॉरिडोर मिल सकेगा।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। यमुना में आई बाढ़ से बारापुला फेज-तीन एलिवेटेड कारिडोर का काम फिर एक बार रुक गया है। निर्माण स्थल पर पानी भर जाने से पिछले एक सप्ताह से इस परियोजना पर काम ठप है और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) एक माह के अंदर इस परियोजना पर काम शुरू कर देने की तैयारी में है।
यहां पर अब अस्थायी सड़क भी बनाने की जरूरत है। क्योंकि बड़ी क्रेन और अन्य मशीनें निर्माण स्थल पर लाने के लिए जमीन सूखने का अभी इंतजार करना होगा। मयूर विहार फेस-एक के सामने यमुना खादर में परियोजना पर काम चल रहा था।
इस परियोजना के तहत मयूर विहार फेस- एक के सामने से सराय काले खां तक साढे तीन किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कारिडोर बनाया जा रहा है। परियोजना पर 2015 से काम चल रहा है, देरी के चलते लागत 900 करोड़ से बढ़कर 1200 करोड़ तक पहुंच चुकी है।
250 से अधिक पेड़ों को हटाने जाने के लिए मंजूरी का इंतजार
बारापुला एलिवेटेड कारिडोर परियाेजना के लिए जमीन को लेकर अब सभी अड़चनें दूर हो चुकी हैं। अब इस परियोजना के बीच आ रहे 250 से अधिक पेड़ों को हटाने जाने के लिए मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है।
विभागीय जानकारों का कहना था कि इन्हें स्थानांतरित करने के लिए लोक निर्माण विभाग ही काम करेगा। एक माह के अंदर पेड़ों को हटाने को लेकर प्रक्रिया पूरी हो जाने की उम्मीद है। इसके बाद परियोजना के बचे हुए काम को एक साल के अंदर पूरा कर लिया जाएगा।
एम्स तक लोगों को मिल सकेगा सिग्नल फ्री कॉरिडोर
इस परियोजना का काम पूरा होने पर मयूर विहार फेस एक से लेकर एम्स तक सिग्नल फ्री कारिडोर लोगों को मिल सकेगा। अभी दो चरणों में सराय काले खां से लेकर एम्स तक कारिडोर बना हुआ है। इसी रोड के विस्तार के तहत 2014 में मयूर विहार के सामने से लेकर सराय काले खां तक साढ़े तीन किलोमीटर लंबा एलिवेटर बनाने के लिए शिलान्यास किया गया था।
उस समय इसका काम पूरा करने के लिए 2017 तक का समय निर्धारित किया गया था। मगर इस पर काम 2015 में ही शुरू हाे सका। परियोजना पर काम शुरू होते ही जमीन को लेकर विवाद हो गया था, लोक निर्माण विभाग ने जिस जमीन के ऊपर से परियोजना गुजरने के लिए डीडीए से अनुमति ली थी, उस जमीन पर किसानों ने दावा कर दिया था।
यह मामला कोर्ट में गया और सरकार काे किसानों को मुआवजा देना पड़ा है। हालांकि किसान सरकार द्वारा प्रस्तावित मुआवजे से संतुष्ट नहीं है और वे इसे बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं। बहरहाल परियोजना के लिए सरकार जरूरत वाली संपूर्ण जमीन अधिग्रहित कर चुकी है।
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