बकरीद पर कुर्बानी के लिए आए बकरों की जान जैन समाज ने बचाई, 44 लाख खर्च कर खरीदे 400 बकरे
बकरीद के मौके पर जैन समाज ने 400 से अधिक बकरों को कुर्बानी से बचाया। जीव दया संस्थान पिछले नौ वर्षों से यह मुहिम चला रहा है जिसके तहत अब तक 7000 से अध ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: बकरीद के मौके पर कुर्बानी देने के लिए मुस्लिम बहुल इलाकों में बकरों की खरीदारी जोरों पर है। वहीं, कुछ लोग बकरा मंडी पहुंच रहे हैं और बकरा खरीद रहे हैं, लेकिन उसे मारने के लिए नहीं बल्कि नया जीवन देने के लिए।
ऐसा कर जैन समाज ने इस बार भी कुर्बानी के लिए बिकने आए 400 से अधिक बकरों को नया जीवन दिया है। बकरीद शनिवार को है, जबकि सोमवार तक बकरों की कुर्बानी दी जाएगी।
बकरीद के लिए जामा मस्जिद, सीलमपुर व गाजीपुर जैसे इलाकों तथा उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर स्थित गुलावठी बकरा मंडी से इन बकरों की खरीद में करीब 44 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। आगे कुछ दिनों में और 15 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है।
बकरों को बचाने की मुहिम में 50 से अधिक लोगों की टीम लगी
यह मुहिम जैन समाज के लोगों द्वारा नौ वर्ष से जीव दया संस्थान के माध्यम से चलाई जा रही है। जिसके तहत अब तक सात हजार से अधिक बकरों को कुर्बानी से बचा लिया गया है।
उन्हें दिल्ली व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बकरा मंडी से खरीदकर उत्तर प्रदेश के बागपत में जैन समाज द्वारा बनाई गई विशेष बकराशाला में रखा जा रहा है।
चांदनी चौक के समाजसेवी व इस अभियान से जुड़े सत्यभूषण जैन बताते हैं कि इसमें 50 से अधिक लोगों की टोली लगी हुई है, जिसमें जैन व हिंदू शामिल हैं।
पिछले वर्ष 124 बकरों का जीवन बचाया गया था
पिछले वर्ष जामा मस्जिद बकरा बाजार से खरीदे कर 124 बकरों को चांदनी चौक के धर्मपुरा की हवेली में रखा गया था, जिसकी फोटो और वीडियो सुर्खियों में थी।
जीव दया संस्थान के अध्यक्ष मनोज जैन के अनुसार, यह अभियान किसी धर्म की मान्यताओं के खिलाफ नहीं है, बल्कि, भगवान महावीर के ''जियो और जीने दो'' संदेश के प्रति समर्पण है।
जिसके तहत न सिर्फ बकरे, बल्कि, मछली व अन्य पशु-पक्षी को बचाने की कोशिश अनवरत चल रही है।
विशेष ''बकराशाला'' में बकरों की देखभाल
बचाए गए बकरों को रखने तथा उनकी देखभाल के लिए उप्र के बागपत के अमीन नगर सराय में देश की पहली ''बकराशाला'' का निर्माण किया गया है, जो करीब 45 हजार गज में बनी है।
इसमें एक साथ अधिकतम 1,800 बकरे रखने की क्षमता है। मौजूदा समय में 650 से अधिक बकरे हैं। मनोज जैन के अनुसार, बकराशाला में बकरों की विशेष देखभाल की जाती है।
जहां वह पूरा जीवन रहते हैं। भारतीय बकरों की औसत उम्र सात से नौ वर्ष होती है। पूरी मुहिम को समाज की मदद से चलाया जाता है।
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